जितेंद्र प्रताप सिंह, कानपुर के जिलाधिकारी (डीएम) जो शहर की सार्वजनिक व्यवस्था और त्योहारों की तैयारी के लिए जिम्मेदार हैं ने 2025 की छठ पूजा के लिए कठोर निर्देश जारी किए। उनकी टीम ने पंकी गेट और अन्य प्रमुख घाटों पर सुरक्षा, सफाई और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए एक इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर, एक केंद्रीय नियंत्रण प्रणाली जो त्योहारों के दौरान सभी सुरक्षा और प्रशासनिक संसाधनों को एकजुट करती है स्थापित किया। यह नहीं कि वे केवल आदेश दे रहे हैं—वे खुद घाटों पर जाकर निरीक्षण करते हैं, ताकि लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा बनी रहे।
जितेंद्र प्रताप सिंह की नीतियाँ केवल छठ पूजा तक सीमित नहीं हैं। उनके नेतृत्व में कानपुर में बाढ़, गंदगी और आवागमन की समस्याओं के खिलाफ भी कदम उठाए गए। उनका अंदाज़ लोगों के लिए काम करने का है, न कि दफ्तर में बैठे निर्णय लेने का। यही कारण है कि जब भी कोई बड़ा त्योहार आता है, लोग उन्हें विश्वास के साथ देखते हैं। उनकी टीम ने न केवल घाटों की सफाई की, बल्कि जल निकासी, बिजली की आपूर्ति और आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं को भी तैयार किया। इस तरह, कानपुर, उत्तर प्रदेश का एक बड़ा शहर जहाँ धार्मिक त्योहारों की व्यवस्था जनता के लिए जीवन-मरण का मुद्दा होती है एक ऐसे नेतृत्व के तहत आता है जो शब्दों से ज्यादा कामों से पहचाना जाता है।
इस तरह के नेतृत्व के बारे में जानने के लिए आपको उनके निर्णयों का विस्तृत विश्लेषण चाहिए—कैसे उन्होंने बड़े भीड़भाड़ वाले घाटों को सुरक्षित बनाया, किस तरह से नागरिकों के साथ संवाद किया, और क्या उनकी नीतियाँ अन्य शहरों के लिए मॉडल बन सकती हैं। यहाँ आपको उनके कार्यकाल के दौरान हुए ऐसे ही अहम घटनाक्रमों के बारे में लिखित रिपोर्ट मिलेंगी, जिनमें उनकी रोज़मर्रा की निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया और सामाजिक व्यवस्था के लिए उठाए गए कदम शामिल हैं। ये खबरें आपको यह समझने में मदद करेंगी कि एक डीएम कैसे शहर की जिंदगी को बदल सकता है।
जितेंद्र कुमार ने खुलासा किया कि उनकी करियर यात्रा का श्रेय मेहनत से ज्यादा किस्मत को देते हैं। पंचायत, भागवत चैप्टर 1: राक्षस और मिर्जापुर फिल्म में उनके अद्वितीय किरदारों की गहराई का पता चलता है।