जब आप स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार का वह विभाग जो स्वास्थ्य नीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और चिकित्सा सेवाओं की देखरेख करता है, Ministry of Health and Family Welfare की बात करते हैं, तो कई जुड़े हुए क्षेत्र तुरंत दिमाग में आ जाते हैं। मुख्य रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य, जनसंख्या के स्वास्थ्य स्तर को सुधारने वाले कार्यक्रम और नियम और डिजिटल स्वास्थ्य, टेलीमेडिसिन, ई‑हेल्थ प्लेटफ़ॉर्म और AI‑सहायता वाले निदान उपकरण सीधे इस मंत्रालय की ज़िम्मेदारी में आते हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है, जबकि डिजिटल स्वास्थ्य बेहतर टीकाकरण अभियान को सक्षम बनाता है। इसी ढांचे में टीकाकरण अभियान, COVID‑19, पोलियो और बुखार जैसे रोगों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर वैक्सीन वितरण योजना और आयुर्वेदिक नीति, परम्परागत भारतीय चिकित्सा को एकीकृत करने के लिये सरकारी दिशा‑निर्देश भी इस विभाग की प्रमुख प्राथमिकताएँ हैं। इन चारों इकाइयों का आपसी संबंध इस बात को दिखाता है कि आयुर्वेदिक नीति राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना को पूरक करती है, जिससे कई रोगी सस्ती और विश्वसनीय उपचार पा रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यक्षेत्र में रोग नियंत्रण, अस्पताल सेवा सुधार, मेडिकल शिक्षा मानक निर्धारण और स्वास्थ्य बीमा योजना का विस्तार शामिल है। पिछले साल से चालू हुए राष्ट्रीय रोग निगरानी नेटवर्क ने कई महामारी के प्रकोप को जल्दी पकड़ लिया, जिससे इलाज में देरी कम हुई। वहीं, डिजिटल स्वास्थ्य की पहल के तहत एपीआई आधारित रोगी रिकॉर्ड सिस्टम कई राज्यों में लागू हो रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कवरेज की कमी अभी भी बड़ी बाधा बनी हुई है। टीकाकरण अभियान के लिए विशेष फंडिंग चल रही है, लेकिन कुछ दूरस्थ इलाकों में वैक्सीन की उपलब्धता अपर्याप्त है, जिसके कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोबाइल वैक्सीनेशन यूनिट्स भेजे हैं। आयुर्वेदिक नीति को समर्थन देने के लिये विभाग ने आयुर्वेदिक संस्थानों को प्रमाणन और अनुसंधान ग्रांट प्रदान की है, जिससे परम्परागत उपचार को आधुनिक क्लिनिकल ट्रायल में लाया जा रहा है। इन सभी पहलुओं को जोड़ते हुए, मंत्रालय ने एक समग्र ‘स्वास्थ्य 2030’ लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें जीवन प्रत्याशा बढ़ाना, मातृ-शिशु मृत्यु दर घटाना और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को हर घर तक पहुँचाना शामिल है।
भविष्य की बात करें तो स्वास्थ्य मंत्रालय अब सिर्फ रोग उपचार नहीं, बल्कि प्रिवेंशन और हेल्थ लिटरेसी पर ज़ोर दे रहा है। मौसमी फ्लू, डेंगा और जलजन्य रोगों को रोकने के लिये जागरूकता अभियानों को सोशल मीडिया, एएनजीओ और स्कूल स्तर पर बढ़ाया जा रहा है। AI‑आधारित प्रेडिक्टिव एन्हांस्मेंट टूल्स का प्रयोग करके हाई‑रिस्क जनसंख्या की पहचान आसान हो रही है, जिससे प्रारम्भिक हस्तक्षेप संभव हो रहा है। डिजिटल स्वास्थ्य के विस्तार से टेली-कंसल्टेशन रात‑दर‑रात लोकप्रिय हो गया, विशेषकर बुज़ुर्गों और दूरस्थ क्षेत्रों में। इन सभी अंतर्दृष्टियों को मिलाकर, आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में देखेंगे कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में कौन‑सी सरकारी योजनाएँ लागू कीं, किस दिशा‑निर्देश से नयी नीतियाँ बनीं, और किस तरह के सुधार आपके रोज़मर्रा के स्वास्थ्य को प्रभावित करेंगे। अब आगे पढ़िए और जानिए कौन‑सी खबरें आपके स्वास्थ्य निर्णयों में मदद कर सकती हैं।
दीपिका पादुकोण को स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत की पहली मानसिक स्वास्थ्य एम्बेसडर नियुक्त किया; टेली‑मानस ऐप का नवीनीकरण और जागरूकता अभियान शुरू।