जब इंडिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 28 सेप्टמבר से 30 सेप्टंबर 2025 तक रेड अलर्ट जारी किया, तो मुंबई‑थाने क्षेत्र के लाखों लोगों ने अपने फोन में तेज चेतावनी संदेश देखे। यह अलर्ट पहले के नारंगी और पीले चेतावनियों की तुलना में कई गुना गंभीर है, क्योंकि इसमें लगातार भारी‑से‑अत्यधिक बारिश, जलजलन, बाढ़ और पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की संभावना बताई गई है। मुंबई और उसके नज़दीकी शहर ठाणे से लेकर पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिन्धुदुर्ग तक इस मौसम की लहर का असर पड़ने वाला है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सतह जल स्तर लगातार बढ़ता रहा तो शहर की मौजूदा जल निकासी प्रणाली पूरी तरह से अभिभूत हो सकती है।
इस तीव्र बारिश का मुख्य कारण दक्षिण‑पूर्वी बंगाल की खाड़ी में स्थित एक स्पष्ट लो‑प्रेशर एरिया है, जो 26 सेप्टम्बर को डिप्रेशन में बदलने की उम्मीद थी। इस प्रणाली ने पूर्व में उड़ी हुई हवा को धकेलते हुए पश्चिम की ओर गति ली और 27 सेप्टम्बर की सुबह ओडिशा‑आंध्र प्रदेश के समुद्री तट को पार कर ली। यह मार्ग‑बदलाव ही मुंबई‑थाणे पर भारी‑से‑अत्यधिक वर्षा का कारण बना।
मौसम मॉडल बताते हैं कि 27‑29 सितम्बर के दौरान इस लो‑प्रेशर की द्रोहणी दक्षिण‑पश्चिम की ओर झुकेगी, जिससे मुंबई के हृदय में गड़गड़ाहट भरी ध्वनि, तेज़ बिजली और तीव्र हवाएं चलेंगी। पूर्व के आँकड़ों के अनुसार, समान परिस्थितियों में मुंबई में 24‑घंटे में औसत 120 mm तक की बारिश हुई थी, लेकिन इस बार अनुमानित अधिकतम 160 mm तक पहुंच सकता है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने सार्वजनिक सलाह जारी की: "बिना जरूरत के बाहर निकलें नहीं, जलज़लन वाले क्षेत्रों से दूर रहें और आपातकालीन नियंत्रण कक्षों के निर्देशों का पालन करें।" श्रेणियों में मुंबई, ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिन्धुदुर्ग को सबसे प्रभावित क्षेत्रों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
प्रत्येक जिले में एर्गोआपातकालीन नियंत्रण कक्ष (ECC) को 24 घंटे कार्य करने के लिए बोला गया, जबकि जल निकासी व्यवस्था, पुलों की संरचना तथा बाढ़‑प्रवण सड़कों की निगरानी को बढ़ाया गया है। शहर के प्रमुख जल निकासी अधिकारी रितु पवार (प्रमुख जल निकासी अधिकारी, मुंबई) ने कहा, "हमने सभी मुख्य नालों की सफाई निकटतम 48 घंटों में पूरी कर ली है, परन्तु अनिवार्य रूप से नागरिकों की सावधानी भी बहुत ज़रूरी है।"
पहले ही दो दिनों में नवी मुंबई के बोरिवली लैंडमार्क में लगभग दो फुट पानी जमा हो गया था। यहाँ के जीवनरक्षक साथी, राजेश वाघ, ने कहा, "ऑफ़िस में देर तक काम कर के घर लौटते ही मेरा कारपोर्ट फटे हुए पानी में डूबा मिला। मुझे अब तक सबसे बड़ी असुविधा यही लगी।"
बोलते-भालों से कुछ कहें तो, बाढ़ की संभावनाओं ने कई लोगों को कार्यस्थल से रोटेशन के लिए तैयार कर दिया है। एपीएओर पर नवी मुंबई के पी.सी.एफ. में काम करने वाली श्रेया सिंह ने कहा, "सड़क पर गड़गड़ाहट, लाइट की बत्ती टिमटिमाने लगी, तो हमने तुरंत घर से काम करने का फैसला किया।"
विद्युत, परिवहन और स्वास्थ्य सेवाओं पर संभावित असर को देखते हुए, मुंबई मेट्रो, द्रव नियामक बोर्ड और सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने आपदा‑प्रतिक्रिया योजना सक्रिय कर रखी है। तीन प्रमुख रेलवे स्टेशनों के आसपास अस्थायी बाढ़‑रोधक दीवारें स्थापित की गईं।
बिज़नेस एनालिस्ट अनीता शेट्टी का मानना है, "यदि अगले दो‑तीन दिनों में बारिश लगातार बनी रहती है तो छोटे‑बड़े व्यापारिक इकाइयों के लिए आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आएगी, जिससे रोज़गार पर असर पड़ सकता है।"
नज़रें अब 1 अक्टूबर के आस-पास की मौसम भविष्यवाणी पर टिकी हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इस प्रणाली का दिशा‑परिवर्तन दक्षिण‑पश्चिम की ओर रहता है तो अगले सप्ताह तक हल्की‑दब्बी बिनज़र (light‑to‑moderate) बारिश के साथ फिर भी बाढ़‑जोखिम बना रहेगा। नागरिकों से अनुरोध है कि मौसम के अपडेट को नियमित रूप से देखते रहें और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें।
