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भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा लुढ़का, निफ्टी 24,500 के नीचे
अक्तू॰ 23, 2024
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को अचानक से एक बड़ा झटका लगा। BSE सेंसेक्स में लगभग 930 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह 80,220.72 के स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह, NSE का निफ्टी50 308.96 अंक खोकर 24,472.10 पर बंद हुआ। यह गिरावट विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा लगातार भारतीय बाजार से पैसे निकालने के कारण हुई है।

एफआईआई के द्वारा लगातार बिकवाली

अंतरराष्ट्रीय निवेशक, विशेष रूप से एफआईआई, ने भारत के बाजारों से बड़ी मात्रा में धन निकालना शुरू कर दिया है। इन निवेशकों की रुचि अब चीन और हांगकांग जैसे सस्ते बाजारों की ओर केंद्रित हो रही है। अक्टूबर महीने तक एफआईआई की कुल विक्री 88,244 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी थी। इस विनिमय से भारतीय बाजार में बहुत ज्यादा दबाव देखा जा रहा है।

घटने वाली कंपनियां

मंगलवार को, खासकर कुछ बड़े स्टॉक्स ने इस गिरावट में बड़ी भूमिका निभाई। रिलायंस इंडस्ट्रीज़, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), लार्सन एंड टुब्रो, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, और एचडीएफसी बैंक ने इस गिरावट को बल दिया। M&M का स्टॉक सबसे बड़ी हानि में रहा, जो 3% तक गिरा। सेंसेक्स के 30 में से 27 स्टॉक्स ने गिरावट दर्ज की।

सेक्टोरल असर और विश्लेषक की राय

सभी सेक्टरल इंडेक्स लाल में थे। निफ्टी रियल्टी 3.61% गिरा जबकि निफ्टी पीएसयू बैंक की गिरावट 4% तक थी। PSU बैंकों में पंजाब नेशनल बैंक, महाराष्ट्र बैंक, सेंट्रल बैंक, यूको बैंक, कैनरा बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक का स्टॉक 5-6% तक गिरा। अन्य सेक्टर जैसे निफ्टी मेटल, निफ्टी कंज़्यूमर डुरेबल्स, निफ्टी ऑटो, निफ्टी मीडिया और निफ्टी ऑइल & गैस का स्टॉक 2-3% तक गिरा।

बाजार पर लम्बी अवधि का प्रभाव

बाजार पर आगे भी मंदी जारी रहने की उम्मीद जताई जा रही है। लंबे समय से एफआईआई द्वारा की जा रही विक्री और धीमी आय वृद्धि ट्रेंड के चलते बाजार पर दबाव बना रहेगा। विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर कम नहीं होने की आशंका और वैश्विक वित्तीय घटक भी भारतीय बाजार को प्रभावित कर रहे हैं।

ब्रोडर मार्केट की स्थिति

सिर्फ प्रमुख इंडेक्स ही नहीं बल्कि ब्रोडर मार्केट भी इस मंदी से प्रभावित हुआ। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 3.71% और BSE मिडकैप इंडेक्स में 2.52% की गिरावट दर्ज की गई। ये संकेत बताते हैं कि बाजार की स्थिति इस समय बहुत ही संवेदनशील है और निवेशकों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (7)

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Ashutosh Kumar अक्तूबर 23 2024

बाजार का यह गिरावट तो पूरी आर्थिक धुंध का संकेत है!

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Gurjeet Chhabra अक्तूबर 23 2024

बाजार में जो गिरावट देखी जा रही है उससे निवेशकों को काफी डर लग रहा है
सब लोग अपने पैसे को सुरक्षित रखने की कोशिश में हैं
ऐसे समय में धैर्य रखना जरूरी है
हमें अपने पोर्टफोलियो को diversify करना चाहिए
कम जोखिम वाले विकल्पों की तरफ देखना चाहिए

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Ashish Singh अक्तूबर 23 2024

विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा इस तरह की निरंतर निकासी हमारे राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है। इस आक्रमण का प्रतिकार करने के लिये सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए और भारतीय निवेशकों को प्राथमिकता देनी चाहिए। विदेशी पूँजी के बिना भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

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ravi teja अक्तूबर 23 2024

भाई साहब, आपका मुद्दा समझ में आया, पर अभी हर कोई परेशान है, चलिए थोड़ा शांत रहके सही स्ट्रैटेजी बनाते हैं।

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Vishal Kumar Vaswani अक्तूबर 23 2024

क्या ये सब सच में सिर्फ फ़ंड आउटफ़्लो है या कोई बड़ा षड्यंत्र चल रहा है? 🤔💥 बाजार में अचानक ये गिरावट… शायद पर्दे के पीछे कुछ बड़ा खेल हो रहा है! 😱📉

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Chirantanjyoti Mudoi अक्तूबर 23 2024

बाजार में आज की गिरावट कई कारकों का मिला-जुला परिणाम है। पहले तो विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी ने लीचिंग प्रभाव पैदा किया। इसके बाद, अमेरिकी फेड की मौद्रिक नीति में बदलाव की आशंका ने निवेशकों के मन में अनिश्चितता बढ़ा दी। भारत में आर्थिक डेटा भी कुछ महीनों से कमजोर रहा, जिससे विश्वास में गिरावट आई। कंपनी की आय रिपोर्टों में भी मंदी के संकेत दिखे, विशेषकर रियल एस्टेट और बैंकों में। बाजार में निरंतर बेचने की प्रवृत्ति को देखते हुए, अल्पकालिक ट्रेडिंग में नुकसान बढ़ सकता है। लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों को अभी भी धैर्य रखना चाहिए। इतिहास में देखा गया है कि जब एक्सिट प्रेशर कम होता है, तो बाजार पुनः स्वस्थ हो जाता है। इसलिए, पोर्टफोलियो में स्थिर और मजबूत कंपनियों का हिस्सा बढ़ाना उपयोगी होगा। छोटे और मिड-कैप स्टॉक्स में अधिक जोखिम है, इसलिए उनका अनुपात घटाना चाहिए। साथ ही, डिविडेंड देने वाली कंपनियों पर ध्यान देना फायदेमंद रहेगा। मौजूदा परिदृश्य में, नयी IPOs को भी सावधानी से देखना चाहिए। विदेशी मुद्रा के उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखनी आवश्यक है, क्योंकि यह इक्विटी बाजार को प्रभावित करता है। अंत में, यह याद रखना चाहिए कि बाजार में अस्थायी गिरावटें सामान्य हैं और सही रणनीति से इन्हें अवसर में बदला जा सकता है।

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Surya Banerjee अक्तूबर 23 2024

सही कहा भाई, सबको मिलके समझना चाहिए और एक-दूसरे को सही जानकारी देना चाहिए। थोड़ा सावधानी और धीरज रखिए।

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