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न्यायिक हिरासत क्या है — सरल भाषा में

कभी किसी खबर में सुना होगा कि किसी आरोपी को "न्यायिक हिरासत" में भेज दिया गया। इसका मतलब है कि अदालत के आदेश पर वह व्यक्ति पुलिस जेल या जिला जेल में रखा जाता है — सीधे पुलिस के नियंत्रण में नहीं। यह कार्रवाई तब होती है जब जांच लंबी चल रही हो या पुलिस रिमांड की जरूरत न रहे।

न्यायिक हिरासत और पुलिस हिरासत में फर्क

पुलिस हिरासत में आरोपी पुलिस के पास रहता है और जांच से जुड़े सवाल-जवाब यहीं होते हैं। न्यायिक हिरासत में आरोपी जेल में होता है और उसकी रिहाई या आगे की कार्रवाई अदालत तय करती है। पुलिस हिरासत आम तौर पर छोटी अवधि की होती है; न्यायिक हिरासत लंबी भी हो सकती है, पर दोनों के लिए अदालत की अनुमति जरूरी रहती है।

यह जानना जरूरी है कि न्यायिक हिरासत का मतलब दोषी ठहरना नहीं है। अदालत ने यह तय किया होता है कि आरोपी को जांच या ट्रायल तक जेल में रखा जाए। इसलिए मीडिया रिपोर्ट या अफवाहों पर पहले भरोसा न करें।

यदि आपका कोई नज़दीकी न्यायिक हिरासत में है — क्या करें

पहला कदम: एक वकील से तुरंत संपर्क करें। वकील एफआईआर की कॉपी देखेगा, रिमांड के दस्तावेज़ और जमानत की संभावनाओं को परखेगा। दूसरा, जेल प्रशासन से मिलने और मेडिकल जांच की व्यवस्था करें — अगर झूठी बातें हों या स्वास्थ्य समस्या हो तो यह जरूरी है।

तीसरा, गिरफ्तारी के समय मिले दस्तावेज और पूछताछ की रिकॉर्डिंग की जानकारी इकट्ठा करें। चौथा, यदि मामला सुलह या जमानत योग्य है तो वकील तुरंत जमानत याचिका दायर कर सकता है। जमानत मिलना यकीनी नहीं, पर सही दस्तावेज और त्वरित कानूनी कदम परिणाम बदल सकते हैं।

पांचवा, मीडिया और सोशल मीडिया पर सावधानी रखें। आरोप या कहानी फैलाना मामले को और जटिल कर सकता है। वकील की सलाह के बिना बयान देने से बचें।

अंत में, अगर आपको लगता है कि हिरासत कानून के खिलाफ है तो वकिल द्वारा उच्च अदालत में चुनौती की जा सकती है। सरकारी कानूनी सहायता भी उपलब्ध होती है यदि वे पैसे नहीं दे पा रहे हों।

न्यायिक हिरासत से जुड़ी खबरें पढ़ते समय तथ्य पर ध्यान दें: अदालत का आदेश, किस धाराओं में मामला दर्ज है और क्या जमानत दायर हुई है। हमारी वेबसाइट पर संबंधित मामलों की ताज़ा रिपोर्ट और विश्लेषण मिलते रहते हैं — वहां से आप स्थानीय अपडेट और आगे की कार्रवाई समझ सकते हैं।

यदि आप चाहते हैं, हम आपको जेल प्रक्रिया, रिमांड सुनवाई या जमानत याचिका के बारे में और आसान गाइड दे सकते हैं। बस बताइए किस हिस्से पर ज़्यादा जानकारी चाहिए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को दिल्ली आबकारी नीति मामले में 20 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। यह विस्तार कानूनी कार्यवाहियों के बाद दिया गया। इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं, जिनकी जांच सीबीआई कर रही है। मामले में कई उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों की गिफ्तारी हो चुकी है।