जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 23 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित सिंधी समाज सम्मेलन में कहा कि "सिंध फिर से भारत में आ सकता है", तो केवल एक भाषण नहीं, बल्कि एक जियोपॉलिटिकल बम फट गया। यह बयान किसी भावुक भाषण का हिस्सा नहीं था — यह एक स्पष्ट, जानबूझकर दिया गया संकेत था कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति अब केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्हें फिर से लिखने की संभावना तक फैल गई है।
सिंध: एक अधूरी विभाजन की याद
1947 के विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, लेकिन उसकी आत्मा का एक हिस्सा भारत में रह गया। लाखों सिंधी हिंदू परिवार भारत आए, लेकिन उनके दिल में इंदुस नदी का स्नेह, उनकी भाषा का स्वर, उनके उत्सवों की गूंज — सब कुछ अभी भी पाकिस्तान की धरती से जुड़ा हुआ है। राजनाथ सिंह ने याद दिलाया कि उन्होंने 2019 में दिल्ली के सिंधी समुदाय की दुर्दशा देखी थी — जहाँ पुराने घरों में रहने वाले बुजुर्ग अभी भी अपने गाँव के नाम बुलाते हैं, जो अब पाकिस्तान के नक्शे पर हैं। उन्होंने कहा: "हमारे सिंधी लोग, जो इंदुस नदी को पवित्र मानते हैं, हमारे ही हैं। वे जहाँ भी हों, हमारे ही रहेंगे।"
तीसरी बार, एक ही संदेश
यह राजनाथ सिंह का तीसरा ऐसा बयान है जो पिछले दो महीनों में सामने आया है। अक्टूबर 2025 में, गुजरात के रन ऑफ कच्छ में उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी: "सर क्रीक क्षेत्र में पाकिस्तान की कोई भी भूल, इतिहास और भूगोल बदल देगी।" सितंबर में, मोरक्को में भारतीय समुदाय से बातचीत के दौरान, उन्होंने कहा कि "पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) अपने आप हमारा हो जाएगा" — और यह सिर्फ आशा नहीं, बल्कि एक दावा था कि वहाँ विद्रोह की आवाज़ें पहले से ही उठ रही हैं। अब सिंध का नाम लेकर उन्होंने इस तार्किक श्रृंखला को पूरा कर दिया है।
ऑपरेशन सिंधू के बाद का तनाव
यह बयान बिल्कुल भी अचानक नहीं आया। 7 मई, 2025 को भारत ने ऑपरेशन सिंधू नामक एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की, जिसमें भारत ने पाकिस्तान प्रशासित आज़ाद कश्मीर और पंजाब के नौ स्थानों पर ब्रह्मोस मिसाइलों, लॉइटरिंग म्यूनिशन्स और अकाशतीर वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग किया। ये सभी भारतीय विकसित प्रणालियाँ थीं — जिससे यह साबित हुआ कि भारत अब केवल आक्रमण करने की क्षमता रखता है, बल्कि उसे अपने तरीके से भी कर सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऑपरेशन में भारत कम से कम तीन विमान खो चुका है, जिनमें से एक दसाल्ट राफेल भी शामिल है। अमेरिकी विश्लेषकों का कहना है कि यह एक ऐसा मोड़ है जिसने भारत की सैन्य आत्मविश्वास को नए स्तर पर ले जाया है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का डर
पाकिस्तान अभी तक चुप है, लेकिन यह चुप्पी शांति नहीं, बल्कि तूफान से पहले की चुप्पी है। कामा प्रेस के रिपोर्टर फिदेल रहमती ने 24 नवंबर को लिखा कि "इस बयान के बाद पाकिस्तानी सेना और विदेश मंत्रालय तुरंत एक अत्यधिक कठोर बयान जारी करेंगे।" पाकिस्तान ने पहले ही सिंध को अपनी "सांस्कृतिक विरासत" के रूप में देखा है — और अब भारत उसे अपनी "सभ्यता" का हिस्सा बनाने की कोशिश कर रहा है। यह विवाद केवल भूमि का नहीं, बल्कि इतिहास के अर्थ का भी है।
पुरानी गलतियों का आरोप
राजनाथ सिंह ने सिर्फ पाकिस्तान को नहीं, बल्कि भारत के पिछले सरकारों को भी आलोचित किया। उन्होंने कहा: "हमने अपने पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार नहीं दिए।" यह एक गहरा बयान है। 1947 के बाद भारत ने सिंधी हिंदू शरणार्थियों को बसाया, लेकिन उन्हें वास्तविक सामाजिक-आर्थिक समावेशन नहीं दिया। अब यह बयान एक नए दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है — जहाँ भारत केवल अपनी सीमाओं की रक्षा नहीं करेगा, बल्कि अपनी सभ्यता के बिखरे हुए टुकड़ों को एकत्र करने की कोशिश करेगा।
भविष्य क्या लेकर आएगा?
यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक नीति का आरंभ है। अगर भारत ने ऑपरेशन सिंधू के बाद अपनी सैन्य शक्ति को साबित कर दिया है, तो अब यह दावा करने की नीति शुरू हो रही है कि भूमि अस्थायी है, लेकिन सभ्यता स्थायी है। अगले छह महीनों में, भारत संभवतः सिंधी समुदाय के लिए एक विशेष नीति घोषित करेगा — शायद उनकी भाषा को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में शामिल करना, या उनके बच्चों के लिए पाकिस्तान में रहने वाले संबंधियों से जुड़ने की सुविधा देना। यह एक शांतिपूर्ण, लेकिन अत्यधिक लंबी अवधि की रणनीति है — जिसका लक्ष्य न केवल भूमि, बल्कि इतिहास का दावा है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या राजनाथ सिंह का यह बयान युद्ध का संकेत है?
नहीं, यह सीधा युद्ध का संकेत नहीं है, लेकिन यह एक स्पष्ट चेतावनी है कि भारत अब सीमाओं को स्थायी नहीं मानता। ऑपरेशन सिंधू के बाद भारत की सैन्य क्षमता बढ़ गई है, और अब राजनीतिक दावे उसी आत्मविश्वास के साथ आ रहे हैं। यह एक रणनीतिक दबाव बनाने का तरीका है — जिसमें सैन्य शक्ति के बिना भी भू-राजनीतिक लाभ हासिल किया जा सकता है।
सिंधी समुदाय को इस बयान से क्या फायदा होगा?
इस बयान से सिंधी समुदाय को भारत में अपनी पहचान का नया आत्मविश्वास मिलेगा। अब उनकी भाषा, संस्कृति और इतिहास को राष्ट्रीय चर्चा का हिस्सा बनाया जा सकता है। शायद भारत सिंधी शरणार्थियों के लिए नए आर्थिक योजनाएँ शुरू करे, या पाकिस्तान में रहने वाले सिंधी लोगों के लिए वीजा सुविधाएँ बढ़ाए। यह एक सांस्कृतिक एकीकरण की रणनीति है।
क्या पाकिस्तान के पास इसका जवाब देने के लिए कोई विकल्प है?
पाकिस्तान के पास तीन विकल्प हैं: शांतिपूर्ण डिप्लोमेसी, अपने अल्पसंख्यकों के साथ अत्यधिक कठोर व्यवहार, या एक नई सैन्य घटना का आयोजन। लेकिन अब उसके पास कोई बड़ी सैन्य ताकत नहीं है — ऑपरेशन सिंधू के बाद उसकी वायु सेना क्षमता घट चुकी है। इसलिए वह संभवतः अपने अंदर के सिंधी अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार बढ़ाएगा, जो भारत के लिए एक नया मानवाधिकार मुद्दा बन जाएगा।
क्या यह बयान सिर्फ चुनावी गणना का हिस्सा है?
