मुंबई में एक बार फिर से सुरक्षा व्यवस्था का सवाल खड़ा हो गया जब एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को हिला कर रख दिया है बल्कि देश भर में सुरक्षा संबंधी चिंताओं को जन्म दिया है। ज़ीशान सिद्दीकी, जो कि बाबा सिद्दीकी के बेटे हैं और वर्तमान में वान्द्रे ईस्ट के विधायक हैं, इस घटना में बाल-बाल बचे। ज़ीशान का जन्म 3 अक्टूबर 1992 को बांद्रा में हुआ और वे एक राजनीतिक परिवार में बड़े हुए। उनके पिता, बाबा ज़ियाउद्दीन सिद्दीकी, महाराष्ट्र की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ थे, जिनकी जगह उन्होंने अब संभाली है।
ज़ीशान सिद्दीकी ने अपनी राजनीतिक यात्रा कांग्रेस पार्टी से शुरू की। उनकी नेतृत्व क्षमता और जनसेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें पार्टी में जल्दी ही एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उन्होंने मुंबई यूनिट के युवा विंग के अध्यक्ष का पद संभाला, लेकिन 2024 चुनावों के दौरान क्रॉस-वोटिंग के आरोपों के बाद उनका करियर एक मुश्किल मोड़ पर आ गया। इन आरोपों के बाद ज़ीशान का पार्टी से निष्कासन हुआ, जिसकी वजह उन्होंने पार्टी की साम्प्रदायिक नीति और भेदभाव बताया। इसके बाद ज़ीशान ने उसी पार्टी का दामन थाम लिया, जहां उनके पिता ने भी अपनी राजनीतिक यात्रा में परिवर्तन किया था, यानी एनसीपी।
12 अक्टूबर 2024 की रात, जब बाबा सिद्दीकी को गोली मारी गई, तब ज़ीशान ने कुछ मिनट पहले ही अपने कार्यालय से निकल गए थे। यह एक दुर्घटना ही कहा जा सकता है कि एक फोन कॉल की वजह से उन्हें कार्यालय छोड़ना पड़ा और इसलिए वे हमले से बचे। उनके पिता उनके पांच मिनट बाद वहां से निकले और अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया। इस घटना के बाद से ज़ीशान सिद्दीकी को 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है, जबकि उनके पिता के पास कोई सुरक्षा नहीं थी। इस हत्या के मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है जो उत्तर प्रदेश और हरियाणा से संबंधित हैं, जबकि एक तीसरे हमलावर की तलाश जारी है।
यह हत्या महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करती है। विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर नागरिकों की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया है। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि राज्य में अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा सुनिश्चित कैसे हो सकती है और उनके जीवन की रक्षा कैसे की जा सकती है। इस घटना से यह भी पता चलता है कि सत्ता में रहने वाले लोगों के लिए सुरक्षा उपाय कितने आवश्यक हैं। जब एक जाना-माना नेता इस तरह की असुरक्षा का शिकार हो सकता है, तो आम लोगों की स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
भविष्य की राजनीतिक दिशा में जाते हुए, ज़ीशान सिद्दीकी को बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। उन्हें अपनी पार्टी और महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। अब जबकि उनके पिता का एक दुखद अंत हो चुका है, ज़ीशान को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका राजनीतिक करियर इससे प्रभावित न हो। उनकी प्रमुखता में उनकी भूमिका केवल एक विधायक के रूप में ही नहीं, बल्कि एक राजनीतिक परिवार के उत्तराधिकारी के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
बाबा सिद्दीकी की हत्या और उनके बेटे ज़ीशान सिद्दीकी की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि राजनीति और अपराध दुनिया के दो अलग-अलग पहलू नहीं हैं। इस तरह की घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों के लिए सुरक्षा के महत्व को कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ज़ीशान सिद्दीकी के राजनीतिक जीवन में यह काला अध्याय उनके लिए एक सीख हो सकता है, जिससे वह अपनी दिशा तय कर सकते हैं और अपने पिता की विरासत को मजबूत कर सकते हैं।
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