ऊपर

एफआईआई: क्या हैं और शेयर बाजार पर उनका असर

एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign Institutional Investors) भारतीय शेयर बाजार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। जब ये लोग शेयर खरीदते हैं, तो बाज़ार में तेजी आती है; जब बिकावट होती है तो गिरावट तेज़ हो सकती है। इसलिए निवेशक अक्सर FII प्रवाह को ध्यान से देखते हैं।

यह टैग उन खबरों और विश्लेषणों के लिए है जहाँ एफआईआई प्रवाह, बड़े डील्स, और विदेशी निवेश से जुड़ी घटनाएँ चर्चा का हिस्सा बनती हैं। हाल की खबरों—जैसे Trent/CDSL/PNB में शेयरों की हलचल या IPO सब्सक्रिप्शन की तेज़ी—इन्हीं प्रवाहों का असर दर्शाती हैं।

एफआईआई फ्लो कैसे पढ़ें

सबसे पहले रोज़ाना नेट इनफ्लो/आउटफ्लो देखिए। NSE और BSE की वेबसाइट्स पर FII/FPI का डेटा मिलता है। अगर लगातार कई दिनों तक एफआईआई खरीद रहे हैं तो बड़े कैप शेयरों में कीमतें ऊपर जा सकती हैं। दूसरी तरफ, अचानक बिकने पर रोटेशन में सेक्टर्स बदल जाते हैं — मसलन बैंकिंग से टेक या रिटेल से बॉंस सेक्टर में शिफ्ट।

दूसरे संकेत: विदेशी प्रवाह के साथ-साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) और विदेशी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) अलग-अलग होते हैं — दोनों का मतलब अलग असर दे सकता है। तीसरा, वैश्विक इवेंट्स देखें: अमेरिकी ब्याज दर, ग्लोबल रेटिंग्स, या क्षेत्रीय तनाव (जैसा कि पड़ोसी बाज़ार में बड़ी गिरावट) एफआईआई के रुख को बदल सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर, किसी कंपनी के शेयरों में अचानक वोलैटिलिटी आई तो यह सिर्फ कंपनी न्यूज़ नहीं—एफआईआई खरीद/बिक्री या बड़े ब्लॉक डील का भी नतीजा हो सकता है। इसलिए बॉडी डिस्क्लोज़र और ब्लॉक डील रिपोर्ट भी चेक करें।

निवेशक के लिए सीधे वर्किंग टिप्स

1) हर खबर पर नहीं, पैटर्न पर ध्यान दें। एक-दो दिन की बिकवाली से पैनिक मत होइए; लगातार 3-5 दिन का आउटफ्लो संकेत देता है।

2) सेक्टोरल मूवमेंट देखिए। FII अक्सर पूरे सेक्टर में पैसा दे या निकालते हैं — इससे सेक्टर-बेस्ड ट्रेंड मिल सकता है।

3) जोखिम प्रबंधन रखें: स्टॉप-लॉस, अलॉटेड इक्विटी हिस्से पर पाबंदी और डायवर्सिफिकेशन अपनाइए।

4) लम्बी अवधि के निवेशक के लिए: एफआईआई के छोटे मूवमेंट पर अपने रणनीतियों को बदलना जरूरी नहीं। फंडामेंटल्स और वैल्यूएशन पर टिके रहें।

5) सूचनाएँ कहाँ से लें: एक्सचेंज रिपोर्ट, रोज़ाना FII डाटा, और भरोसेमंद वित्तीय न्यूज़—इनको फॉलो करें।

अगर आप ट्रेडर हैं तो एफआईआई के बड़े ब्लॉक डील्स और डेरिवेटिव ओपन इंटरेस्ट पर मिनट-टू-परिवर्तन पर भी नज़र रखें। अगर निवेशक हैं तो स्ट्रेटेजी सादा रखें: अलर्पोर पर भरोसा, और पैनिक में बिकने से बचें। इस टैग पर आपको एफआईआई से जुड़ी ख़बरें, विश्लेषण और प्रैक्टिकल सुझाव मिलते रहेंगे—ताकि आप समझदारी से फैसले ले सकें।

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसमें BSE सेंसेक्स 930 अंक गिरकर 80,220.72 पर बंद हुआ और NSE का निफ्टी50 308.96 अंक गिरकर 24,472.10 पर बंद हुआ। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारतीय इक्विटी का विक्री के कारण यह गिरावट हुई, जिन्हें चीन और हांगकांग जैसे सस्ते बाजारों में अधिक रुचि दिखाई दी।