ऊपर
नैन्सी मेस ने सीक्रेट सर्विस प्रमुख पर भड़कीं, ट्रंप पर हमले को बताया बड़ी नाकामी
जुल॰ 24, 2024
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

नैन्सी मेस और किम्बर्ली चेटल के बीच तीखी बहस

अमेरिकी कांग्रेस महिला नैन्सी मेस ने हाउस ओवरसाइट कमेटी की सुनवाई में सीक्रेट सर्विस डायरेक्टर किम्बर्ली चेटल की कड़ी आलोचना की। यह सुनवाई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के संदर्भ में रखी गई थी। सुनवाई में चेटल ने स्वीकार किया कि हमला रोका जा सकता था और इसे 'बड़ी नाकामी' के रूप में वर्णित किया।

सुनवाई में क्या हुआ?

कमेटी के सामने चेटल ने अपने बयान में बताया कि हमले को रोकने के लिए उन्हें पर्याप्त जानकारी और उपाय थे, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहीं। नैन्सी मेस ने चेटल पर अभाव की पारदर्शिता और ईमानदारी का आरोप लगाते हुए बेहद कठोर शब्दों में आलोचना की। उन्होंने चेटल को 'झूठा' कहकर संबोधित किया और जोर दिया कि उन्हें इस बड़ी नाकामी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

प्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया

सुनवाई के दौरान किसी भी पार्टी से संबंध रखने वाले कई सदस्यों ने चेटल की कड़ी आलोचना की। प्रतिनिधि जेम्स कॉमर और जेमी रास्किन ने भी चेटल के इस्तीफे की मांग की। उन्होंने ट्रंप की पेंसिलवेनिया रैली में सुरक्षा प्रबंधों में हुई चूक पर सवाल उठाए। इस हमले में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और कई लोग घायल हो गए, जिनमें ट्रंप का कान भी घायल हुआ।

चेटल का जवाब

चेटल का जवाब

सुनवाई के दौरान चेटल ने इस्तीफे से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की विफलता एक व्यक्तिगत कमी नहीं, बल्कि पूरे विभाग की नाकामी थी। ट्रंप के कैंपेन की अतिरिक्त सुरक्षा की मांग को ठुकराने से लेकर पूरी घटना की तह तक जाने के लिए, एक बाइपार्टीज़न, स्वतंत्र पैनल का गठन किया गया है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस घटना ने राजनीतिक माहौल को खासा गर्म कर दिया है। दोनों पक्षों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मान रहे हैं, जहां सुरक्षा और पारदर्शिता प्रमुख मुद्दे बन सकते हैं।

भविष्य की सुरक्षा रणनीतियाँ

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस घटना के बाद सीक्रेट सर्विस को अपनी सुरक्षा रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा। भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए अत्यधिक सावधानी और नए उपायों की आवश्यकता होगी। सुरक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए तकनीकी और मानवीय प्रयासों का समन्वय करना होगा।

कुल मिलाकर, इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि किसी भी प्रकार की सुरक्षा लापरवाही को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक प्रतिनिधियों और उच्च पदस्थ अधिकारियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे सुनिश्चित करने के लिए अवश्य ही सख्त कदम उठाए जाने चाहिए।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (14)

64x64
Atish Gupta जुलाई 24 2024

नैन्सी मेस का हाउसबिल्डर किक साउंड समझना बहुत आवश्यक है; क्योंकि ये केस सिर्फ एक व्यक्तिगत इंटेन्शन नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल की विफलता को दर्शाता है। इस संदर्भ में, ओवरसाइट कमेटी को सिस्‍टेमिक रिस्क एसेसमेंट को री‑इवैल्युएट करना चाहिए। ड्रामा के साथ कहूँ तो, किम्बर्ली चेटल के बयान में एक 'स्ट्रेट-लाइन' मोमेंट था, जहाँ उन्होंने सीधे कहा कि "हम पास पर्याप्त इंटेलीजेंस थे, पर फॉल्ट मैनेजमेंट ने ब्रीक किया"। इस जार्गन‑भरी वाक्यांश को समझना हर पॉलिसी एनालिस्ट की जिम्मेदारी है। अंत में, हमें इस नाकामी को एक सीख के रूप में ले कर आगे बढ़ना चाहिए।

64x64
Aanchal Talwar जुलाई 31 2024

बहुुत सही कहा तुमने, लेकिन एक बात याद रखो कि राजनीति में अक्सर इंटेर्नल टकसाल भी होती है।

