जब बात नवरात्रि, हिन्दू धर्म का नौ दिनों तक चलने वाला प्रमुख त्यौहार है, जिसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को सम्मानित किया जाता है. वैकल्पिक रूप में इसे नव रात्री भी कहा जाता है, तो चलिए इस उत्सव के मुख्य पहलुओं को समझते हैं। इस दौरान दुर्गा, शक्तिदेवी जिनकी नौ रूपों की पूजा नवरात्रि में होती है के आभूषण, कथाएँ और नृत्य हर घर में गूंजते हैं। इसी कारण त्रिदेवी, स्मृति, शक्ति और करुणा का प्रतीक तीन स्वरूप की अभिव्यक्ति भी इस पावन माह में देखी जाती है, जिससे विभाजन को एकता में बदल दिया जाता है। कई भक्त उपवास, शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए रखी गई अनुशासनात्मक अवधि अपनाते हैं, ताकि मन को शुद्ध और शरीर को हल्का बनाया जा सके। इस प्रकार नवरात्रि सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जागरूकता का संपूर्ण मिश्रण बन जाता है।
नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, जिनमें से प्रत्येक रूप का अपना विशेष सन्देश और ताल्लुक़ हो जाता है। पहला दिन शैलपुत्री से शुरू होकर आगरा में असुरंधा तक, हर दिन एक नई कथा मिलती है, जिससे भक्तों की भावनात्मक जुड़ाव गहरा होता है। दुर्गा पूजा में उपवास और गरबा नाच का संगम भी एक अनोखा पहलू है; जबकि महिलाएँ और पुरुष दोनों मिलकर मांडली यानी गरबा करते हैं, तो वही वक्त पुजारी कलश‑आशीर्वाद के साथ शुद्धि प्रक्रिया को पूरा करते हैं। त्रिदेवी शक्ति, ज्ञान, करुणा को दर्शाती है, जिससे नवरात्रि के भजन और गीत प्रेरित होते हैं—जैसे ‘आरती’, ‘जागरण’ और ‘डुंडाले’ जो घर‑परिवार में गूंजते हैं। इस के साथ ही काली बिनती, कलश‑अर्चना और अष्टमी व नवमी की धूमधाम भी इस त्यौहार को रंगों‑भरे बनाते हैं। नवदुर्गा के विभिन्न रूपों के अनुसार वेशभूषा, सजावट और भोजन में छोटे‑छोटे बदलाव होते हैं, जो स्थानीय परंपराओं के अनुसार बदलते हैं। इस तरह नवरात्रि में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आयाम एक साथ जुड़ते हैं, जिससे हर दिन एक नई उत्सव‑क्रम है।
अब आप नवरात्रि की बारीकी से तैयार की गई इस जानकारी को अपने दैनिक जीवन में लागू कर सकते हैं—भले ही आप पहली बार पढ़ रहे हों या सालों से इसका हिस्सा हों। नीचे सूचीबद्ध लेखों में हम नवरात्रि के विभिन्न पहलुओं, जैसे काली रात्रि पूजा, साप्तमी की कथा, विशेष व्यंजनों की रेसिपी और इस साल के प्रमुख कार्यक्रमों के विस्तृत विवरण को पेश करेंगे। तो तैयार रहें, क्योंकि आगे आने वाले पोस्ट्स आपको इस पावन उत्सव की हर तह तक ले जाएंगे और आपके नवरात्रि अनुभव को और भी समृद्ध बनाएँगे।
नवरात्रि के चौथे दिन को देवी कुशमांडा की पूजा से सजाया जाता है। यह दिन मार्जर (बुध) की राह को सुदृढ़ करने, मन की शांति और ज्ञान को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पीला रंग इस दिन का शुभ रंग है और सभी वस्तुओं में शामिल किया जाता है। पारम्परिक अनुष्ठान, भोग और अर्चना का विस्तृत विवरण यहाँ पढ़ें।