जब आप सुबह जल्दी बाजार खोलते हैं और स्क्रीन पर पतली‑पतली लाइनें घुमती देखी जाती हैं, तो अक्सर नहीं सोचा जाता कि एक ही दिन में सब कुछ कैसे बदल सकता है। 11 अप्रैल को ऐसा ही कुछ हुआ – बर्निंग बुलेट ट्रेंड ने भारत के शेयर बाजार को बूम की ओर धकेल दिया।
बाजार की मुख्य चाल
बेंगलुरु स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का Sensex एक ही सत्र में 1,310.11 पॉइंट ऊपर झुका, 1.77% की वृद्धि के साथ 75,157.26 पर बंद हुआ। इंडियाना नेसी (NSE) का Nifty 429.40 पॉइंट बढ़कर 22,828.55 पर पहुंच गया। दोनों सूचकांकों ने अपने उच्चतम स्तरों को छू लिया – Sensex ने intraday 75,467.33, जबकि Nifty ने 22,923.90 का स्तर बनाया।
बैंकिंग सेक्टर ने इस रैली में सबसे तेज़ गति दिखाई। Bank Nifty ने 50,995 पर समाप्ति की, जो पिछले दिन से 750 पॉइंट से अधिक ऊपर था। ओपनिंग के बाद ही 51,066 तक की ऊँचाई पर पहुंच चुका था, और शुरुआती मिनटों में ही 826 पॉइंट की छलांग लगा दी। इस तेज़ी को देखकर कई ट्रेडर असामान्य रूप से बड़ी मात्रा में शॉर्ट कवर कर रहे थे।
सेक्टरों की स्थिति
बाजार के सभी वर्गों में खरीदी की धूम रही। BSE Small‑cap ने 3% से अधिक की उछाल दर्ज की, जबकि Mid‑cap ने लगभग 1.8% की बढ़ोतरी दिखाई। ऑटो सेक्टर, जो अक्सर आर्थिक गति का एक बेंचमार्क माना जाता है, 2.03% की बढ़त के साथ 20,548.65 पर बंद हुआ। इस हफ्ते के अंत में, कुल 473 स्टॉक्स ने सर्किट पर पहुंच कर ट्रेडिंग को हिलाया – 331 उपर की ओर और 142 नीचे की ओर सीमित रहे। साथ ही, 65 स्टॉक्स ने 52‑हफ्ते के नए हाई छूए, जबकि 38 ने लो बनाये।
इस रैली का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की घोषणा थी, जिसमें उन्होंने अधिकांश देशों के लिए 90‑दिन का टैरिफ पज़, चीन को छोड़कर, लागू किया। इस कदम ने वैश्विक बाजार में तुरंत राहत पहुंचाई और निवेशकों के मन में आशा की लहर पैदा कर दी। भारत में भी RBI द्वारा मौद्रिक नीति में ढिलाई की उम्मीदें जुड़ गईं, जिससे छोटे‑मध्यम उद्यमों को फंडिंग में आसानी महसूस हुई। विदेशी निवेशकों ने भी इस खबर को एक सकारात्मक संकेत माना, और कई फंड ने भारतीय इक्विटीज़ में फिर से तरलता डाल दी।
तकनीकी विश्लेषकों ने Nifty में एक 'inside bar' पैटर्न देखा, जो अगले स्तर 23,200‑23,400 के बीच अपवर्ड मूवमेंट का इशारा करता है। इस संकेत के साथ कई फंड मैनेजर्स ने पोर्टफोलियो को बैंक्स और बड़े‑कैप स्टॉक्स में भारी करने का फैसला किया।
रिपोर्टों के अनुसार, Q4 FY25 के ईरनिंग्स के करीब आटे ही, कंपनियों ने अनुमान के ऊपर बेहतर परिणाम दिखाने की आशा जताई है। इस आशावाद ने भी खरीदी की गति को तीव्र किया, और कई निवेशक अपने पोर्टफोलियो को पुनः संतुलित करने लगे।
- बेंगलुरु स्टॉक एक्सचेंज (BSE) Sensex: 75,157.26 (+1.77%)
- नॅशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) Nifty 50: 22,828.55 (+1.92%)
- Bank Nifty: 50,995 (+750 पॉइंट से ऊपर)
- Small‑cap: +3% | Mid‑cap: +1.8%
- संभावित अगले रेज़िस्टेंस लेवल: 23,200‑23,400 (Nifty)
सभी संकेत यह दिखाते हैं कि भारतीय शेयर बाजार अभी एक नई ऊर्जा से भर रहा है। निवेशकों के बीच उत्साह और विश्वास की भावना दोनों ही मजबूती से बना हुआ है, और अगले कुछ हफ्तों में हम और भी अधिक गतिविधि देख सकते हैं।
टिप्पणि (4)
Akhil Nagath सितंबर 27 2025
बाजार की इस तेज़ी को देखते हुए, हमें याद रखना चाहिए कि सम्पदा का प्रयोग नैतिकता के साथ होना चाहिए; गहन विचार‑धारा यह दर्शाती है कि अल्पकालिक लाभ की पिपासा कभी‑न कभी सामाजिक संतुलन को बिगाड़ देती है। इसलिए, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को विविधता से सुसज्जित करना चाहिए, न कि केवल एक ही sector में झुका जाना 😉। निर्णय लेते समय, केवल आँकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहिए; बल्कि आर्थिक नीति, अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों तथा नैतिक दायित्वों को भी परखना आवश्यक है। अंततः, स्वस्थ वित्तीय वातावरण वह है जो व्यक्तिगत लाभ के साथ सामूहिक कल्याण को भी सुनिश्चित करे।
vipin dhiman अक्तूबर 8 2025
देश के शेयरों को अपनाओ, विदेशी फंड को धकेल दो!
vijay jangra अक्तूबर 20 2025
यह रैली दर्शाती है कि बैंकिंग सेक्टर में तरलता की उपलब्धता निवेशकों को आकर्षित कर रही है। छोटे‑मध्यम उद्यमों को फंडिंग में आसानी मिलने पर, उनका विकास तेजी से हो सकता है, जिससे broader market को सहारा मिलेगा। विविधता बनाए रखने के लिए, Nifty के अलावा शेष sector‑like छोटे‑कैप और मिड‑कैप में भी हिस्सेदारी रखना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा, तकनीकी संकेतकों जैसे 'inside bar' पर नज़र रखना और उचित stop‑loss सेट करना जोखिम को नियंत्रित करने में मदद करेगा। आशावाद के साथ, लेकिन विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन को न भूलें।
Vidit Gupta अक्तूबर 31 2025
वास्तव में, आप ने जो बिंदु उठाए हैं, वे अत्यंत महत्वपूण हैं,; लेकिन यह भी उल्लेखनीय है कि छोटे‑कैप की मजबूती को अक्सर मनोवैज्ञानिक दबाव कम करके ही समझा जाता है,; इसलिए, एक संतुलित पोर्टफोलियो में भावनात्मक स्थिरता को भी प्राथमिकता देनी चाहिए,; नहीं तो अत्यधिक उत्साह अस्थायी गिरावट में बदल सकता है,; इस विषय में आपका दृष्टिकोण सराहनीय है,; फिर भी, जोखिम‑प्रबंधन को और भी दृढ़ बनाना आवश्यक है,; धन्यवाद।