कभी सोचा है कि स्टेशन, बाजार या बंदरगाह पर जो भारी बैग उठाते हैं, उनके दिन किस तरह गुजरते हैं? ये कूली (पोर्टर) हमारे शहरों की रफ्तार बनाए रखते हैं। हम यहाँ ऐसे ही कामगारों से जुड़ी खबरें, समस्याएँ और समाधान साफ‑सुथरे अंदाज़ में लाते हैं।
कूली छोटे कारोबारों, स्टेशन और पोर्ट पर सामान उठाने‑ले जाने का काम करते हैं। इनमें स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के कामगार होते हैं। कई कूली मैनुअली काम करते हैं, बिना formal contract के। पैसा दिन के हिसाब से मिलता है और हेल्थ‑बेनिफिट कम होते हैं। इसलिए उनका काम भौतिक मेहनत और अनिश्चित आय का मेल है।
काम का दबाव, सुरक्षा की कमी और मौसम की मार इनकी रोज़मर्रा की चुनौतियाँ हैं। मुंबई जैसी जगहों पर तेज बारिश या बाढ़ से इनकी कमाई और सुरक्षा दोनों प्रभावित होती हैं — ऐसी ही घटनाएँ और रिपोर्ट्स आप हमारे लोकल कवरेज में देखेंगे।
कूली टैग पर हम खासकर ये बातें कवर करते हैं: मजदूरी के रुझान, कानूनी अधिकार, सुरक्षा मानक, और स्थानीय घटनाओं का असर। उदाहरण के तौर पर बजट नीतियाँ और शहर के मौसम जैसी खबरें सीधे इनके जीवन पर असर डालती हैं। हम ऐसी कहानियाँ भी साझा करते हैं जहाँ काम के घंटे, अनुबंध या मेडिकल सुरक्षा पर बहस हो रही हो।
अगर आप पूछ रहे हैं कि इस टैग से आपको क्या मिलेगा — यहाँ आपको रिपोर्ट्स, इंटरव्यू और लोकल अपडेट मिलेंगे जो सीधे कूलियों की ज़िंदगी से जुड़े हों। हम सरल भाषा में बताते हैं कि कौन‑सी नीतियाँ मददगार हो सकती हैं, किस तरह यूनियनों या एडवोकेसी समूहों ने कदम उठाए, और किस इलाके में क्या हालात हैं।
पढ़ने के बाद आप समझ पाएँगे कि रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी खबरें कैसे बड़े असर पैदा करती हैं। क्या कूलीयों को बेहतर हेल्थ कवरेज मिल रहा है? क्या बura मौसम या आर्थिक फैसले उनकी आय कम कर रहे हैं? जैसे सवालों के जवाब हम सीधे रिपोर्टिंग और स्थानीय स्रोतों से देते हैं।
अगर आप स्थानीय रिपोर्टर हैं या किसी क़िस्म की जानकारी साझा करना चाहते हैं — फोटो, वीडियो या साक्षात्कार भेजिए। आपकी जानकारी से हम मजबूत कहानियाँ बना सकते हैं। साथ ही, नए अपडेट के लिए इस टैग को फ़ॉलो करें ताकि शहर के असल हीरों की खबरें आपको तुरंत मिलें।
हमेशा ध्यान रखें: कूली सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि कई परिवारों की रोज़ी‑रोटी का नाम है। समाचार प्रारंभ पर हमारा मकसद इन्हीं आवाज़ों को सामने लाना है — सरल, तेज़ और उपयोगी खबरें जो आप समझ सकें और जिस पर स्थानीय कार्रवाई हो सके।
मलयालम अभिनेता फहाद फासिल ने रजनीकांत और लोकेश कनगराज द्वारा निर्देशित फिल्म 'कूली' में एक महत्वपूर्ण भूमिका को ठुकरा दिया है। इस खबर ने दोनों उद्योगों में तहलका मचा दिया है क्योंकि फिल्म की बहुत ज्यादा चर्चा हो रही थी। हालांकि, फहाद ने यह रोल क्यों ठुकराया इसका कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।