भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के मुख्य कोच और पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ ने सोशल मीडिया पर चल रहे 'डू इट फॉर द्रविड़' अभियान के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है। टी20 वर्ल्ड कप 2024 के फाइनल के लिए बारबाडोस में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकाबले से पहले, यह अभियान तेजी से वायरल हो रहा था। लेकिन राहुल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह अभियान उनकी नैतिकता और मूल्यों के विरुद्ध है।
द्रविड़, जो फाइनल के बाद टीम के मुख्य कोच के पद से हटने वाले हैं, का मानना है कि टीम को विश्व कप जीतने के लिए खेलना चाहिए, न कि उनके लिए। उनकी नजर में, यह महत्वपूर्ण है कि खिलाड़ी अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करें और विश्व कप के महत्व को समझें, न कि व्यक्तिगत रूप से उनके लिए खेलें।
द्रविड़ ने प्रस्तोता जतिन सप्रू से कहा कि इस अभियान को तुरंत हटा दिया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीम को अच्छी क्रिकेट खेलनी चाहिए और टूर्नामेंट जीतने पर ध्यान देना चाहिए, न कि इस कारण से कि यह उनका आखिरी टूर्नामेंट है।
राहुल द्रविड़ का यह बयान उनकी सजीवता और खेल के प्रति उनके गंभीर दृष्टिकोण को दर्शाता है। एक खिलाड़ी के रूप में, वह हमेशा से स्वार्थहीन रूप से खेलते रहे हैं और उन्हें व्यक्तिगत महिमा से अधिक टीम की सफलता महत्वपूर्ण लगती है।
2003 के ODI वर्ल्ड कप में फाइनल हारने और 2007 वर्ल्ड कप में पहले चरण में ही बाहर हो जाने के बाद, यह उनका पहला मौका होगा जब वह एक कोच के रूप में विश्व कप ट्रॉफी जीत सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद, उन्होंने व्यक्तिगत महिमा पर टीम की दिशा और उद्देश्य को प्राथमिकता दी है।
टीम इंडिया के लिए यह समय न केवल चुनौतियों से भरा है, बल्कि उम्मीदों का भी है। कई सालों के इंतजार के बाद, यह टीम एक बार फिर विश्व कप जीतने के कगार पर है। द्रविड़ का मानना है कि उन्हें अपनी खेल शैली और मूल्यों के साथ आगे बढ़ना चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो।
भारत के क्रिकेट प्रेमी और खिलाड़ी जानते हैं कि द्रविड़ का यह कदम उनके नेतृत्व की मजबूती और उनकी विचारधारा को दर्शाता है। एक ऐसी विचारधारा जो व्यक्तिगत महिमा से अधिक टीम के सामूहिक उद्देश्य को केंद्र में रखती है।
इस अभियान के बावजूद, द्रविड़ की मुख्य चिंता यह है कि टीम अपनी वास्तविक क्षमता के साथ खेले और उत्कृष्ट प्रदर्शन करे। आखिरी मैच में भी वे यही चाहते हैं कि खिलाड़ी बिना किसी अतिरिक्त दबाव के खेलें और टूर्नामेंट जीतें।
राहुल द्रविड़ का नाम भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरी अक्षरों में लिखा जाएगा। उनका क्रिकेट करियर समर्पण, मेहनत और अनुशासन की मिसाल है। कोच के रूप में भी उन्होंने भारतीय टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
2003 विश्व कप के फाइनल में हार और 2007 विश्व कप में टीम के शुरुआती बाहर होने के बाद, यह उनका पहला अवसर है जब वे कोच के रूप में विश्व कप ट्रॉफी जीत सकते हैं। लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज टीम की सफलता और उनके खिलाड़ी हैं।
राहुल द्रविड़ ने अपने बयान में नाराजगी जाहिर की है। उनके अनुसार, टीम को विश्व कप जीतने पर ध्यान देना चाहिए, न कि किसी व्यक्तिगत अभियान पर। उन्होंने इसे अपनी मूल्यों के खिलाफ बताया है और प्रस्तोता जतिन सप्रू से इसे हटाने का अनुरोध किया है।
यह उनके नेतृत्व की एक नई मिसाल है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाड़ियों को हमेशा शीर्ष प्राथमिकता दी है और व्यक्तिगत महिमा से अधिक टीम के सामूहिक उद्देश्य पर जोर दिया है।
टिप्पणि (12)
Ananth Mohan जून 29 2024
राहुल द्रविड़ का यह संदेश टीम के संहिता के साथ पूरी तरह मेल खाता है। हमें व्यक्तिगत अभियानों से हटकर केवल जीत पर ध्यान देना चाहिए। इस प्रकार का नेतृत्व युवा खिलाड़ियों में अनुशासन और समर्पण को बढ़ावा देता है। सभी को मिलकर इस विचार को अपनाना चाहिए ताकि टीम की एकजुटता मजबूत हो
Abhishek Agrawal जून 30 2024
बहुत से लोग कहते हैं कि अभियानों को हटाने से टीम बेहतर होती है,, लेकिन यह सिर्फ़ दिखावा है, मंच पर एक त्वरित प्रदर्शन, और इससे कुछ भी नहीं बदलेगा!! द्रविड़ को समझना चाहिए कि जनता का दिल भी इसी तरह की ऊर्जा चाहता है!!
