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दुबई पोर्टा पोटी स्कैंडल: उगांडा महिलाओं की घातक तस्करी नेटवर्क का खुलासा
सित॰ 26, 2025
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

स्कैंडल की पृष्ठभूमि और सीबीसी की जाँच

सितंबर 2025 में सीबीसी इय इन्क्वेस्टिगेशन्स ने दुबई पोर्टा पोटी नामक डॉक्युमेंट्री जारी की, जिसमें दुबई में उगांडा महिलाओं की तस्करी का जड़ता‑भरा जाल उजागर हुआ। डॉक्युमेंट्री में दो युवा महिलाओं— मोनिक कुरुंजि (23) और कायला बुनजी (21)— की मौतों पर गहन जाँच की गई, जिनके गिरने को आधिकारिक तौर पर आत्महत्या बताया गया था। दोनों मामलों में घटना स्थल दुबई के अल‑बारशा हाई‑राइज़ेज़ थे, जहाँ से उन्होंने क्रमशः 20वीं और 22वीं मंजिल से नीचे गिरकर अपनी जान गंवाई।

जाँच के मुख्य आरोपी चार्ल्स ‘एबी’ मेवेसिग्यावा, एक उगांडीय मूल के पूर्व लंदन बस ड्राइवर, ने इस नेटवर्क का संचालन किया। मेवेसिग्यावा का दावा था कि वह ‘पार्टी’ आयोजित करता है, लेकिन जाँच ने दिखाया कि यह ‘पार्टी’ सिर्फ उच्च वर्ग के ग्राहकों के लिए यौन दुरुपयोग की सुविधा थी।

बलीयों की कहानियाँ और तस्करी के तंत्र

बलीयों की कहानियाँ और तस्करी के तंत्र

जाँच में पता चला कि मेवेसिग्यावा की टीम काठमांडू, किगाली और क्यूगाली जैसे दुबई के स्लम क्षेत्रों में युवतियों को सुपरमार्केट या होटल में नौकरी का झूठा वादा देती थी। ये महिलाएं 2,000 पाउंड के लगभग यात्रा‑और‑रहने के खर्च का कर्ज लेती थीं, जिसे वे केवल यौन काम करके ही चुकातीं।

  • कुशलता से बनाये गए सोशल‑मीडिया प्रोफाइल और फर्जी नामों से संपर्क किया जाता था।
  • भर्ती के बाद, महिलाएं दुबई पहुंचतीं और तुरंत उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया जाता था, जहाँ उन्हें ‘घर का काम’ करने के लिए मजबूर किया जाता था।
  • यदि महिला असहमत होती, तो उन्हें कई घंटे तक कमरे में रख कर दबाव बनाया जाता।
  • ग्राहकों को ‘ओपन‑माइंडेड’ बताकर $1,000 से अधिक की मौद्रिक कीमत पर ‘पोर्टा पोटी’ शौकिया दृश्य— पेशाब, मल, मारपीट और यहाँ तक कि मानव अपशिष्ट के सेवन— की पेशकश की जाती थी।

एक पूर्व सहयोगी ट्रॉय ने बताया कि मेवेसिग्यावा ने महिलाओं को ‘इंसानों को पैसे के लिये बेचने’ वाला कहा और काले रंग की महिलाओं को विशेष रूप से चुनते थे क्योंकि ‘क्लाइंट उनका प्रतिरोध देखना चाहते हैं, जिससे अपमान में इज़ाफ़ा हो’। इस अलग‑अलग वर्गीकरण ने नस्लीय भेदभाव को भी उजागर किया।

जाँच में मिले गवाहों ने बताया कि मोनिक ने अपने बालकनी पर किसी के साथ झगड़ा किया था और फिर गिर पड़ा। कायला के खून में न तो शराब था न ही ड्रग्स, जिससे पुलिस की ‘स्वास्थ्य कारणों से’ आत्महत्या की थीसिस पर सवाल उठे।

दुर्भाग्यवश, दुबई पुलिस अक्सर अफ्रीकी पीड़ितों की शिकायतों को ‘समुदायिक समस्या’ कह कर नज़रअंदाज़ करती है, जबकि उगांडा की सरकारी एजेंसियां कई बार समन्वय में असफल रहती हैं। इस कारण से शिकार महिलाओं को बचाने और पृष्ठभूमि में चल रहे जाल को तोड़ने में काफी दिक्कत आती है।

डॉक्युमेंट्री के प्रसारण के बाद सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया आई। कई यूज़र ने उगांडा सरकार से इस तस्करी नेटवर्क को खत्म करने, मेवेसिग्यावा सहित सम्बंधित सभी को क़दम उठाने तथा पीड़ितों को राहत‑पैकेज देने की माँग की। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए दुबई की न्याय व्यवस्था में सुधार की आवाज़ दी।

