When working with CBDT, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्स भारतीय कर प्रणाली का मुख्य प्रबंधक है, जो इनकम टैक्स कलेक्शन, नीतियों की तैयारी और करदाताओं की सहायता करता है. Also known as केंद्रीय कर बोर्ड, it नियम बनाता, आयकर अधिनियम की व्याख्या करता और टैक्स असेसमेंट की देखरेख करता है. अगर आप टैक्स बचत, रिटर्न फ़ाइलिंग या ऑडिट की तैयारी में हैं, तो CBDU के काम को समझना आपके लिए जरूरी है। इस पेज में हम उन प्रमुख चीज़ों को तोड़‑मरोड़ कर बताएँगे जो अक्सर लोगों को उलझन में डाल देती हैं।
पहला बड़ा कनेक्शन Income Tax Act, आयकर अधिनियम 1961 वह कानूनी ढांचा है जो CBDT को शक्ति देता है. इस अधिनियम के तहत टैक्स‑स्लैब, धारा‑80C जैसी छूटें और दंड निर्धारित होते हैं। दूसरा महत्वपूर्ण इकाई Tax Return, टैक्स रिटर्न वह दस्तावेज़ है जिसमें आप अपनी आय, कटौतियों और देनदारियों को घोषित करते हैं. हर साल आपको ITR‑1 से ITR‑5 तक के फॉर्म में से सही फॉर्म चुनना पड़ता है, और CBDT इस फ़ाइलिंग को मॉनिटर करता है। तीसरा संबंध Assessment, कर मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसमें CBDT आपका रिटर्न जांचता, समस्या पहचानता और अतिरिक्त टैक्स तय करता है से जुड़ा है। अगर कोई गलती या क्लेम विवादित होता है, तो ड्यू डिलिजेंस या मशीन‑लीन रिव्यू के माध्यम से CBDT निर्णय लेता है। चौथा, GST, गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स एक अलग कर प्रणाली है, पर CBDT के साथ वैट‑फ्लो समन्वय में काम करता है – जैसे इन्पुट टैक्स क्रेडिट कैंसल या कर दरों में बदलाव, दोनों बोर्ड्स के बीच डेटा शेयरिंग अनिवार्य है। अंत में Tax Planning, टैक्स प्लानिंग वह रणनीति है जिसमें आप वैध तौर पर टैक्स बचत के उपाय अपनाते हैं को CBDT के नियमों को मानना पड़ता है, नहीं तो पेनाल्टी का जोखिम रहता है।
CBDT की तीन मुख्य जिम्मेदारियां हैं: पहला, टैक्स कलेक्शन – हर वित्तीय वर्ष में सरकार को भरोसेमंद रिवेन्यू देने के लिए यह बोर्ड विभिन्न आय स्रोतों से टैक्स इकट्ठा करता है। दूसरा, नियम बनाना – आयकर अधिनियम में बदलाव, टैक्स स्लैब अपडेट और नई छूटें जोड़ना CBDU की प्रवृत्ति है, ताकि एफ़िडेन्सी बढ़े और आर्थिक लक्ष्य पूरे हों। तीसरा, डिजिटल सेवाएं – ई‑फाइलिंग पोर्टल, ट्रेकर, एपीआई इंटीग्रेशन के माध्यम से टैक्सपेयर को आसानी मिलती है। ये जिम्मेदारियां सीधे आपके जीवन को प्रभावित करती हैं: यदि आप फ़ॉर्म‑भुगतान समय पर करते हैं, तो ब्याज व पेनाल्टी से बचते हैं; अगर आप एंटी‑ट्रस्ट नियमों को समझते हैं, तो अधिशेष टैक्स का रिफंड सही समय पर मिलता है। एक और पहलू है ट्रांसपेरेंसी ड्रिवेन एवरीटिंग (TDA) जो CBDU ने लागू किया है – इसका मतलब है कि टैक्स रिटर्न प्रक्रिया में हर कदम आप ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं, जिससे दुरुपयोग का जोखिम कम होता है।
अब बात करते हैं उन सवालों की जो अक्सर आते हैं:
आप देखेंगे कि नीचे की सूची में हर लेख दक्षिणा (CBDT) से जुड़ी प्रमुख खबरें, गाइड और अपडेट्स लाता है – चाहे वह नई आयकर स्लैब की घोषणा हो, रिटर्न फाइलिंग की अंतिम तिथि हो या कर मूल्यांकन के बदलाव। इन लेखों को पढ़कर आप टैक्स‑कम्यूनिटी के अंदर सबसे ताज़ा जानकारी पा सकते हैं और अपने टैक्स प्लानिंग को बेहतर बना सकते हैं। तो चलिए, अब आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कौन‑से लेख आपके टैक्स फ़ाइलिंग को आसान बना देंगे।
CBDT ने FY 2024‑25 की ITR डेडलाइन 31 जुलाई से 15 सितंबर बढ़ाई, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की नई तिथि 31 अक्टूबर, जबकि विशेषज्ञों के बीच ऑडिट‑केस के ITR विस्तार पर बहस चल रही है।
CBDT ने नई आयकर 2025 अधिनियम के तहत फ़ेसलेस मूल्यांकन प्रणाली को डिजिटल बनाकर टैक्सपेयर्स के लिए अनावश्यक प्रश्न घटाए हैं। AI‑सहायित जाँच और स्वचालित केस आवंटन से प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी हुई है। 2026 से लागू होने वाले नियमों से टैक्सपेयर्स को कम समय में उत्तर मिलेगा और अनुपालन बोझ घटेगा।