ऊपर

Navratri Saptami क्या है?

नवरात्रि का सातवां दिन, जिसे हम सप्तमी कहते हैं, देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों में से काली माँ की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन को कई लोग व्रत रखकर मनाते हैं, क्योंकि माना जाता है कि काली माँ की कृपा से सभी तरह की बाधाएँ दूर हो जाती हैं। अगर आप भी इस वर्ष नवरात्रि 2025 में सप्तमी को खास बनाना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए आसान टिप्स ज़रूर पढ़ें।

सप्तमी व्रत के नियम

सप्तमी व्रत में सबसे पहले साफ‑सुथरे कपड़े पहनें और सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। व्रत का मुख्य उद्देश्य शुद्ध मन और तन रखकर देवी की आराधना करना है, इसलिए हल्का और पोषक नाश्ता रखें जैसे फल, मिठाई के छोटे टुकड़े या नारियल पानी। व्रत के दिन फल, दाल और हल्दी मिलाकर हल्का खिचड़ी भी बनायी जा सकती है। शाम को भिक्षा या दान करने से व्रत की शक्ति बढ़ती है। ध्यान रखें कि शराब, तले‑भुने और भारी भोजन से बचें।

सप्तमी पूजा की विधि

पूजा की तैयारी में सबसे पहले साफ‑सुथरा मंडप बनाएँ और काली माँ की मूर्ति या तस्वीर को शयन के सामने रखें। दो पौधों के पत्ते, लाल रंग का वस्त्र और काली माँ का रंगीन कंबल रखें। फिर कलश में गंगा जल, मिठाई के टुकड़े और सौंफ डालकर घी‑दीप जलाएँ। फिर तीन बार ‘ॐ काली काली क्रीं’ या ‘ॐ दुर्गा दुर्गा क्रीं’ का जाप करें। इस दौरान तेजा पान (संतरा, नींबू, हरी मिर्च, अदरक, लहसुन, तीखा मसाला) को पिलाकर माँ को अर्पित करें, क्योंकि माना जाता है कि तेजा पान माँ को प्रसन्न करता है।

पूजा समाप्त होने पर गुड़, नारियल के टुकड़े और फल दान करें। यदि आप घर में नहीं रहने वाले हो तो नजदीकी मंदिर में जाकर भी यह पूजा कर सकते हैं। इस तरह की सरल लेकिन सार्थक विधि से आप न केवल आध्यात्मिक शांति पा सकते हैं, बल्कि घर में भी सुख‑समृद्धि को आमंत्रित कर सकते हैं।

अंत में एक बात याद रखें – नवरात्रि का प्रत्येक दिन एक नई ऊर्जा देता है, लेकिन सप्तमी खास तौर पर काली माँ की शक्ति को जागृत करने का दिन है। इसलिए इस दिन मन लगाकर व्रत रखें, पूजा सर्वश्रेष्ठ मन से करें और तेजा पान को प्रेम से अर्पित करें। आशा है कि आपका नौ दिनों का उत्सव इस सप्तमी से और भी रंगीन हो गया होगा।

Navratri का सातवाँ दिवस माँ कालरात्रि को समर्पित है, जो दुश्मनों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करती है। इस दिन के उत्सव में नीले रंग के वस्त्र, गुड़‑आधारित मिठाइयाँ और विशेष मंत्रों का विशेष महत्व है। कथा, पूजा विधि और मंत्रों की विस्तृत जानकारी यहाँ पढ़ें।