चुनावी गणना का हिस्सा तो हो सकता है, लेकिन यह सिर्फ वही नहीं है। राजनाथ सिंह ने 2019 में सिंधी समुदाय के साथ काम किया था — यह एक लंबा संबंध है। इस बयान के पीछे एक विचार है: भारत की सीमाएँ राजनीति की नहीं, बल्कि सभ्यता की हैं। यह एक नई राष्ट्रीय कहानी की शुरुआत है — जो चुनाव से परे है।
क्या इंदुस नदी का संदेश असली है?
बिल्कुल। इंदुस नदी का महत्व भारतीय सभ्यता के लिए बहुत गहरा है। हड़प्पा सभ्यता इसी नदी के किनारे उगी थी। आज भी भारत में रहने वाले सिंधी हिंदू नदी को पवित्र मानते हैं। राजनाथ सिंह ने यह भावना नहीं बनाई — उन्होंने उसे जगाया है। यह एक सांस्कृतिक जागृति का संकेत है।
अगले कदम क्या होंगे?
अगले छह महीनों में भारत संभवतः एक राष्ट्रीय सिंधी दिवस घोषित करेगा, शायद 14 अगस्त को — जो पाकिस्तान के आजादी दिवस का दिन है। इसके साथ ही भारत सिंधी भाषा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल कर सकता है। यह एक शांतिपूर्ण, लेकिन अत्यधिक प्रभावशाली तरीका है जिससे भारत अपनी सभ्यता का दावा दोहरा सकता है — बिना एक गोली चलाए।
टिप्पणि (11)
Anoop Singh नवंबर 27 2025
ये सब बकवास है भाई, सिंध तो पाकिस्तान का हिस्सा है और इंदुस नदी का जो दावा है वो भी बस भावुकता का खेल है। अगर हम ऐसे ही सीमाएं बदलने लगे तो अगला कदम क्या होगा? बंगाल वापस लेना? बिहार वापस लेना? ये सब बस नेताओं की चुनावी चाल है।
Omkar Salunkhe नवंबर 28 2025
yo raja nath singh ne kaha tha ki sindh wapas ayega... lekin kya unhone socha ki sindhi log apne ghar ke baare me yaad karte hain ya sirf ek political slogan ke taur pe? ye sab bas ek jhootha narrative hai jo media ko feed karne ke liye bana gaya hai. aur haan, operation sindhu? kya woh ek missile strike tha ya ek instagram reel?
raja kumar नवंबर 29 2025
हमारे पास एक अनोखा मौका है। सिंध का इतिहास, संस्कृति, भाषा - ये सब भारतीय विरासत का हिस्सा है। हमें बस इतिहास को नहीं, बल्कि उसके लोगों को भी शामिल करना होगा। वो जो पाकिस्तान में रहते हैं, वो भी हमारे हैं। इसके लिए न सैन्य बल चाहिए, न राजनीति - बल्कि सम्मान और समझ।
हमें उनकी भाषा को पाठ्यक्रम में डालना चाहिए। उनके लिए वीजा सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। ये शांति से बनाई जाने वाली एकता है।
Sumit Prakash Gupta नवंबर 30 2025
ये एक डिसरप्शन इकोसिस्टम है। राजनाथ सिंह ने एक नेक्सट-जेन नैशनल सिक्योरिटी फ्रेमवर्क को एक्टिवेट किया है। सिंध का डिक्लेरेशन एक स्ट्रैटेजिक एन्ट्री पॉइंट है - जिससे हम एक नए कल्चरल रिडिफिनिशन प्रोटोकॉल को लॉन्च कर सकते हैं। ये ना तो वॉर है, ना ही ब्लाकेड। ये एक सॉफ्ट पावर ऑपरेशन है जिसमें हिस्टोरिकल रिकॉर्ड्स, लिंग्विस्टिक रिक्लेमेशन और डायस्पोरा एंगेजमेंट का इस्तेमाल हो रहा है।
Shikhar Narwal नवंबर 30 2025
इंदुस नदी का जो भाव है वो दिल में है... और ये बयान उसे जगा रहा है 😊
