आज के वाहन उद्योग में हर साल कुछ नया हो रहा है — नई बाइक और कारें, इलेक्ट्रिक स्कूटर की बढ़ती रेंज, और कनेक्टेड कार के फीचर। अगर आप गाड़ी खरीदने, बेचने या सिर्फ अपडेट रहने की सोच रहे हैं तो ये बातें सीधे काम आएंगी।
सरकार की नीतियां, बैटरी की सस्ती कीमत और उपभोक्ता की प्राथमिकताएँ बदलने से मार्केट तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। कंपनियां अब सिर्फ इंजन और लुक पर नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर, कनेक्टिविटी और सर्विसिंग इकोसिस्टम पर जोर दे रही हैं। उदाहरण के लिए, ओला इलेक्ट्रिक ने S1 जेन 3 जैसी लाइनअप पेश की है जो रेंज और कीमत दोनों में प्रतिस्पर्धी है। इसी तरह Honda का NX200 जैसे नए पेट्रोल मॉडल भी तकनीक और कनेक्टिविटी जोड़कर उपभोक्ता का ध्यान खींच रहे हैं।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार हो रहा है, पर यह अभी भी शहर और राजमार्गों पर असमान है। इसलिए ईवी लेते समय रेंज और चार्जिंग विकल्प सबसे पहले चेक करें। क्या आपके रूट पर पब्लिक चार्जर हैं? क्या घर पर तेज़ चार्जिंग की सुविधा लगवा सकते हैं?
खरीदने से पहले तीन चीजें ज़रूरी हैं: उपयोग (कितनी दूरी रोज़ चलाते हैं), कुल लागत (इंश्योरेंस, सर्विस, ईंधन/बिजली) और रिटेन वैल्यू। अगर शहर में रोज़ छोटे सफर हैं तो इलेक्ट्रिक स्कूटर या छोटी ईवी सही रहते हैं। लंबी यात्राओं के लिए इन्टरनल कॉम्बस्टन इंजन या हाई-रेंज ईवी पर ध्यान दें।
रखरखाव और सर्विसिंग की बातें भी अहम हैं। नई टेक्नोलॉजी वाले वाहन में सॉफ्टवेयर अपडेट और बैटरी की वारंटी देख लें। सर्विस नेटवर्क ज्यादा फैला हुआ हो तो समस्या कम होती है।
अगर आप निवेश के नजरिये से सोच रहे हैं तो वाहन उद्योग में स्टॉक्स और IPO में उतार-चढ़ाव आम है। बाजार की खबरें, कंपनी की सेल और पॉलिसी इम्पैक्ट पर ध्यान दें।
विकसित होने वाले ट्रेंड्स पर नज़र रखें: कनेक्टेड कार (स्मार्ट डैशबोर्ड, OTA अपडेट), हल्के और सस्ते बैटरी, साझा मोबिलिटी और हाइब्रिड समाधान। भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो जैसे इवेंट्स में इन तकनीकों का समावेश दिखता है — यह संकेत है कि उद्योग क्लीन और स्मार्ट मोबिलिटी की तरफ बढ़ रहा है।
फाइनल टिप: गाड़ी खरीदते समय प्रोवाइडर की सर्विस, वारंटी शर्तें और रियल-वर्ल्ड माईलेज देखें। विज्ञापन में दिए रेंज नंबर अक्सर लेब टेस्ट पर होते हैं; असली जिंदगी में रेंज अलग होती है। एक छोटा टेस्ट ड्राइव और पड़ोस के उपयोगकर्ताओं से फीडबैक लेना आपको सही फैसला दिला सकता है।
वाहन उद्योग लगातार बदल रहा है — तेज़ी से सीखने और सवाल पूछने से आप बेहतर फैसला ले पाएँगे।
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में शुद्ध लाभ में 17% की गिरावट दर्ज की है, जो ₹3,069 करोड़ तक रहा। कंपनी का राजस्व ₹34,903.9 करोड़ पर स्थिर रहा। इस गिरावट का मुख्य कारण कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी और अन्य ऊँचे व्यय रहे। कंपनी की परिचालन लाभ मार्जिन 6.3% तक सिकुड़ गई।