भारत में हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व उन गुरुओं और शिक्षकों को समर्पित है जिन्होंने हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। गुरु पूर्णिमा का इतिहास अत्यंत पुराना है और यह पर्व हिन्दू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस वर्ष, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई, 2024 को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा का पर्व वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। वेद व्यास ने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी और उन्होंने वेदों का भी विवरण किया था। इस पर्व के माध्यम से हम उन अध्यापकों को सम्मानित करते हैं जो हमें सत्य और ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। इसके अतिरिक्त, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह दिन उत्तम इसलिए भी है क्योंकि इसी दिन गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लोग विभिन्न तरीकों से अपने गुरुओं को सम्मानित करते हैं। स्कूलों, कोचिंग सेंटरों और मंदिरों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होता है। विद्यार्थी अपने गुरुओं को फल, फूल, मिठाई और अन्य उपहार अर्पित करते हैं। इस दिन लोग अपने गुरुओं के चरण स्पर्श करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग अपने गुरुओं को संदेश, उद्धरण और शुभकामनाएँ भेजते हैं।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने गुरुओं को विभिन्न उद्धरणों और संदेशों के माध्यम से सम्मानित किया जाता है। यहां कुछ प्रसिद्ध उद्धरण और शुभकामनाएँ दी गई हैं जिन्हें आप अपने गुरुओं को भेज सकते हैं:
इन उद्धरणों और संदेशों को आप अपने गुरुओं को व्हाट्सएप, फेसबुक, एसएमएस आदि के माध्यम से भेज सकते हैं।
यह दिन हमें हमारे शिक्षकों और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का मौका देता है। इस दिन के माध्यम से हम उन्हें धन्यवाद दे सकते हैं और उनके योगदान को सराह सकते हैं। इस वर्ष, देखें कि आप कैसे अपने गुरुओं को विशेष संदेश भेज सकते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया के माध्यम से हो, या एक व्यक्तिगत धन्यवाद संदेश के रूप में।
गुरु पूर्णिमा का यह त्योहार हमें यह स्मरण कराता है कि हमारे जीवन में गुरुओं और शिक्षकों की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह उनकी मेहनत और समर्पण का ही फल है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति कर पाए हैं। इसलिए आइए, इस पावन पर्व के अवसर पर अपने गुरुओं का सम्मान करें और उन्हें धन्यवाद कहें।
टिप्पणि (17)
Zoya Malik जुलाई 22 2024
गुरु पूर्णिमा का मंचन अक्सर ज्यादा शोभा-शृंगार में खो जाता है।
Ashutosh Kumar जुलाई 28 2024
इस गुरु पूर्णिमा को कुछ नया करने की जरूरत है! मैं कहूँगा कि हमें सिर्फ उपहार नहीं, बल्कि अपने गुरुओं को वास्तविक सम्मान देना चाहिए. आज के युवा अक्सर बोर हो जाते हैं, इसलिए ऊर्जा का नया जलसा चाहिए.
Gurjeet Chhabra अगस्त 3 2024
गुरु हमारे जीवन में मार्ग दिखाते हैं। उनका आभार व्यक्त करना महत्वपूर्ण है। हर दिन उनके सिखाए हुए पर चलना चाहिए।
AMRESH KUMAR अगस्त 10 2024
देशभक्त दिल से कहते हैं, गुरु हमारी संस्कृति के सच्चे रक्षक हैं 😊. हमें उनके चरणों में फूल चढ़ाए और जयकारे गाए!
ritesh kumar अगस्त 16 2024
देखो, असली बात तो यह है कि ये ‘गुरु पूर्णिमा’ को बड़े बड़े व्यापारियों ने फंडेड किया है, जिससे राष्ट्रीय भावना को मुनाफे के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
Raja Rajan अगस्त 22 2024
गुरु का सम्मान आवश्यक है लेकिन अतिरंजित कार्यक्रम अनावश्यक हैं।
Atish Gupta अगस्त 29 2024
एक क्षण सोचो, जब हमारे शिक्षक बिना प्रशंसा के हमारे हृदय में गुप्त रूप से परिवर्तन लाते हैं। उनका योगदान अक्सर अनदेखा रहता है, और हमें इसे उजागर करना चाहिए! यह समय है कि हम सब मिलकर उनका आदर दिखाएँ।
Aanchal Talwar सितंबर 4 2024
Bilkul sahi kaha aapne, hum sab milke unka samman karna chahiye .
