जब आप सीबीसी जांच, भारत में आयकर विभाग द्वारा की जाने वाली जांच प्रक्रियाओं की व्यापक समीक्षा. Also known as CBDT जांच, it helps ensure tax compliance and transparency.
सीबीसी जांच का एक मुख्य भाग ITR डेडलाइन, आयकर रिटर्न जमा करने की अंतिम तिथि है। 2024‑25 वित्तीय वर्ष में यह तिथि 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी गई, जिससे टैक्सपेयर्स को अतिरिक्त दो हफ़्ते मिल गए। इस बदलाव के पीछे एजेंसी का कहना है कि देर से फाइलिंग से मिलने वाली अंतर्दृष्टि टैक्स ऑडिट को बेहतर बना सकती है। सीबीसी जांच अब इस विस्तारित टाइम‑लाइन को ध्यान में रखकर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की नई तिथि 31 अक्टूबर निर्धारित कर रही है।
एक और महत्वपूर्ण रुझान है फ़ेसलेस मूल्यांकन, आयकर विभाग के तहत ऑटोमेटेड, बिना व्यक्तिगत संपर्क के जाँच प्रक्रिया। नए AI‑सहायित सिस्टम केस आवंटन को तेज़ करते हैं और अनावश्यक प्रश्नों को कम करते हैं। इससे टैक्सपेयर्स को दो‑तीन दिनों में अपना उत्तर मिल जाता है, जबकि पहले इसे कई हफ़्ते लगते थे। यह तकनीक सीधे टैक्स ऑडिट, आयकर रिटर्न की विस्तृत जांच से जुड़ी होती है, क्योंकि ऑडिट के दौरान डेटा को तेजी से विश्लेषित किया जा सकता है।
सीबीसी जांच में इन दो तत्वों—ITR डेडलाइन की लचीलापन और फ़ेसलेस मूल्यांकन की डिजिटल सुविधा—के बीच सीधा संबंध है। जब डेडलाइन बढ़ती है, तो अधिक डेटा इकठ्ठा होता है, और फ़ेसलेस प्रणाली इस बड़े डेटा को प्रॉसेस करने में मदद करती है। इस प्रकार, "सीबीसी जांच" का दायरा सिर्फ समय सीमा बदलने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रौद्योगिकी के अपनाने से पूरी प्रक्रिया को कुशल बनाता है।
इन बदलावों के अलावा, कई विशेषज्ञों ने कहा है कि आगे चलकर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट, ऑडिट के बाद प्रकाशित विस्तृत निष्कर्ष की तिथि भी और आगे बढ़ाई जा सकती है। इसका मकसद है कि टैक्सपेयर्स को सुधार के लिए पर्याप्त समय मिले और विभाग को सटीक डेटा मिल सके। इस दिशा में किए जा रहे सुधारों को समझना हर करदाता के लिये जरूरी है, क्योंकि यह सीधे उनके दायित्वों और संभावित लाभों को प्रभावित करता है।
निचे दिए गए लेखों में आप देखेंगे कि कैसे नई ITR डेडलाइन, फ़ेसलेस मूल्यांकन और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का संशोधन एक दूसरे को पूरक बनाते हैं, और ये सभी बदलाव आपके टैक्स फाइलिंग के अनुभव को आसान बनाते हैं। आगे पढ़ें और जानें कि इस जानकारी से आप कैसे लाभ उठा सकते हैं।
सीबीसी की नई जाँच ने दुबई में चल रहे ‘पोर्टा पोटी’ पार्टियों को उजागर किया। उगांडा की दो युवतियों की रहस्यमयी मौतें इस बड़े तस्करी जाल से जुड़ी हैं। नेटवर्क महिलाओं को झूठे काम के वादे से लुभाकर यौन शोषण में फँसा रहा है। जाँच ने धोखाधड़ी, कर्ज‑भुगतान, और नस्ल‑आधारित अपमान के पहलुओं को सामने लाया। इस खुलासे से दुबई और उगांडा दोनों सरकारों पर जवाबदेही की माँग बढ़ी है।