ऊपर

गुरु नानक जयंती: इतिहास, रीति-रिवाज और भारत में मनाए जाने का तरीका

गुरु नानक जयंती एक ऐसा त्योहार है जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव, सिख धर्म के पहले गुरु और 15वीं सदी के एक आध्यात्मिक सुधारक जिन्होंने समानता, सेवा और ईश्वर की एकता का संदेश दिया के जन्म की याद में मनाया जाता है। ये दिन केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि एक ऐसा संदेश है जो भेदभाव, अंधविश्वास और अहंकार के खिलाफ लड़ता है। गुरु नानक ने कहा था — ‘न कोई हिंदू, न कोई मुसलमान’ — ये बात आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनके समय में थी।

गुरु नानक जयंती को ननका साहिब, पंजाब के एक गाँव जहाँ गुरु नानक देव का जन्म हुआ था और आज एक पवित्र स्थल है के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में निरंतर कीर्तन होता है, अनुपम भाव से ग्रंथ साहिब का पाठ होता है, और लोग निशुल्क भोजन — लंगर, सिख धर्म का वह सिद्धांत जहाँ कोई भी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति के बिना खाना खाता है — का स्वाद लेते हैं। ये लंगर न केवल भूख मिटाता है, बल्कि एक नए समाज की नींव रखता है। गुरु नानक ने यही सिखाया था: सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।

इस दिन भारत के हर कोने में शोभा यात्राएँ निकलती हैं। अमृतसर से लेकर दिल्ली, मुंबई या कोलकाता तक — गुरु नानक जयंती की रौनक देखने को मिलती है। गुरुद्वारों को फूलों और बत्तियों से सजाया जाता है, और युवा लोग गाँव-गाँव जाकर गुरु के वचन सुनाते हैं। ये त्योहार किसी एक समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। इसलिए आज भी यहाँ भारतीय संस्कृति का वह पहलू दिखता है जहाँ अलग-अलग धर्म एक दूसरे के साथ बसते हैं।

इस पेज पर आपको गुरु नानक जयंती से जुड़े सभी पहलू मिलेंगे — जैसे कि इसका इतिहास, गुरु नानक के जीवन के महत्वपूर्ण क्षण, उनके शिक्षाओं का आधुनिक जीवन में क्या महत्व है, और भारत भर में इसे कैसे मनाया जाता है। यहाँ आपको वो खबरें भी मिलेंगी जो इस त्योहार को राष्ट्रीय स्तर पर कैसे बड़ा बनाती हैं। चाहे आप इस दिन को सिर्फ एक त्योहार के रूप में देखते हों या गुरु नानक के संदेश को जीना चाहते हों — यहाँ आपके लिए कुछ नया जरूर मिलेगा।

5 नवंबर, 2025 को गुरु नानक जयंती और कार्तिक पूर्णिमा के कारण पंजाब, ओडिशा और तेलंगाना सहित कई राज्यों में स्कूल और बैंक बंद रहेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने की सलाह दी है।