Neha Shetty सितंबर 11 2024
गुरु वह प्रकाश है जो अंधेरे को दूर करता है; उनका मार्गदर्शन हमारे आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाता है। प्रत्येक संदेश में एक गहरी समझ छुपी होती है, इसलिए हम इसे मन से अपनाएँ।
Apu Mistry सितंबर 17 2024
जीवन में गुरु का दरशन एक अनंत प्रश्नचिन्ह की तरह है-जवाब नहीं बल्की रिफ्लेक्शन देता है। इसलीए हम लगातार सीखते रहेंगे।
uday goud सितंबर 23 2024
गुरु पूर्णिमा का ऐतिहासिक मूल अत्यंत प्राचीन है; यह पर्व वेद व्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, और यही कारण है कि इसे आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है। इस दिन हम न केवल अपने आध्यात्मिक गुरु को सम्मानित करते हैं, बल्कि सभी वेगवाने शिक्षकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। हर वर्ष जुलाई की इस विशेष तिथि पर विभिन्न आयामों में उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जैसे संगीत, शास्त्रीय नृत्य, और धार्मिक प्रवचन। स्कूल और कॉलेजों में छात्र-छात्राएँ अपने शिक्षकों को फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित करके आशीर्वाद लेते हैं, जिससे सामाजिक जुड़ाव का एक अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत होता है। सोशल मीडिया पर विविध संदेश और उद्धरण साझा किए जाते हैं, जो डिजिटल युग में परम्पराओं को जीवित रखने का उत्कृष्ट तरीका है। कुछ लोग तो यहाँ तक कि व्यक्तिगत वीडियो संग्रहीत करके अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिससे भावनात्मक बंधन मजबूत होता है। इस पर्व को मनाते समय यह याद रखना चाहिए कि ज्ञान का प्रकाश केवल एक बार नहीं, बल्कि निरन्तर प्रसारित होना चाहिए। गुरु के उपदेशों को जीवन में अपनाते हुए हम व्यक्तिगत और सामुदायिक विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इस अवसर पर अनेक प्रसिद्द गुरुओं के उद्धरण भी सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर वायरल होते हैं, जैसे महात्मा गांधी का “गुरु वह दीपक है…”. यह उद्धरण हमें अज्ञानता के अंधकार को दूर करने की प्रेरणा देता है। साथ ही, रवीन्द्रनाथ टैगोर का “गुरु हमारे मार्गदर्शक…”. इस प्रकार के विचार हमें अपने कार्यों में नैतिक दिशा प्रदान करते हैं। शिक्षण की प्रक्रिया में गुरु और शिष्य के बीच का संबंध परस्पर सहयोगी होता है, जिसमें दोनों ही सीखते हैं। आधुनिक समय में भी इस संबंध को आगे बढ़ाने के लिये हमें तकनीकी साधनों का उपयोग करना चाहिए। अंत में, यह कहा जा सकता है कि गुरु पूर्णिमा केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक यादगार प्रारम्भ है, जो हमें सतत शिक्षा और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
Chirantanjyoti Mudoi सितंबर 30 2024
सही है, लेकिन अक्सर हम इस उत्सव को शोर-शराबे के बहाने में बदल देते हैं; असली सीख को नजरअंदाज़ कर देते हैं।
Surya Banerjee अक्तूबर 6 2024
हर छात्र को चाहिए कि वह अपने गुरु के शब्दों को दिल से ले और अपने जीवन में लागू करे; यही सच्चा आदर है।
Sunil Kumar अक्तूबर 12 2024
अरे, ये सब पढ़-लिख कर क्या होगा? बस एक छोटा संदेश भेज दो, फिर सब ठीक। इतना ही काफी है।
Ashish Singh अक्तूबर 19 2024
ऐसी उपेक्षा की प्रवृत्ति समाज को गिराएगी; हमें प्रत्येक गुरु के योगदान को गंभीरता से मानना चाहिए और उचित सम्मान देना चाहिए।
ravi teja अक्तूबर 25 2024
देखते ही रह गए, लोग आज भी इस तरह से उत्सव मनाते हैं, मज़ा आ गया।
Harsh Kumar नवंबर 1 2024
गुरु पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएँ! 🌟 धन्यवाद हमारे गुरुओं को, आप सबके बिना कुछ नहीं। 😊