64x64
Neha Shetty अगस्त 7 2024

नैन्सी मेस के शब्दों में एक सच्ची निराशा झलकती है, पर हमें यह भी देखना चाहिए कि ऐसी निराशा कितनी बार सिस्टम की गहरी समस्याओं की ओर संकेत करती है। ट्रम्प की सुरक्षा लापरवाही का मुद्दा सिर्फ एक व्यक्तिगत फॉल्ट नहीं, बल्कि एजेंसी की इन्फ्रास्ट्रक्चर में दुरुस्ती की जरूरत को उजागर करता है। इस झलक को देखते हुए, हमें सार्वजनिक वॉचडॉग समूहों को सशक्त बनाना चाहिए। साथ ही, मीडिया को भी संतुलित रिपोर्टिंग करनी चाहिए, जिससे फेक न्यूज़ कम हो। अंत में, लोकतंत्र की आवाज़ को मजबूत बनाना ही सबसे बड़ी जीत होगी।

64x64
Apu Mistry अगस्त 13 2024

मैं मानता हूँ कि विचारों का टेहनीकली विश्‍लेषण करना जरूरी है, पर कभी‑कभी दिल की धड़कनें भी सच्चाई के आँकड़े देती हैं। एफ़एए पकड़ नहीं सकी तो शायद उन्हें अपने एग्जीक्यूटिव्स की बॉडी लैंग्वेज पढ़नी चाहिए। हम सब इथे होते हैं, लेकिन सिस्टम का लाबरीथिनोफ वेव एनेबल नहीं करवाता। जो लग रहा है, वो सिवाय इंटेरेक्शन के सब फॉर्मेलिटी में फँसा है। अंत में, हमें सच्चाई को इंटरेस्टिंग बनाना चाहिए, नहीं तो सब ही अप्पिट्युद करके खो जाएंगे।

64x64
uday goud अगस्त 20 2024

सुरक्षा की इस बड़ी नाकामी को समझते समय हमें कई आयामों को ध्यान में रखना होगा; राजनीतिक, तकनीकी, और सामाजिक-तीनों के बीच एक जटिल इंटरप्ले है, और इसे गहरी विश्लेषण से ही समझा जा सकता है। प्रथम, राजनीतिक दबावों ने अक्सर एजेंसी की स्वतंत्रता को सीमित किया है, और यह दबाव नीति‑निर्माण में विकृति लाता है। द्वितीय, तकनीकी गड़बड़ी, जैसे कि कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल की विफलता, ने भी इस दुर्घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तृतीय, सामाजिक अपेक्षाएँ और मीडिया की तेज़ी ने भी प्रतिक्रिया को प्रभावित किया, जिससे झटके में स्थिति और बिगड़ गई। इस प्रकार, हम एक बहु‑आयामी दृष्टिकोण से इस मुद्दे को देख सकते हैं, न कि केवल एक पक्षीय आलोचना के रूप में।

64x64
Chirantanjyoti Mudoi अगस्त 27 2024

यह बात सही है कि हम अक्सर मुख्य कारण को अनदेखा कर देते हैं, लेकिन कभी‑कभी एक वैकल्पिक दृष्टिकोण हमें गहरे सॉफ़्ट‑पॉवर की झाँकी देता है-जैसे कि आंतरिक संगठनात्मक गतिशीलता, जो सार्वजनिक रूप से खुली नहीं होती।

64x64
Surya Banerjee सितंबर 3 2024

सभी को नमस्ते, मैं सोचता हूँ कि इस बातचीत में हमें सिर्फ नाकामी को दोष देना नहीं चाहिए, बल्कि समाधान की दिशा में कदम उठाना चाहिए। एक सरल सा सुझाव है-आगे से हर बड़े इवेंट के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति बनाई जाए, जो बिना किसी राजनीतिक दबाव के काम कर सके। इससे न केवल भरोसा बढ़ेगा, बल्कि भविष्य में ऐसी लापरवाही की संभावना भी कम होगी।