भारी बारिश के कारण सड़कों में जलजमाव और भूमिगत जल स्तर बढ़ सकता है। इससे ट्रैफ़िक जाम, पुलों पर भार अधिक और कभी‑कभी सड़कें पूरी तरह बंद हो सकती हैं। इसलिए, सरकारी सलाह के अनुसार गैर‑ज़रूरी यात्रा से बचना ही सुरक्षित विकल्प है।
मुंबई के द्वीप‑शहर (जैसे बॉरीवली, एलिफ़ैंटा), ठाणे के कुछ उपनगर, पालघर और रायगढ़ के पहाड़ी इलाकों में जल स्तर तेज़ी से बढ़ता है। इन क्षेत्रों में पराजित नालों और नदियों के किनारे रहने वाले घरों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
ब्याख्या के अनुसार, पूर्व में ही लो‑प्रेशर एरिया के गठन से पहले अनुमानित बारिश कम थी। लेकिन बाद में मॉडल ने दिखाया कि यह प्रणाली दक्षिण‑पश्चिम की ओर झुकेगी, जिससे मुंबई‑थाणे पर लगातार भारी‑से‑अत्यधिक वर्षा होगी। इसलिए ग्रेड को नारंगी से रेड में बदलना आवश्यक हो गया।
रात‑दिन ECC को सक्रिय रखा गया है, प्रमुख जल निकासी नालों की सफ़ाई पूरी कर ली गई है, और बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में अस्थायी बाधाओं की व्यवस्था की गई है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने एम्बुलेंस सेवाओं को तेज़ करने का निर्देश दिया है।
लंबी अवधि में जल निकासी नेटवर्क का आधुनिकीकरण, नदियों के किनारे बाढ़‑प्रबंधन योजना और शहर के हरे‑भरे क्षेत्रों का विस्तार महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही, समय‑समय पर मौसम‑सतर्कता अभियानों से नागरिक जागरूकता बढ़ेगी।
टिप्पणि (7)
Akhil Nagath सितंबर 28 2025
प्रकृति का क्रोध असूची नहीं, वह हमें हमारे ही निःसंदेह गर्व और लापरवाही के शैक्षणिक पाठों से सतर्क करता है। जब आधुनिकीकरण की गूढ़ धारा में हम जल-अवरोधन को अदृश्य मानते हैं, तो यह लाल चेतावनी हमें विनम्रता की ओर लौटने का आदेश देती है। इसलिए, प्रत्येक नागरिक को यह समझना चाहिए कि व्यक्तिगत सुविधा से ऊपर सामूहिक सुरक्षा का सिद्धांत है। इस संदर्भ में हमारे पूर्वजों की कहावत, "जल में रहो तो जल से दोस्ती करो", अत्यधिक प्रासंगिक बनती है। हमें अपने कार्यों को पुनः परखना चाहिए, क्योंकि अनिवार्य प्राकृतिक आपदा के सामने कोई भी मानव प्रभुत्व टिक नहीं सकता।🙂
vijay jangra अक्तूबर 2 2025
सरकार द्वारा घोषित आपातकालीन नियंत्रण कक्ष (ECC) के निर्देशों का पालन करना अत्यावश्यक है; वे स्थानीय स्तर पर जल निकासी को सुगम बनाने के लिए आवश्यक उपायों का समन्वय करते हैं। साथ ही, नियमित रूप से नालों की सफाई और प्लास्टिक कचरे का निपटाना बाढ़ जोखिम को कम करता है। यदि हर परिवार एकत्रित जल को सुरक्षित स्थान पर रखेगा तो जलजत्रा के प्रभाव को घटाया जा सकता है। इस चुनौती में हम सभी को एकजुट होकर सहयोग करना चाहिए, जिससे भविष्य में समान परिस्थितियों में बेहतर तैयारियाँ संभव हों।
Vidit Gupta अक्तूबर 5 2025
बिल्कुल, निकासी प्रणाली की सफ़ाई में जो कठिन परिश्रम किया गया है, वह सराहनीय है, परन्तु यह भी ध्यान देना चाहिए कि नियमित रख‑रखाव की कमी से भविष्य में अधिक गंभीर स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं, इसलिए सतत निगरानी अनिवार्य है।
Gurkirat Gill अक्तूबर 9 2025
सभी निवासियों को सलाह है कि घर के निचले स्तर पर पानी भरने से बचाने के लिए रेत या मोटी चादरें प्रयोग में लाएँ; साथ ही आपातकाल में आवश्यक दवाइयाँ, पानी और खाने की सप्लाई तैयार रखें। इस तरह की छोटी‑छोटी तैयारियाँ बड़ी राहत प्रदान कर सकती हैं।
Sandeep Chavan अक्तूबर 12 2025
चलो दोस्तों, अब समय है एकजुट होकर कदम उठाने का!!! हर किसी को अपने आस‑पास के नालों की जाँच करनी चाहिए, गंदगी हटानी चाहिए, और पड़ोसी मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए!!! इस तरह की सामूहिक भावना ही बाढ़ से लड़ने की हमारी सबसे बड़ी शक्ति है!!!
