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जितेंद्र कुमार: किस्मत ने दिया मौका, मेहनत ने बनाया किरदार
नव॰ 11, 2025
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

जितेंद्र कुमार ने अपनी नवीनतम फिल्म भागवत चैप्टर 1: राक्षस के लिए एक नकारात्मक किरदार अपनाया, लेकिन उनका दिल अभी भी जितेंद्र कुमार के दिमाग में बसा हुआ है — वही अभिषेक त्रिपाठी, जिन्हें दर्शक अमेज़ॅन प्राइम वीडियो की पंचायत में सचिव जी के रूप में जानते हैं। इंटरव्यू में उन्होंने एक ऐसा बयान दिया जिसने उनके फैंस को हैरान कर दिया: "मेरी करियर की जर्नी का श्रेय मेहनत से ज्यादा किस्मत को दूंगा।" ये बात किसी आम अभिनेता के मुंह से निकल सकती है, लेकिन जब आप जानते हैं कि वे पूर्णिया की एक झोपड़ी से शुरुआत करके फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड तक कैसे पहुंचे, तो ये बयान और भी गहरा लगता है।

किस्मत या मेहनत? एक अभिनेता की सच्चाई

जितेंद्र कुमार ने खुलासा किया कि उन्हें अक्सर फन और कॉमेडी के रोल्स ही मिलते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी भूमिका को "आसान" नहीं समझा। "पंचायत का किरदार करना मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे एक नया शरीर दे दिया हो," उन्होंने कहा। "मैं अपने आप को उस आदमी के अंदर बैठाना चाहता था — जो शहर से गांव आया है, जिसकी आत्मा अभी भी बेचारी और बेसुध है।" उनका ये किरदार इतना असली लगा कि लोगों ने उन्हें रियलिटी शो में भी देखने की कोशिश की। फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड जीतने के बाद भी उन्होंने इसे एक शुरुआत माना, न कि अंत।

राक्षस बनने का फैसला: क्यों स्वीकार किया नकारात्मक किरदार?

भागवत चैप्टर 1: राक्षस की स्क्रिप्ट जब उनके पास पहुंची, तो उन्होंने इसे तुरंत ठुकरा दिया। "मैंने सोचा, ये तो बहुत अंधेरा है। मैं तो अभी तक हंसाता रहा हूं।" लेकिन जब उन्होंने स्क्रिप्ट को दूसरी बार पढ़ा, तो उन्हें लगा — ये कहानी उनके लिए बनी है। उनका किरदार एक आदमी है जो अपने अतीत के गुनाहों से लड़ रहा है। उन्होंने कहा, "मैं नहीं चाहता कि लोग मुझे देखकर डरें। मैं चाहता हूं कि वे सोचें — ये आदमी कैसे यहां आ गया?" एक खास सीन — जहां उसका किरदार अपनी गलतियों का इजहार करता है — उनके लिए एक अलग ही अनुभव था। "उस दिन मैंने खुद को बिल्कुल खो दिया। जब शूट खत्म हुआ, तो टीम ने तालियां बजाईं। मुझे लगा, ये वो पल था जिसके लिए मैं अभिनय करता हूं।"

मिर्जापुर का बबलू पंडित: एक नया चुनौती

अब जितेंद्र कुमार मिर्जापुर की फिल्म में विक्रांत मैसी द्वारा बनाया गया बबलू पंडित का किरदार निभा रहे हैं। ये एक बड़ा जोखिम है — क्योंकि विक्रांत के बबलू को दर्शक अभी भी दिल से याद करते हैं। जितेंद्र ने कहा, "मैं उसे नकल नहीं करूंगा। मैं बबलू की मासूमियत को बरकरार रखूंगा, लेकिन उसमें अपनी धुन भी डालूंगा।" शूटिंग वाराणसी और मुंबई में चल रही है, और उनकी शूटिंग सोमवार को पूरी हो जाएगी। उनका लक्ष्य? लोग ये न सोचें कि "ये विक्रांत नहीं है," बल्कि "ये बबलू है — बस अलग तरह से।"

कबूतरबाजी और विराट कोहली: अनजाने रास्ते

जितेंद्र कुमार अभी पूजा भट्ट के साथ एक ऐसी फिल्म पर काम कर रहे हैं जो भारत की लगभग भूली हुई परंपरा — कबूतरबाजी — पर आधारित है। "ये फिल्म मुझे बहुत पसंद आई। इसमें एक बूढ़ा आदमी है जो अपने कबूतरों के साथ अपनी अकेलापन भरता है।" उनकी ये फिल्म उनके लिए एक नई दिशा है — न तो कॉमेडी, न ही एक्शन। और हां, वे विराट कोहली की बायोपिक के लिए भी तैयार हैं। "मैं उस आदमी को जानना चाहूंगा — जिसने इतनी बड़ी उम्मीदों को अपने कंधों पर उठाया। उसके अंदर का डर, उसकी ताकत... मैं उसे दिखाना चाहूंगा।"

