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सिंध: भारत के पड़ोसी का इतिहास, संस्कृति और आज की वास्तविकता

जब आप सिंध, प्राचीन सभ्यता का एक केंद्र और आज का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र, जो भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है. यह भी जाना जाता है सिंध प्रांत, यह सिंध नदी के किनारे बसा हुआ है, जो इसकी पहचान का आधार है। आज भी जब कोई बात करता है सिंध की, तो उसके मन में न सिर्फ भूमि आती है, बल्कि एक जीवित संस्कृति भी। ये वह जगह है जहाँ सिंधी भाषा के शब्द अभी भी घरों में गूंजते हैं, जहाँ लोग अपने पूर्वजों की रसोई, गीत और त्योहार बरकरार रखते हैं।

सिंध का इतिहास बहुत पुराना है। यहीं पर हड़प्पा सभ्यता, दुनिया की सबसे पुरानी नगरीय सभ्यताओं में से एक, जिसके अवशेष आज भी सिंध और पाकिस्तान के क्षेत्र में मिलते हैं विकसित हुई। आज भी जब कोई इस नदी के किनारे चलता है, तो उसे लगता है जैसे इतिहास उसके साथ चल रहा हो। सिंधी समुदाय, जो भारत के कई शहरों में बस गए, अभी भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। वो लोग जिन्होंने 1947 में अलग होने के बाद भारत आकर नया घर बनाया, उनकी कहानियाँ बस एक बार नहीं, बल्कि बार-बार सुनी जानी चाहिए। ये लोग अपने खाने, अपने गीतों और अपनी भाषा को बचाए हुए हैं — बिना किसी बड़े घोषणापत्र के, बस दिनचर्या में।

सिंध का मायने बस इतिहास तक ही नहीं है। ये एक जीवित जुड़ाव है। जब भारत में कोई सिंधी घर में चावल के साथ बैंगन की सब्जी बनाता है, तो वो एक अलग तरह की याद जगाता है। जब कोई सिंधी बच्चा अपनी माँ के गीत सुनता है, तो वो एक ऐसी पहचान से जुड़ता है जिसका जन्म आज के देश की सीमाओं से पहले हुआ था। ये सब आज भी चल रहा है — न केवल भारत में, बल्कि पाकिस्तान के भीतर भी। और यही वजह है कि जब आप सिंध की बात करते हैं, तो आप किसी एक जगह की बात नहीं कर रहे, बल्कि एक ऐसे जीवन की बात कर रहे हैं जो बांटे गए थे, लेकिन अभी भी एक है।

इस पेज पर आपको ऐसी ही कहानियाँ मिलेंगी — जो सिंध के इतिहास, लोगों और उनकी रोज़मर्रा की जिंदगी से जुड़ी हैं। कुछ खबरें उस नदी के किनारे की हैं, कुछ भारत के शहरों में बसे सिंधी परिवारों की, कुछ तो उन लोगों की हैं जो अभी भी अपनी जड़ों को याद करते हैं। ये सब बातें आपको बताएंगी कि सिंध केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक जीवन है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सिंध फिर से भारत में आ सकता है, क्योंकि सीमाएँ बदल सकती हैं। यह बयान ऑपरेशन सिंधू के बाद भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा है।