महिला नेतृत्व सिर्फ बड़ा पद पाने का नाम नहीं है। यह अपने फैसलों पर टिके रहना, दूसरों को प्रेरित करना और मुश्किलों में भी दिशा दिखाना है। आज स्कूल-कॉलेज, ऑफिस, स्पोर्ट्स और समुदाय में महिलाएँ मैदान जीत रही हैं — पर रास्ता हमेशा आसान नहीं होता।
सोचिए: टीम में कोई महिला अगर बोलती है तो क्या उसे बराबर सुना जाता है? अक्सर नहीं। इसलिए महिला नेताओं को अपनी बात प्रभावी और साफ़ तरीके से कहनी पड़ती है। आवाज़ उठाना जरूरी है — पर स्मार्ट तरीके से।
पहला कदम: छोटे नेतृत्व रोल लें। किसी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी, टीम मीटिंग की मेजबानी, या कम्युनिटी इवेंट का आयोजन — ये छोटे कदम भरोसा बढ़ाते हैं। दूसरे कदम: कौशल पर काम करें। वक्तव्य कला (public speaking), संक्षेप में बात रखना और बातचीत से सहमति बनाना सीखें। तीसरा कदम: सार्वजनिक जीत बनाएं। छोटे सफल प्रोजेक्ट्स को दिखाएँ ताकि लोग आपकी क्षमता देख सकें।
नेटवर्क भी जरूरी है। सहकर्मी, मेंटर्स और साथी नेताओं से जुड़ना मदद करता है। मेंटर से समय-समय पर फीडबैक लें और सलाह मानकर अपने तरीकों में सुधार करें। अगर आपको फर्क वाला मेंटर नहीं मिल रहा, तो मिक्शर नेटवर्किंग करें — वर्कशॉप, वेबिनार और लोकल ग्रुप्स का हिस्सा बनें।
परिवार या साथी सहकर्मियों से सपोर्ट लेना आसान नहीं होता, पर कोशिश करें। काम बाँटना सीखें और भरोसेमंद लोगों को जिम्मेदारी दें। समय प्रबंधन में ताकत बनिए—प्राथमिकताओं को पहचानिए और "नही" कहना सीखिए।
खुद को दिखाने से मत डरो। अपनी उपलब्धियों को बारीकी से साझा करें। इसका मतलब घमंड नहीं, बल्कि सही संदर्भ में अपनी मेहनत दिखाना है। अपने रिज़्यूमे, लिंक्डइन प्रोफाइल या टीम अपडेट में स्पष्ट रूप से परिणाम रखें—संख्याएँ और छोटे केस स्टडीज असर डालते हैं।
अक्सर महिलाएँ परफेक्शन का इंतज़ार करती हैं। पर परफेक्शन का इंतज़ार अवसर छीन सकता है। बेहतर है कि आप "कदम बढ़ाएँ और सीखें" की मानसिकता अपनाएँ। गलती होगी तो सीखेगे; यही असली विकास है।
खेलों में भी महिला नेतृत्व नजर आता है—टीम कैप्टन हों या कोचिंग स्टाफ में आवाज़, विजयी टीम्स में महिलाएँ निर्णायक रोल निभाती हैं। इससे समाज में मान्यता भी बढ़ती है और अगली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनते हैं।
अगर आप महिला नेतृत्व में कदम बढ़ाना चाहती हैं तो शुरू में छोटे लक्ष्य रखें, मेंटर खोजें, अपनी आवाज़ साफ़ रखें और बार-बार अभ्यास करें। हर कदम पर अपने अनुभव को लिखिए और सीख का रिकॉर्ड रखिए—ये छोटे कदम आगे जाकर बड़ी सफलता बन जाते हैं। क्या आप अगले महीने कोई छोटा नेतृत्व प्रोजेक्ट लेने के लिए तैयार हैं?
प्रीति सूदन ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की नई चेयरपर्सन के रूप में कार्यभार संभाला है, जो कि पूर्व चेयरमैन मनोज सोनी के इस्तीफे के बाद हुआ। प्रीति सूदन एक पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव हैं और उनके पास प्रशासन का गहन अनुभव है। वह कई महत्वपूर्ण योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर चुकी हैं।