मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं, जो कुछ हद तक आश्चर्यचकित करने वाले रहे। कंपनी ने ₹3,069 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17% की गिरावट दर्शाता है। इसका मुख्य कारण कच्चे माल की लागत में अप्रत्याशित वृद्धति को माना जा रहा है, जिसे संभालना कंपनी के लिए एक बड़ी चुनौती रही।
कंपनी का कुल राजस्व ₹34,903.9 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग स्थिर ही रहा। इससे पता चलता है कि कंपनी में वाहनों की बिक्री को लेकर कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। वाहनों की कुल बिक्री में मामूली 1% की गिरावट आई, जो 517,395 इकाई पहुँच गई। इससे यह साफ होता है कि बाजार में मारुति की पकड़ कमजोर हो रही है, जो कंपनी के भविष्य के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
मारुति सुजुकी ने अपनी लागत के मोर्चे पर भी संघर्ष किया है। कुल खर्चे लगभग ₹32,418.8 करोड़ तक पहुँच गए, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह आंकड़ा ₹30,914.4 करोड़ था। यह वृद्धि दर्शाती है कि कंपनी को उत्पादन और अन्य प्रक्रियाओं में अधिक व्यय करने पड़े हैं। इसी के चलते परिचालन लाभ मार्जिन 9.1% से गिरकर केवल 6.3% रह गया।
इसके अलावा, कंपनी के EBITDA मार्जिन में भी गिरावट आई, जो 10.2% से घटकर 7.1% रह गया। इस स्थिति ने कंपनी की बाजार में पकड़ और भविष्य की योजनाओं पर कई सवाल खड़े किए हैं। गिरते EBITDA मार्जिन के साथ, कंपनी ने ₹2,478.8 करोड़ का EBITDA दर्ज किया, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 29% कम है।
मारुति सुजुकी के इन नतीजों का असर बाजार में भी देखने को मिला। कंपनी के शेयर की कीमत में 1.73% की गिरावट आई और यह ₹10,439.95 पर बंद हुआ। निवेशकों के लिए ये नतीजे उस उम्मीद से दूर थे, जो उन्होंने पिछले कुछ महीनों में स्थिर बाजार परिस्थितियों के मद्देनजर लगाई थी।
इन अपेक्षाकृत कमजोर नतीजों के बावजूद, कंपनी प्रबंधन को उम्मीद है कि भविष्य में मांग में सुधार होगा और नए मॉडल की लॉन्चिंग के साथ वे प्रतिस्पर्धा को मजबूती से सामना कर पाएंगे। वित्तीय वर्ष की आगामी तिमाहियों में लागत का प्रबंधन और कंपनी के वितरण मॉडलों में बदलाव संभावित रूप से सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
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