सितंबर 2025 में सीबीसी इय इन्क्वेस्टिगेशन्स ने दुबई पोर्टा पोटी नामक डॉक्युमेंट्री जारी की, जिसमें दुबई में उगांडा महिलाओं की तस्करी का जड़ता‑भरा जाल उजागर हुआ। डॉक्युमेंट्री में दो युवा महिलाओं— मोनिक कुरुंजि (23) और कायला बुनजी (21)— की मौतों पर गहन जाँच की गई, जिनके गिरने को आधिकारिक तौर पर आत्महत्या बताया गया था। दोनों मामलों में घटना स्थल दुबई के अल‑बारशा हाई‑राइज़ेज़ थे, जहाँ से उन्होंने क्रमशः 20वीं और 22वीं मंजिल से नीचे गिरकर अपनी जान गंवाई।
जाँच के मुख्य आरोपी चार्ल्स ‘एबी’ मेवेसिग्यावा, एक उगांडीय मूल के पूर्व लंदन बस ड्राइवर, ने इस नेटवर्क का संचालन किया। मेवेसिग्यावा का दावा था कि वह ‘पार्टी’ आयोजित करता है, लेकिन जाँच ने दिखाया कि यह ‘पार्टी’ सिर्फ उच्च वर्ग के ग्राहकों के लिए यौन दुरुपयोग की सुविधा थी।
जाँच में पता चला कि मेवेसिग्यावा की टीम काठमांडू, किगाली और क्यूगाली जैसे दुबई के स्लम क्षेत्रों में युवतियों को सुपरमार्केट या होटल में नौकरी का झूठा वादा देती थी। ये महिलाएं 2,000 पाउंड के लगभग यात्रा‑और‑रहने के खर्च का कर्ज लेती थीं, जिसे वे केवल यौन काम करके ही चुकातीं।
एक पूर्व सहयोगी ट्रॉय ने बताया कि मेवेसिग्यावा ने महिलाओं को ‘इंसानों को पैसे के लिये बेचने’ वाला कहा और काले रंग की महिलाओं को विशेष रूप से चुनते थे क्योंकि ‘क्लाइंट उनका प्रतिरोध देखना चाहते हैं, जिससे अपमान में इज़ाफ़ा हो’। इस अलग‑अलग वर्गीकरण ने नस्लीय भेदभाव को भी उजागर किया।
जाँच में मिले गवाहों ने बताया कि मोनिक ने अपने बालकनी पर किसी के साथ झगड़ा किया था और फिर गिर पड़ा। कायला के खून में न तो शराब था न ही ड्रग्स, जिससे पुलिस की ‘स्वास्थ्य कारणों से’ आत्महत्या की थीसिस पर सवाल उठे।
दुर्भाग्यवश, दुबई पुलिस अक्सर अफ्रीकी पीड़ितों की शिकायतों को ‘समुदायिक समस्या’ कह कर नज़रअंदाज़ करती है, जबकि उगांडा की सरकारी एजेंसियां कई बार समन्वय में असफल रहती हैं। इस कारण से शिकार महिलाओं को बचाने और पृष्ठभूमि में चल रहे जाल को तोड़ने में काफी दिक्कत आती है।
डॉक्युमेंट्री के प्रसारण के बाद सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया आई। कई यूज़र ने उगांडा सरकार से इस तस्करी नेटवर्क को खत्म करने, मेवेसिग्यावा सहित सम्बंधित सभी को क़दम उठाने तथा पीड़ितों को राहत‑पैकेज देने की माँग की। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए दुबई की न्याय व्यवस्था में सुधार की आवाज़ दी।
अब तक की जाँच से यह स्पष्ट है कि इस प्रकार की ‘पोर्टा पोटी’ पार्टियां सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी का जटिल जाल है, जिसमें भ्रष्ट वित्तीय लेन‑देन, सामाजिक गड़बड़ी और कानूनी अड़चनें आपस में जुड़ी हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये दोनों देशों को मिलकर सीधी‑सपाट नीतियां बनानी होंगी, जिसमें भर्ती प्रक्रिया की जांच, कर्ज‑वसूली के नियम और पीड़ितों के लिए पुनर्वास कार्यक्रम शामिल हों।
टिप्पणि (5)
Mohammed Azharuddin Sayed सितंबर 26 2025
In recent news, दुबई में उगांडा महिलाओं की तस्करी का जाल बड़ा घिनौना उजागर हुआ है। इस जाँच से पता चला कि नेटवर्क ने नौकरी के झूठे वादे के तहत महिलाओं को फँसाया। कई शिकार अपनी देनदारियों को चुकाने के लिए असहनीय दुविधा में फँसे। अदालती कारवाइयों को तेज़ी से आगे बढ़ाने की जरूरत है। अन्य देशों के उदाहरण से सीखना संभव है।
Avadh Kakkad अक्तूबर 1 2025
वास्तव में, ऐसी अंतरराष्ट्रीय तस्करी के केस अक्सर सीमापार सहयोग की कमी की वजह से फँस जाते हैं। दुबई और उगांडा दोनों को कानून के कार्यान्वयन में पारदर्शिता लानी चाहिए। इसके अलावा, कर्ज‑वसूली के धाँधले को रोकने के लिए वित्तीय नियमन कड़ा होना चाहिए। अन्य देशों के उदाहरण से सीखना संभव है।
Sameer Kumar अक्तूबर 5 2025
समाज में महिलाओं की सुरक्षा का सवाल गंभीर है इस दस्तावेज़ी में उजागर किए गए जाल से पता चलता है कि इंसानों का व्यापार अब भी चलता है और यह सिर्फ आर्थिक नहीं बल्कि मानवीय दुराचार है हमें इससे लड़ना चाहिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए अपराधियों को सजा दिलानी चाहिए पीड़ितों को राहत पैकेज देना चाहिए अंतरराष्ट्रीय मदद से नेटवर्क को तोड़ना चाहिए
naman sharma अक्तूबर 10 2025
यह स्पष्ट है कि इस व्यापक तस्करी नेटवर्क के पीछे न केवल आर्थिक मोटिवेशन है, बल्कि एक गुप्त एजेंडा भी छिपा हुआ है। ऐसे मामलों में अक्सर अतिप्रवर्तनकारी एजेंसियों की कूटनीतिक अज्ञाता भूमिका होती है। यदि उचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग नहीं किया गया तो यह जाल और भी विकसित हो सकता है। इसलिए, प्रत्येक देश को अपने कानूनी ढांचे को सुदृढ़ करना अनिवार्य है।
Sweta Agarwal अक्तूबर 15 2025
ओह, क्या बात है, दुबई की हवा में और भी कई रहस्य बिखरे हैं।