अब तक की जाँच से यह स्पष्ट है कि इस प्रकार की ‘पोर्टा पोटी’ पार्टियां सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी का जटिल जाल है, जिसमें भ्रष्ट वित्तीय लेन‑देन, सामाजिक गड़बड़ी और कानूनी अड़चनें आपस में जुड़ी हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये दोनों देशों को मिलकर सीधी‑सपाट नीतियां बनानी होंगी, जिसमें भर्ती प्रक्रिया की जांच, कर्ज‑वसूली के नियम और पीड़ितों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम शामिल हों।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (17)

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Mohammed Azharuddin Sayed सितंबर 26 2025

In recent news, दुबई में उगांडा महिलाओं की तस्करी का जाल बड़ा घिनौना उजागर हुआ है। इस जाँच से पता चला कि नेटवर्क ने नौकरी के झूठे वादे के तहत महिलाओं को फँसाया। कई शिकार अपनी देनदारियों को चुकाने के लिए असहनीय दुविधा में फँसे। अदालती कारवाइयों को तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। अन्य देशों के उदाहरण से सीखना संभव है।

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Avadh Kakkad सितंबर 30 2025

वास्तव में, ऐसी अंतरराष्ट्रीय तस्करी के केस अक्सर सीमापार सहयोग की कमी की वजह से फँस जाते हैं। दुबई और उगांडा दोनों को कानून के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लानी चाहिए। इसके अलावा, कर्ज‑वसूली के धाँधले को रोकने के लिए वित्तीय नियमन कड़ा होना चाहिए। अन्य देशों के उदाहरण से सीखना संभव है।

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Sameer Kumar अक्तूबर 5 2025

समाज में महिलाओं की सुरक्षा का सवाल गंभीर है इस दस्तावेज़ी में उजागर किए गए जाल से पता चलता है कि इंसानों का व्यापार अब भी चलता है और यह सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि मानवीय दुराचार है हमें इससे लड़ना चाहिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए अपराधियों को सजा दिलानी चाहिए पीड़ितों को राहत पैकेज देना चाहिए अंतरराष्ट्रीय मदद से नेटवर्क को तोड़ना चाहिए

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naman sharma अक्तूबर 10 2025

यह स्पष्ट है कि इस व्यापक तस्करी नेटवर्क के पीछे न केवल आर्थिक मोटिवेशन है, बल्कि एक गुप्त एजेंडा भी छिपा हुआ है। ऐसे मामलों में अक्सर अतिप्रवर्तनकारी एजेंसियों की कूटनीतिक अज्ञाता भूमिका होती है। यदि उचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग नहीं किया गया तो यह जाल और भी विकसित हो सकता है। इसलिए, प्रत्येक देश को अपने कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करना अनिवार्य है।

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Sweta Agarwal अक्तूबर 15 2025

ओह, क्या बात है, दुबई की हवा में और भी कई रहस्य बिखरे हैं।

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KRISHNAMURTHY R अक्तूबर 20 2025

देखो भाई, ये पूरी स्कीमा एक हाई‑टिकट फ़्रॉड है, जहाँ ‘पोर्टा पोटी’ को एक निचले‑स्तर के या‑सर्विस प्रोडक्ट की तरह पैकेज किया जाता है 🤷‍♂️
उच्च वर्ग के क्लाइंट इस तरह के ‘डार्क मार्केट’ सर्विसेज़ में निवेश करने के लिए तैयार होते हैं, इसलिए ऐसे नेटवर्क को ट्रैक करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।

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priyanka k अक्तूबर 25 2025

भाई, ऐसे तोड़‑फोड़ वाले नेटवर्क को दफ़न करने में सरकार का सफ़र भी एक 'ड्रामा' बन जाता है 😂।
अगर चीज़ें तुरंत बदलनी हों तो हमें अपने कानूनी ढाँचे को तेज़ी से अपडेट करना चाहिए।

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sharmila sharmila अक्तूबर 29 2025

मैने सुना कि उगांडा महिलाधारन वाले केस में बहुत सारा ग़ैरक़ानूनी चीज़ें चल रही है। हमें इस को लेकर सच्चे दिल से सपोर्ट देना चाहिए और पीड़ितों की मदद करनी चाहिए।

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Shivansh Chawla नवंबर 3 2025

ऐसी बातों को सुनकर भारत की इमेज को भी नुकसान होता है, हमें विदेश में अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। इस नेटवर्क को खत्म करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग नहीं, बल्कि सख्त राष्ट्रीय नीतियों की जरूरत है।

