पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हाल ही में स्वामी पार्दिपातानंद, जिन्हें कार्तिक महाराज के नाम से भी जाना जाता है, से एक कानूनी नोटिस मिला है। यह नोटिस भारत सेवाश्रम संघ के बारे में बनर्जी की टिप्पणियों के संबंध में भेजा गया था।
बनर्जी ने जवाब देते हुए कहा कि वह स्वयं संस्था के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उन्होंने कुछ व्यक्तियों पर राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। उन्होंने विशेष रूप से कार्तिक महाराज का उल्लेख किया, जिन पर उन्होंने भाजपा का समर्थन करने और रेजिनगर में एक मतदान बूथ पर तृणमूल कांग्रेस के एजेंट को बैठने से रोकने का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं भारत सेवाश्रम संघ के खिलाफ नहीं हूं। यह एक प्रतिष्ठित संस्था है जो समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। हालांकि, मैं उन लोगों की आलोचना करती हूं जो राजनीति में शामिल हैं और अपने पद का दुरुपयोग करते हैं।"
बनर्जी ने आगे कहा, "कार्तिक महाराज खुलेआम भाजपा का समर्थन कर रहे हैं और चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने रेजिनगर में एक मतदान केंद्र पर हमारे एजेंट को बैठने से रोका। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"
भारत सेवाश्रम संघ ने मुख्यमंत्री के आरोपों का खंडन किया है। संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, "हमारा संगठन किसी भी राजनीतिक दल के साथ संबद्ध नहीं है। हम समाज सेवा के लिए समर्पित हैं और राजनीति से दूर रहते हैं।"
प्रवक्ता ने कहा, "स्वामी पार्दिपातानंद एक सम्मानित संत हैं और उन्होंने हमेशा संगठन के सिद्धांतों का पालन किया है। मुख्यमंत्री के आरोप निराधार हैं और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।"
स्वामी पार्दिपातानंद द्वारा भेजा गया कानूनी नोटिस इस मुद्दे को एक नया मोड़ देता है। यह संघ और मुख्यमंत्री के बीच तनाव को दर्शाता है और आगे की कार्रवाई की मांग करता है।
एक वरिष्ठ वकील ने कहा, "कानूनी नोटिस एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मुख्यमंत्री को अपनी टिप्पणियों के लिए जवाबदेह ठहराता है और मामले को कानूनी दायरे में लाता है। अब देखना होगा कि क्या मुख्यमंत्री इस नोटिस का समुचित जवाब देती हैं या नहीं।"
यह घटना पश्चिम बंगाल में चल रहे विधानसभा चुनावों के बीच हुई है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुद्दे का चुनावों पर असर पड़ सकता है।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "भारत सेवाश्रम संघ का पश्चिम बंगाल में महत्वपूर्ण प्रभाव है। यदि संघ मुख्यमंत्री के खिलाफ खड़ा होता है, तो इससे तृणमूल कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।"
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने कहा, "मुख्यमंत्री ने संस्था के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। वह केवल उन लोगों की आलोचना कर रही हैं जो राजनीति में शामिल हैं। हमें इस मुद्दे का कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखता।"
स्वामी पार्दिपातानंद द्वारा भेजा गया कानूनी नोटिस ममता बनर्जी और भारत सेवाश्रम संघ के बीच तनाव को इंगित करता है। यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है और आगामी विधानसभा चुनावों पर इसका असर देखा जा सकता है।
हालांकि, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि वह संस्था के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि केवल उन लोगों की आलोचना कर रही हैं जो राजनीति में शामिल हैं। वहीं, संघ ने भी आरोपों को खारिज करते हुए अपनी तटस्थता पर जोर दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुख्यमंत्री कानूनी नोटिस का जवाब देती हैं और इस मुद्दे पर आगे क्या कार्रवाई होती है। यह घटना एक बार फिर धर्म और राजनीति के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करती है।
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