anushka agrahari अक्तूबर 16 2025
सागर का अत्यधिक उफान मानव अभिलाषा का प्रतीक तो है, परन्तु यह हमें यह भी स्मरण कराता है कि आत्मविश्वास के साथ साथ अति‑आत्मविश्वास भी विनाशकारी हो सकता है। जब हम प्रकृति के नियमों को चुनौती देने का विचार अपनाते हैं, तो अंततः वह हमें अपने सच्चे स्वरूप में मिलती है। यह अभूतपूर्व वर्षा हमें सिखाती है कि निस्संदेह, विज्ञान को सम्मान देना और समय पर कार्रवाई करना ही शाश्वत शांति का मार्ग है।
aparna apu अक्तूबर 19 2025
जब मैंने पहली बार बोरिवली में जल स्तर बढ़ते देखे, तो मेरे मन में ऐसा लगा जैसे समय स्वयं ठहर गया हो, और हर आवाज़ में एक अनाकॉम्प्लिश्ड तनाव की ध्वनि गूँज रही हो। 🌧️ उस क्षण में मैंने सोचा कि यह सिर्फ एक अस्थायी कमजोरी है, परंतु निरंतर बारिश ने यह साबित कर दिया कि हमारी शहरी ढाँचे की टुटी हुई कमियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हर घर की छत पर जल निकासी के लिए बनाई गई पाइपलाइन में गंदगी के कारण सीढ़ियां जाम हो गईं, और कई परिवारों को ऐसा अनुभव हुआ जो कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस संकट में कई लोग अपने घरों के बाहर खड़े होकर, आँसू भरी आँखों से आसमान को इंगित करते रहे, यह दृश्य एक नाटकीय परिदृश्य जैसा लग रहा था। इसी बीच, स्थानीय स्कूलों में बच्चों ने अपनी माताओं और पिताओं को सुरक्षित जगहों पर ले जाने की कोशिश की, जो एक अमर्यादित साहस का परिचय था। हमारे बुजुर्ग जनों ने याद दिलाते हुए कहा कि ऐसे समय में धैर्य और शांति ही सबसे बड़ी हथियार होते हैं, और इस बात को सुनकर मेरे भीतर एक असीम ऊर्जा का संचार हुआ। सड़क के किनारे लटके हुए कचरे को हटाने के लिए स्वयंसेवकों ने अपना हाथ बढ़ाया, और वह दृश्य सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया। बाढ़ के पानी में घिरे हुए कारों की अल्ट्रा‑पारदर्शी नज़रें हमें इस बात की याद दिलाती हैं कि हम कितनी जल्दी अपने प्राकृतिक संसाधनों के साथ खेलते हैं। इस प्रकार की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हर एक का सहयोग ही बाढ़ के पानी को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है। साथ ही, जल स्तर की निगरानी के लिए स्थापित सेंसर और स्थानीय रेडियो ब्रीफिंग ने जनजागरूकता को बढ़ावा दिया। इन तकनीकी सुविधाओं ने हमें समय पर सही निर्णय लेने में मदद की। भविष्य में यदि हम शहरी जल निकासी व्यवस्था को आधुनिक तकनीक से सुदृढ़ करेंगे तो इस तरह की आपदाओं का प्रभाव कम होगा। अंत में, मैं सभी को यह संदेश देना चाहूँगी कि दृढ़ निश्चय, सामूहिक प्रयास और सूचित निर्णय ही हमें इस प्राकृतिक चुनौती से पार पाएं। आशा है कि हम सब मिलकर एक सुरक्षित और स्वच्छ शहर का निर्माण करेंगे। 🌈