पंचायत 5: अभी तक की सबसे बड़ी उम्मीद

पंचायत 5: अभी तक की सबसे बड़ी उम्मीद

पंचायत के चार सीजन ने भारतीय वेब सीरीज़ के इतिहास में एक नया मानक बना दिया। अब फैंस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पंचायत 5 की रिलीज़ जुलाई 2025 में होने की तैयारी है। जितेंद्र कुमार कहते हैं, "हमने इस बार एक ऐसी कहानी लिखी है जो सिर्फ गांव की नहीं, बल्कि पूरे देश की है।" उनका ये विश्वास उनके दिमाग में नहीं, बल्कि उनके दिल में है — जहां वे अभी भी वही लड़का हैं जो पूर्णिया की एक झोपड़ी में रहता था।

पीछे की कहानी: झोपड़ी से फिल्मफेयर तक

जितेंद्र कुमार के बारे में जब लोग पूछते हैं कि वे कैसे इतना दूर तक पहुंचे, तो वे बस मुस्कुरा देते हैं। लाइव हिंदुस्तान के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा आया था जब उनका पूरा परिवार एक झोपड़ी में रहता था। "मेरे पिताजी रिक्शा चलाते थे। मां घर पर काम करती थीं। दो बार बिजली नहीं आई तो लाइट बत्ती से पढ़ते थे।" लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी पहली फिल्म का रिलीज़ हुआ तो उन्हें एक रुपया भी नहीं मिला। आज वे फिल्मफेयर जीत चुके हैं। उनकी कहानी एक ऐसी यात्रा है जो बताती है — किस्मत तो एक मौका देती है, लेकिन उसे जीतने के लिए तुम्हें खुद को बिल्कुल खोना पड़ता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

जितेंद्र कुमार ने किस्मत को श्रेय क्यों दिया?

जितेंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें अक्सर ऐसे मौके मिले जो आम अभिनेताओं के लिए असंभव होते। उन्हें पंचायत जैसी सीरीज़ मिली, जो उनकी आवाज़ बन गई। उन्हें नकारात्मक भूमिकाएं भी मिलीं, जिन्हें दूसरे अभिनेता नहीं लेते। उनका मानना है कि इन सभी मौकों के पीछे किस्मत का हाथ था, जबकि मेहनत ने उन्हें उन मौकों को संभालने की क्षमता दी।

मिर्जापुर फिल्म में बबलू पंडित का किरदार कैसे अलग होगा?

जितेंद्र कुमार विक्रांत मैसी के बबलू की नकल नहीं करेंगे। वे उसकी मासूमियत और गहरी ताकत को बरकरार रखेंगे, लेकिन उसमें अपनी अलग धुन जोड़ेंगे। उनका बबलू थोड़ा अधिक अंतर्मुखी होगा, जो अपने अतीत के खिलाफ लड़ रहा है। ये एक नया व्याख्यान होगा, न कि दोहराव।

पंचायत 5 कब आएगा और क्या नया है?

पंचायत 5 की रिलीज़ जुलाई 2025 में होने की उम्मीद है। इस सीजन में गांव के बाहर की घटनाएं शामिल होंगी — जैसे चुनाव, नए आगमन, और सचिव जी की व्यक्तिगत लड़ाई। इस बार कहानी सिर्फ गांव की नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण जीवन की वास्तविकता को दर्शाएगी।

कबूतरबाजी फिल्म क्यों खास है?

ये फिल्म भारत की एक लगभग भूली हुई परंपरा पर आधारित है, जिसे अब शहरी युवा नहीं जानते। पूजा भट्ट की इस फिल्म में एक बूढ़े कबूतरबाज की कहानी है, जो अपने कबूतरों के साथ अपनी अकेलापन भरता है। जितेंद्र के लिए ये एक नई भावनात्मक गहराई की ओर जाने की यात्रा है।

क्या जितेंद्र कुमार विराट कोहली की बायोपिक करेंगे?

जितेंद्र ने स्पष्ट किया है कि वे विराट कोहली की बायोपिक के लिए बहुत उत्सुक हैं। उनका मानना है कि विराट के अंदर का डर, दबाव और अपने आप को साबित करने की लगन अभिनय के लिए एक अद्भुत सामग्री है। लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक ऑफर नहीं आया है।

जितेंद्र कुमार का बचपन कैसा था?

पूर्णिया, बिहार के एक छोटे से गांव में जितेंद्र का बचपन गरीबी में बीता। उनके पिता रिक्शा चलाते थे, मां घर का काम करती थीं। कई बार बिजली नहीं आती तो वे बत्ती की रोशनी में पढ़ते। उन्होंने कभी अपने आप को असफल नहीं माना। उनकी ये शुरुआत आज उनकी सबसे बड़ी ताकत है।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।
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