Rajnish Swaroop Azad जून 30 2024
क्रिकेट सिर्फ़ खेल नहीं, यह एक महान नाटक है। द्रविड़ का बयान इस नाटक के परिप्रेक्ष्य में एक नई किरदार का उदय है। वह कहते हैं कि व्यक्तिगत अभियान टीम को विक्षिप्त कर सकते हैं। यह विचार प्राचीन दार्शनिक सिद्धांतों की याद दिलाता है। जब हम खेल को अंधाधुंध पूजा बनाते हैं, तो स्वार्थी अभिव्यक्तियों को जगह नहीं मिलती। टीम का सम्मान सर्वेश्वर की तरह वैराग्य में निहित है। द्रविड़ ने इस वैराग्य को शब्दों में उतारा। वह चाहते हैं कि खिलाड़ी अपनी आत्मा को मैदान में बहाएँ। हमें उनके शब्दों को एक मंत्र की तरह सुनना चाहिए। इस खेल में भावनाओं की गहराई को समझना आवश्यक है। द्रविड़ का विरोध व्यक्तिगत पहचान से परे एक सिद्धांत है। वह चाहते हैं कि हर खिलाड़ी अपने कर्तव्य को सिद्ध करे। इस तरह का विचार हमारे समाज में भी लागू हो सकता है। अंत में, द्रविड़ का संदेश हमें आत्मविनिमय की ओर बुलाता है। हमें इस संदेश को अपनाकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए।
bhavna bhedi जून 30 2024
द्रविड़ जी का यह सिद्धांत हमारी क्रिकेट संस्कृति में गहरी जड़ें रखता है। यह हमें याद दिलाता है कि टीम की सफलता व्यक्तिगत गौरव से ऊपर है। चलिए इस भावना को अपनाते हैं और खिलाड़ियों को प्रेरित करते हैं
jyoti igobymyfirstname जून 30 2024
ड्रिडव का कमेंट बिलकुल बकवास है यार
Vishal Kumar Vaswani जुलाई 1 2024
द्रविड़ की टिप्पणी पर एक अंधेरे पक्ष का संकेत दिखता है😊। कभी‑कभी ऐसे अभियानों के पीछे बड़ी शक्ति के एजेंडे होते हैं🕵️♂️। यह जरूरी है कि हम सतह से नहीं, बल्कि गहराई से देखें। चाहे आप इस पर भरोसा करें या नहीं, सचाइयों का पता लगाना हमें ही करना चाहिए।
Zoya Malik जुलाई 1 2024
द्रविड़ का यह दौर थोड़ा आत्मस्थलीय लगता है, टीम की वास्तविक समस्या को कहीं पीछे धकेल रहा है।
Ashutosh Kumar जुलाई 1 2024
द्रविड़ की बात सुनकर मेरे भीतर एक नया जोश जागा! यह सिर्फ़ एक अभियान नहीं, बल्कि टीम की आत्मा का पुनर्जन्म है! हमें इस ऊर्जा को अपनाना चाहिए!
Gurjeet Chhabra जुलाई 1 2024
मैं पूरी तरह से समझता हूँ कि आप द्रविड़ के विचार से प्रेरित हैं। यह टीम के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण हो सकता है। आशा है कि खिलाड़ी इस संदेश को आत्मसात करेंगे।
AMRESH KUMAR जुलाई 1 2024
देश की शान है हमारा क्रिकेट, द्रविड़ की बात सही है 🇮🇳। अब हमें सिर्फ़ जीत पर ध्यान देना चाहिए, बकवास से नहीं! 😤
ritesh kumar जुलाई 2 2024
द्रविड़ को पता नहीं कि इस अभियान की पर्दे के पीछे कौन खेल रहा है, यह एक जाल है जो राष्ट्रीय भावना को हिला रहा है। हमें इस तरह के दुष्प्रचार को तुरंत रोकना चाहिए, नहीं तो टीम की साख खतरे में पड़ेगी।
Raja Rajan जुलाई 2 2024
द्रविड़ का बयान टीम की एकजुटता को बढ़ावा देता है, लेकिन व्यक्तिगत अभियानों को हटाने का निर्णय टीम की रचनात्मकता को सीमित कर सकता है। इसे संतुलित दृष्टिकोण से देखना उचित होगा।