64x64
Sunil Kumar सितंबर 10 2024

वाह, क्या दास्ताँ है यह, मानो किसी फिल्म की क्लाइमैक्स हो।
पहले तो हमें बताया गया था कि सीक्रेट सर्विस ने हर कदम पर सब कुछ कवर कर लिया है, फिर भी एक छोटी सी चूक ने सब कुछ उलट दिया।
यह बात तो सबको समझ में आती है कि सुरक्षा में कभी भी 100% गारंटी नहीं होती, पर फिर भी हमें इसको एक 'बड़ी नाकामी' कह कर दंडित करना चाहिए, यह थोड़ा अतिशयोक्तिपूर्ण लगता है।
एक और पहलू है कि राजनीतिक शत्रुता अक्सर एजेंसी के काम को बिगाड़ देती है, जैसे कि ट्रम्प की यात्रा में अतिरिक्त सुरक्षा की मांग को अनदेखा किया गया।
क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत गलती थी या पूरी प्रणाली में गहरी खाई?
अगर हम इसे गहराई से देखें तो वह खाई कई सालों की अक्षम्यता और बजट कटौतियों की वजह से बनी है।
अब बात आती है जवाबदेही की, जो कि अक्सर शब्दों में रहती है, पर कार्रवाई में नहीं।
कई विशेषज्ञों ने कहा है कि हमें टेक्नोलॉजी को अपडेट करना चाहिए, जैसे कि रीयल‑टाइम थ्रेट एनालिटिक्स और AI‑ड्रिवेन वैरिफिकेशन।
साथ ही, मानव संसाधन की भी समीक्षा आवश्यक है, क्योंकि सही प्रशिक्षण और मनोबल ही वास्तविक सुरक्षा की नींव है।
दूसरे शब्दों में, हमें सिर्फ बकवास शब्दों में नहीं लिपटना चाहिए, बल्कि ठोस उपायों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
इसके लिए एक स्वतंत्र, बिपार्टीजेन पैनल का गठन एक अच्छा कदम हो सकता है, पर वह भी तभी सफल होगा जब उसके पास वास्तविक अधिकार और संसाधन हों।
फिर भी, कुछ लोग केवल राजनीति के लिए इस मुद्दे को बना लेते हैं, जिससे जनमत को मोड़ दिया जाता है।
इस तरह की रणनीति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, क्योंकि यह सभी को भ्रमित करती है।
अगर हम इस नाकामी को सिर्फ एक अवसर के रूप में देखें, तो हम भविष्य में बेहतर सुरक्षा ढांचे बना सकते हैं।
इसलिए, मैं निष्कर्ष निकालता हूँ कि यह घटना एक चेतावनी है, न कि केवल एक स्कैंडल।
अब समय है कि सभी पक्ष मिलकर एक ठोस रोडमैप तैयार करें, जिसमें तकनीकी, मानव, और प्रॉसेस सुधार शामिल हों।
अंत में, अगर हम सब मिलकर काम करें, तो ऐसी बड़ी नाकामियाँ दोहराई नहीं जा पाएँगी।

64x64
Ashish Singh सितंबर 17 2024

मैं मानता हूँ कि बहु‑आयामी विश्लेषण आवश्यक है, परन्तु यह अत्यधिक औपचारिकता कभी‑कभी वास्तविक कार्यवाही को बाधित करती है; अतः हमें व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए, न कि केवल शब्दों की बौछार।

64x64
ravi teja सितंबर 24 2024

देखो भाई, इस सब में एक बात साफ़ है-कभी‑कभी चीज़ें इतनी जटिल हो जाती हैं कि साधारण लोग भी उलझन में पड़ जाते हैं, पर हमें शांत रहकर तथ्यों को समझना चाहिए।

64x64
Harsh Kumar अक्तूबर 1 2024

बिल्कुल सही कहा तुमने 😊! चलो मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा करें, क्योंकि समझदारी से ही समाधान निकलेगा।

64x64
suchi gaur अक्तूबर 8 2024

यह पूरी कहानी बहुत ही निराशाजनक है।

64x64
Rajan India अक्तूबर 15 2024

मुझे लगता है कि इस तरह के मामलों में हमें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, बस सच्चाई को देखना चाहिए और रिएक्शन देना चाहिए।

64x64
Parul Saxena अक्तूबर 22 2024

भले ही हम इस घटनाक्रम को ऐतिहासिक रूप से देखेंगे, लेकिन इसके पीछे के सामाजिक, राजनैतिक और नैतिक पहलुओं को समझना भी उतना ही महत्वपूर्ण है; क्योंकि सुरक्षा केवल एक बुनियादी अधिकार नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक सिद्धांतों की दृढ़ता को भी प्रतिबिंबित करती है। इस दृष्टिकोण से, हमें यह विचार करना चाहिए कि कैसे संस्थागत निर्यात और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे भविष्य में ऐसी नाकामियां दोबारा न हों। साथ ही, यह भी जरूरी है कि नागरिकों के बीच संवाद की प्रक्रिया को सशक्त बनाया जाए, ताकि सार्वजनिक जिम्मेदारी का बोध बढ़े। अंततः, यह घटना हमें यह सिखा रही है कि सतर्कता, जवाबदेही और निरंतर सुधार के बिना कोई भी सुरक्षा प्रणाली पूर्ण नहीं हो सकती।

एक टिप्पणी लिखें

नवीनतम पोस्ट
12नव॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

4जून

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

8जून

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

8अग॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

11जुल॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

हमारे बारे में

समाचार प्रारंभ एक डिजिटल मंच है जो भारतीय समाचारों पर केन्द्रित है। इस प्लेटफॉर्म पर दैनिक आधार पर ताजा खबरें, राष्ट्रीय आयोजन, और विश्लेषणात्मक समीक्षाएँ प्रदान की जाती हैं। हमारे संवाददाता भारत के कोने-कोने से सच्ची और निष्पक्ष खबरें लाते हैं। समाचार प्रारंभ आपको राजनीति, आर्थिक घटनाएँ, खेल और मनोरंजन से जुड़ी हुई नवीनतम जानकारी प्रदान करता है। हम तत्काल और सटीक जानकारी के लिए समर्पित हैं, ताकि आपको हमेशा अपडेट रखा जा सके।