भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को अचानक से एक बड़ा झटका लगा। BSE सेंसेक्स में लगभग 930 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह 80,220.72 के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह, NSE का निफ्टी50 308.96 अंक खोकर 24,472.10 पर बंद हुआ। यह गिरावट विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा लगातार भारतीय बाजार से पैसे निकालने के कारण हुई है।
अंतरराष्ट्रीय निवेशक, विशेष रूप से एफआईआई, ने भारत के बाजारों से बड़ी मात्रा में धन निकालना शुरू कर दिया है। इन निवेशकों की रुचि अब चीन और हांगकांग जैसे सस्ते बाजारों की ओर केंद्रित हो रही है। अक्टूबर महीने तक एफआईआई की कुल विक्री 88,244 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी थी। इस विनिमय से भारतीय बाजार में बहुत ज्यादा दबाव देखा जा रहा है।
मंगलवार को, खासकर कुछ बड़े स्टॉक्स ने इस गिरावट में बड़ी भूमिका निभाई। रिलायंस इंडस्ट्रीज़, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), लार्सन एंड टुब्रो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, और एचडीएफसी बैंक ने इस गिरावट को बल दिया। M&M का स्टॉक सबसे बड़ी हानि में रहा, जो 3% तक गिरा। सेंसेक्स के 30 में से 27 स्टॉक्स ने गिरावट दर्ज की।
सभी सेक्टरल इंडेक्स लाल में थे। निफ्टी रियल्टी 3.61% गिरा जबकि निफ्टी पीएसयू बैंक की गिरावट 4% तक थी। PSU बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, महाराष्ट्र बैंक, सेंट्रल बैंक, यूको बैंक, कैनरा बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक का स्टॉक 5-6% तक गिरा। अन्य सेक्टर जैसे निफ्टी मेटल, निफ्टी कंज़्यूमर डुरेबल्स, निफ्टी ऑटो, निफ्टी मीडिया और निफ्टी ऑइल & गैस का स्टॉक 2-3% तक गिरा।
बाजार पर आगे भी मंदी जारी रहने की उम्मीद जताई जा रही है। लंबे समय से एफआईआई द्वारा की जा रही विक्री और धीमी आय वृद्धि ट्रेंड के चलते बाजार पर दबाव बना रहेगा। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर कम नहीं होने की आशंका और वैश्विक वित्तीय घटक भी भारतीय बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।
सिर्फ प्रमुख इंडेक्स ही नहीं बल्कि ब्रोडर मार्केट भी इस मंदी से प्रभावित हुआ। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 3.71% और BSE मिडकैप इंडेक्स में 2.52% की गिरावट दर्ज की गई। ये संकेत बताते हैं कि बाजार की स्थिति इस समय बहुत ही संवेदनशील है और निवेशकों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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