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Akhil Nagath नवंबर 8 2025

मानवता का सिद्धांत कहता है कि कोई भी व्यक्ति दूसरों को वस्तु के रूप में नहीं बेचना चाहिए। इस प्रकार की दुर्दांत तस्करी हम सभी के नैतिक मूल्यों को चोट पहुँचाती है 😊। स्पष्ट है कि न्यायिक प्रणाली को सख्ती से कार्य करना चाहिए।

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vipin dhiman नवंबर 13 2025

ये सब तो बेकार की बातें हैं, दुबई में ऐसी चीज़ें चलती रहती हैं, हमें अपना ध्यान भारत पर रखना चाहिए।

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vijay jangra नवंबर 18 2025

समाज के हर कोने में अगर हम जागरूकता फैलाएँ तो ऐसे नेटवर्क के खतरे को कम किया जा सकता है। शिकार महिलाओं को पुनर्वास कार्यक्रमों की ज़रूरत है, जिससे वे पुनः स्वतंत्र जीवन जी सकें। सरकारी सहायता और NGOs का सहयोग इस दिशा में अहम है।

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Vidit Gupta नवंबर 23 2025

दुबई में इस स्कैण्डल ने दिखाया है, कि कैसे भ्रष्टाचार, आर्थिक दबाव, और सामाजिक उन्माद, मिलकर एक ख़तरेनाक तस्करी जाल बनाते हैं, जो नारी जीवन को चीरता है, तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमी, इस समस्या को और जटिल बनाती है।

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Gurkirat Gill नवंबर 28 2025

हम सबको मिलकर इस मुद्दे को उठाना चाहिए और सरकार से तेज़ कार्रवाई की माँग करनी चाहिए। सकारात्मक बदलाव के लिये लोगों का समर्थन आवश्यक है।

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Sandeep Chavan दिसंबर 2 2025

यह बहुत ही गंभीर मामला है, और हमें तुरंत ही इस पर कार्रवाई करनी चाहिए! कई महिलाएँ इस जाल में फँसी हैं, और उन्हें अब सुरक्षित जगह चाहिए! सभी को मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए!

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anushka agrahari दिसंबर 7 2025

मानवाधिकार की दृष्टि से, ऐसे नेटवर्क का अस्तित्व नैतिक रूप से अस्वीकार्य है; इसलिए, न्यायिक प्रणाली को सख्त कदम उठाने चाहिए; इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन आवश्यक है; सामाजिक पुनर्वास के साथ, शैक्षिक जागरूकता भी अनिवार्य है।

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aparna apu दिसंबर 12 2025

दुबई पोर्टा पोटी स्कैंडल ने यह उजागर किया है कि मानव तस्करी केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक महामारी है। इस जाल में शामिल प्रत्येक व्यक्ति, चाहे वह एबी मेवेसिग्यावा जैसा प्रमुख हो या छोटे स्तर के सहायक, सभी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। महिलाओं को नौकरी के बहाने फँसाकर, उन्हें अत्याचार का शिकार बनाना मानवता के विरुद्ध एक गंभीर अपराध है। इस प्रक्रिया में सामाजिक वर्गीकरण और नस्लीय भेदभाव भी स्पष्ट रूप से देखा गया है, जो सामाजिक समरसता को और कमजोर करता है। वर्तमान में दुबई की कानूनी व्यवस्था इस तरह के जटिल नेटवर्क को रोकने में पर्याप्त नहीं लगती। इसलिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ साथ, दुबई के स्थानीय निकायों को भी अपने नियमों को सख्त बनाना होगा। उगांडा सरकार को भी अपनी सीमा बाहर के नेटवर्क को निगरानी में रखने के लिए अधिक सक्रिय रहना चाहिए। वित्तीय लेन‑देन की पारदर्शिता को बढ़ावा देना, कर्ज‑वसूली के प्रचलन को नियंत्रित करना, और पीड़ितों को पुनर्वास के अवसर प्रदान करना बहुत ज़रूरी है। सामाजिक संस्थाओं को मिलकर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, जिससे संभावित शिकार इन जालों से बच सकें। इस प्रकार के नेटवर्क को तोड़ने के लिए तकनीकी सहायता, जैसे कि डेटा‑एनालिटिक्स और डिजिटल ट्रैकिंग, का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। साथ ही, पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता और कानूनी सलाह प्रदान करना उनका अधिकार है। भविष्य में, यदि ऐसी घटनाएँ दोहराई नहीं जातीं तो हम एक अधिक सुरक्षित और न्यायप्रिय समाज की ओर बढ़ सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि प्रत्येक जीवन अनमोल है, और कोई भी व्यक्ति इसे वस्तु की तरह बेचने का अधिकार नहीं रखता। अंत में, सभी संबंधित पक्षों को मिलकर इस अंधेरे जाल को उजागर करने और समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

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