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भागवत चैप्टर 1: राक्षस - असली शक्ति, भय और धर्म की लड़ाई

जब आप भागवत चैप्टर 1, श्रीमद्भागवतम की शुरुआती पंक्तियाँ जो राक्षसों के आगमन और धर्म के संकट को दर्शाती हैं पढ़ते हैं, तो आप सिर्फ एक पुराण की कहानी नहीं पढ़ रहे होते—आप एक ऐसे संघर्ष को समझ रहे होते हैं जो आज भी हमारे घरों, दफ्तरों और सोशल मीडिया पर चल रहा है। राक्षस, वो नहीं जो तीन आँखों वाला हो या दस सिर वाला, बल्कि वो है जो अंदर से भय, अहंकार और लालच से भरा हो। ये राक्षस शारीरिक नहीं, विचारों के होते हैं। जब आप किसी को बुरा कहते हैं, लेकिन खुद बदलने की कोशिश नहीं करते, तो आप उसी राक्षस का हिस्सा बन जाते हैं।

इस अध्याय में देवताओं की निराशा और राक्षसों की बढ़ती शक्ति का वर्णन है, लेकिन यह सिर्फ एक प्राचीन कथा नहीं है। ये वो वक्त है जब जनता बेबस हो जाती है, जब न्याय धुंधला हो जाता है, और जब लोग सच्चाई को भूलने लगते हैं। धर्म और अधर्म, वो दो बल हैं जो हर युग में आमने-सामने होते हैं—एक न्याय और सेवा की ओर खींचता है, दूसरा अहंकार और लालच की ओर। आज भी हम देखते हैं कि जो लोग सच बोलते हैं, उन्हें अकेला छोड़ दिया जाता है। जो झूठ बोलकर आगे बढ़ते हैं, उन्हें लोग तालियाँ देते हैं। यही भागवत का संदेश है—अधर्म की जीत अस्थायी होती है, लेकिन धर्म की जड़ें गहरी होती हैं।

इस अध्याय के बाद आने वाली घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि जब दुनिया बदल रही हो, तो एक व्यक्ति का बदलाव भी काफी हो सकता है। यहाँ आपको मिलेंगे ऐसे लेख जो भागवत के इसी अध्याय को आज के समय में ढालते हैं—कैसे एक आम इंसान अपने अंदर के राक्षस को कैसे शांत कर सकता है, कैसे एक सरकारी अधिकारी जो भ्रष्टाचार करता है, वो भी एक राक्षस है, और कैसे एक छात्र जो सच बोलकर नुकसान उठाता है, वो ही वास्तविक देवता है। ये सभी कहानियाँ एक ही अध्याय से जुड़ी हैं—भागवत चैप्टर 1। यहाँ आपको मिलेंगे वो लेख जो आपको सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि बदलाव का रास्ता दिखाते हैं।

जितेंद्र कुमार ने खुलासा किया कि उनकी करियर यात्रा का श्रेय मेहनत से ज्यादा किस्मत को देते हैं। पंचायत, भागवत चैप्टर 1: राक्षस और मिर्जापुर फिल्म में उनके अद्वितीय किरदारों की गहराई का पता चलता है।