अगर आप बिहार की संस्कृति, स्थानीय कहानियाँ और उन लोगों की कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं जो अक्सर बड़े अखबारों में दिखते नहीं — तो यह टैग आपके लिए है। 'बिहार कोकिला' का मकसद है बिहार की असली आवाज़ें समुदाय तक पहुँचाना: कलाकार, समाजसेवक, महिला उद्यमी और गांवों की रोज़मर्रा की चुनौतियाँ।
यहां आपको केवल घटनाओं की सूचियाँ नहीं मिलेंगी, बल्कि पीछे की वजहें, असर और लोगों की जीवंत प्रतिक्रियाएँ भी पढ़ने को मिलेंगी। हम छोटे शहरों और गांवों की खबरों को वैसा ही तफ्सील से पेश करते हैं जैसा स्थानीय लोग बताते हैं।
यह टैग तीन तरह की चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान देता है: स्थानीय खबरें (बाढ़, चुनाव, सड़क व सुविधाएँ), सांस्कृतिक रिपोर्ट (लोकगीत, त्योहार, हस्तशिल्प) और महिला व समाज से जुड़ी स्टोरीज़। उदाहरण के तौर पर आप यहाँ स्थानीय कलाकारों के इंटरव्यू, स्कूल बंद होने पर बच्चों की समस्याएं या महिला स्वरोजगार की नई पहल जैसी रिपोर्ट पाएंगे।
हर खबर में हम कोशिश करते हैं कि पाठक को तुरंत उपयोगी जानकारी मिले — कौन संपर्क करेगा, किस विभाग से शिकायत करें और अगला कदम क्या होना चाहिए। यही वजह है कि यहाँ की रिपोर्टिंग सीधे काम आने वाली और ठोस रहती है।
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आप खास कर इन बातों पर ध्यान रखें: 1) घटनाओं के समय और स्थान की पुष्टि; 2) स्थानीय अधिकारियों के बयान; 3) प्रभावित लोगों की आवाज़। हमारी कवरेज में ये तीन चीज़ें हमेशा मौजूद रहती हैं।
क्या आप किसी घटना या संस्कृति की गहराई में जाना चाहते हैं? टैग पेज पर पुराने लेख भी मिलेंगे जो किसी विषय की पृष्ठभूमि समझाते हैं। इससे आप तुरंत संदर्भ पा सकते हैं और खबर को सही ढंग से समझ पाते हैं।
आखिर में, 'बिहार कोकिला' का मकसद है आवाज़ें सुनना और पहुँचाना — न कि सिर्फ सुर्खियाँ बनाना। अगर आपको लगता है किसी मुद्दे की रिपोर्ट ज़रूरी है, तो हमारी टीम तक जानकारी भेजें। हम उसे जाँचेगे और अगर सही लगी तो आपकी कहानी को प्लेटफ़ॉर्म पर साझा करेंगे।
पढ़ते रहिए, सवाल पूछिए और स्थानीय आवाज़ों को आगे बढ़ाइए।
मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें 'बिहार कोकिला' के नाम से जाना जाता है, एम्स, दिल्ली में गंभीर हालत में वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने यूट्यूब चैनल के जरिए उनके स्वास्थ्य की स्थिति को साझा किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन प्राप्त होने की जानकारी दी।