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आयकर – क्या बदल रहा है और आपको क्या करना चाहिए?

जब हम आयकर, व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा सरकार को दी जाने वाली आय पर लगने वाला कर. Also known as इनकम टैक्स, it forms the backbone of public finance in India. इस टैक्स की समझ में आयकर अधिनियम, 1961 में लागू प्रमुख कानून जो आयकर की सभी शर्तें निर्धारित करता है अहम भूमिका निभाती है. साथ ही CBDT, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस, जो नीति बनाता और कार्यान्वित करता है की नई डिजिटल पहलों को समझना जरूरी है, क्योंकि ये ही आपके टैक्स रिटर्न को आसान बनाते हैं. खास तौर पर फ़ेसलेस मूल्यांकन, AI‑सहायित बिना दस्तावेज़ देखे की जाँच प्रणाली, जो 2025 से लागू होगी ने प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाया है। इन सबके बीच टैक्स रिटर्न, वित्त वर्ष के अंत में आय एवं कटौतियों की रिपोर्ट फाइल करने का तरीका भी धीरे‑धीरे बदल रहा है।

डिजिटल पहलें और टैक्सदाता के लिए असर

CBDT ने हाल ही में फ़ेसलेस मूल्यांकन को बड़े पैमाने पर लॉन्च किया, जिससे करदाता अब प्रश्नावली के बजाय ऑनलाइन पोर्टल पर अपने दस्तावेज़ अपलोड कर सकते हैं। इस चरण में आयकर नियमों की स्थिरता बनी रहती है, पर जाँच का तरीका पूरी तरह से तकनीक‑आधारित हो गया है। उदाहरण के तौर पर, AI‑जाँच प्रणाली इनकम स्लैब, छूट और कटौतियों को तुरंत सत्यापित करती है, जिससे क्वेरी की संख्या घटती है और रिफंड समय कम होता है। यदि आप पहली बार रिटर्न फाइल कर रहे हैं, तो आयकर अधिनियम में निर्धारित “डिडक्टिबल एक्सपेनसेज़” और “सेक्शन 80C” जैसे सेक्शन को समझना फायदेमंद रहेगा। ये सेक्शन आपके टैक्सेबल इनकम को कम करके बचत को बढ़ाते हैं। वहीं, फ़ेसलेस मूल्यांकन के बाद टैक्सदाता को मिलते हैं “डिजिटल एसेसमेंट नोटिफिकेशन” जो ई‑मेल या नॉटीफिकेशन सेंटर के माध्यम से तुरंत पहुँचते हैं, जिससे ड्यू‑डिलेज़ का जोखिम कम हो जाता है. बच्चे, वरिष्ठ नागरिक या छोटे व्यापारियों के लिए भी इस प्रणाली में विशेष सुविधा है – “एक्सपेन्सेस ऑटो‑फिल” विकल्प, जहाँ पिछले साल के डेटा को पुनः प्रयोग करके रिटर्न भरना आसान हो जाता है। इस तरह के डिजिटल टूल्स आयकर अधिनियम के नियमों के साथ जुड़कर टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाते हैं, जबकि CBDT इनके कार्यान्वयन की निगरानी करता है.

समग्र रूप से, आयकर का परिदृश्य अब पारंपरिक फॉर्म‑फिलिंग से हटकर एक समेकित डिजिटल इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है. चाहे आप वेतनभोगी हों, फ्रीलांसर या छोटे उद्योग के मालिक, नई फ़ेसलेस मूल्यांकन प्रणाली और सटीक टैक्स रिटर्न गाइडलाइन आपको कम समय में अधिक स्पष्टता देते हैं. आगे के लेखों में हम इन बदलावों के व्यवहारिक पहलुओं, अक्सर पूछे जाने वाले सवालों और ऑपरेट करने योग्य टिप्स को विस्तार से देखेंगे, ताकि आप बिना किसी झंझट के अपनी टैक्स जिम्मेदारियों को निभा सकें.

CBDT ने FY 2024‑25 की ITR डेडलाइन 31 जुलाई से 15 सितंबर बढ़ाई, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की नई तिथि 31 अक्टूबर, जबकि विशेषज्ञों के बीच ऑडिट‑केस के ITR विस्तार पर बहस चल रही है।