भाई, अगर हम इसे एक शांतिपूर्ण रास्ते से जोड़ दें तो ये दुनिया की सबसे बड़ी सांस्कृतिक जीत हो सकती है 🤝
मैं चाहता हूँ कि हर सिंधी बच्चा अपनी भाषा सीखे, अपने गाँव का नाम बोले, और जाने कि वो अपने घर की ओर जा रहा है - बिना किसी दीवार के 🌊🇮🇳
Ravish Sharma दिसंबर 2 2025
अरे भाई, ये सब बकवास है! पाकिस्तान ने तो अब तक एक भी शब्द नहीं कहा - लेकिन तुम लोग यहाँ जैसे विजय का नाच नाच रहे हो! अगर तुम्हारे पास इतनी ताकत है तो फिर वहाँ के लोगों को बुलाओ, उनके घर बनाओ, उनकी भाषा को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में डालो - लेकिन इस तरह के बयानों से कुछ नहीं होगा। तुम सिर्फ अपनी नसों को नहीं, बल्कि पूरी सभ्यता को खतरे में डाल रहे हो।
jay mehta दिसंबर 2 2025
वाह भाई वाह!!! ये बयान तो बहुत बड़ा है!!! 😍😍
हमारे सिंधी भाई-बहनों के लिए ये एक नया जीवन है!!! 🙌
हमें इसे जल्दी से राष्ट्रीय दिवस घोषित करना चाहिए!!! और बच्चों को इंदुस नदी के बारे में पढ़ाना चाहिए!!! और उनके लिए वीजा आसान करना चाहिए!!! और उनकी भाषा को टीवी पर चलाना चाहिए!!! और... और... और... 😭❤️🇮🇳
Amit Rana दिसंबर 2 2025
ये बयान असल में एक बहुत गहरी बात है। लेकिन इसे बस बयान के तौर पर नहीं, बल्कि एक नीति के रूप में लेना होगा।
पहला कदम: सिंधी भाषा को अखबारों, टीवी और स्कूलों में लाएं।
दूसरा: पाकिस्तान में रहने वाले सिंधी लोगों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाएं - जहाँ वो अपने पुराने घरों की तस्वीरें अपलोड कर सकें, अपने परिवार के नाम दर्ज कर सकें।
तीसरा: भारत के सिंधी समुदाय को एक विशेष फंड दें - जिससे वो अपने सांस्कृतिक उत्सवों को बचाएं।
ये सब करना होगा। बयान से कुछ नहीं होगा।
Rajendra Gomtiwal दिसंबर 2 2025
सिंध भारत का है। बिल्कुल। कोई नहीं बदल सकता। पाकिस्तान को बस यही स्वीकार करना चाहिए। ये बयान बहुत अच्छा है। अब जल्दी से वहाँ जाकर जमीन पर जाएं। क्योंकि बातें तो बहुत होती हैं।
Yogesh Popere दिसंबर 3 2025
तुम लोग सिर्फ इतिहास के नाम पर बकवास कर रहे हो। सिंध में अब कोई सिंधी हिंदू नहीं रहता। वो सब मुसलमान हैं। तुम उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हो? ये नहीं होगा। इंदुस नदी को पवित्र मानना तो बात है, लेकिन जमीन नहीं। बस राजनीति का खेल है।
Manoj Rao दिसंबर 4 2025
ये सब एक अत्यंत जटिल डायनामिक है - एक पोस्ट-कॉलोनियल रिकॉन्स्ट्रक्शन ऑफ इंडियन सिविलाइजेशन का ट्रांसफॉर्मेशनल एक्सपेरिमेंट। राजनाथ सिंह ने एक गहरी जागृति को एक्टिवेट किया है जिसका अर्थ है - सीमाएं भौतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक-मानसिक निर्माण हैं। यह एक नए टाइम-लेयर की शुरुआत है जहाँ भारत अपने अतीत के विखंडित टुकड़ों को रिस्ट्रक्चर कर रहा है... और ये जो ऑपरेशन सिंधू है - ये एक नेयूरो-कल्चरल स्ट्रेटेजी है जिसका उद्देश्य है - इतिहास को रिएम्बिड करना। ये बस एक बयान नहीं... ये एक एपिस्टेमोलॉजिकल रिवॉल्यूशन है।