जब कोई नकारात्मक भूमिका, एक ऐसी रणनीति जिसमें समाचार को गलत तरीके से पेश किया जाता है ताकि भावनाएँ जगाई जा सकें अपनाई जाती है, तो सच बन जाता है बिल्कुल उल्टा। ये न सिर्फ़ खबरों का रंग बदल देती है, बल्कि लोगों के विश्वास को भी धोखा देती है। जब किसी के खिलाफ़ बयान बनाया जाता है, जब किसी की बात को तोड़कर दिखाया जाता है, जब किसी के बयान को अलग तरह से इंटरप्रेट किया जाता है—ये सब राजनीति, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ शब्दों का इस्तेमाल बल के रूप में होता है का हिस्सा होता है। ये नकारात्मक भूमिका कभी सीधे नहीं आती, बल्कि एक शांत आवाज़ में, एक ट्वीट में, एक फोटो के कैप्शन में छिपकर आती है।
और जब ये भूमिका जनता, उन लोगों का समूह जिन्हें ये भूमिकाएँ बदलने के लिए बनाई जाती हैं के दिमाग में घुस जाती है, तो वो भी उसे सच मानने लगती है। जब एक किसान की आत्महत्या को राजनीतिक लड़ाई बना दिया जाता है, जब एक खिलाड़ी का बिना हैंडशेक करना एक राष्ट्रीय विवाद बन जाता है, जब एक संत की सेहत को लेकर अफवाहें फैलाई जाती हैं—ये सब नकारात्मक भूमिका के उदाहरण हैं। इनमें से कोई भी बात अकेले नहीं होती। ये सब एक डिज़ाइन का हिस्सा होती हैं: एक ऐसा डिज़ाइन जो आपको गुस्सा दिखाता है, ताकि आप उसकी जाँच न करें।
इस लिस्ट में आपको ऐसी ही खबरें मिलेंगी जहाँ सच और झूठ के बीच का फर्क धुंधला हो गया था। आप देखेंगे कि कैसे एक चाँद का उगना बन गया एक राजनीतिक इशारा, कैसे एक बिना हैंडशेक ने दो देशों के बीच का तनाव बढ़ा दिया, कैसे एक आत्महत्या की खबर को बना दिया गया एक जनता के लिए एक आवाज़। ये खबरें आपको सिर्फ़ बताएँगी कि क्या हुआ—बल्कि वो दिखाएँगी कि कैसे ये हुआ। आप खुद फैसला करेंगे कि ये खबर थी या एक नकारात्मक भूमिका।
जितेंद्र कुमार ने खुलासा किया कि उनकी करियर यात्रा का श्रेय मेहनत से ज्यादा किस्मत को देते हैं। पंचायत, भागवत चैप्टर 1: राक्षस और मिर्जापुर फिल्म में उनके अद्वितीय किरदारों की गहराई का पता चलता है।