चीन और ताइवान के बीच संबंधों की जटिलता और उसमें विभिन्न कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल ही में, गुरुवार को चीन की सेना ने ताइवान के निकट बड़े पैमाने पर 'दंडात्मक' सैन्य अभ्यास किया, जो दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।
ताइवान पर चीन की यह कार्यवाई ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते के उद्घाटन भाषण के बाद की गई। बीजिंग ने इस भाषण को 'विभाजनकारी कृत्य' के रूप में देखा। ये सैन्य अभ्यास ताइवान स्ट्रेट और ताइपे नियंत्रित द्वीपों के आसपास किए गए, और इस कार्रवाई में सभी सैन्य शाखाओं की भागीदारी रही। पहली बार चीन के अभ्यास में यह क्षेत्र शामिल हुए हैं, जो तनाव को और बढ़ा रहे हैं।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने इन सैन्य अभ्यासों की कड़ी निंदा की है और इन्हें क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए हानिकारक बताया है। उनका कहना है कि यह चीन की मिला-भाव की मानसिकता को दर्शाता है और ताइवान की सेना को उच्चतम सतर्कता पर रखा गया है।
चीन का मानना है कि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है और ताइवान की स्वतंत्रता की हर कोशिश विफल होगी। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इन 'दंडात्मक' अभ्यासों को यह साफ करने के लिए किया गया कहा कि ताइवान को चीन के साथ एकीकृत होना ही पड़ेगा। यह कार्यवाई चीन की नीति को दर्शाते हैं, जो 'एक चीन नीति' को बढ़ावा देती है।
क्षेत्रीय स्थिरता पर यह घटनाएँ गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। सैन्य शक्ति के प्रदर्शन का यह कदम इलाके में अन्य देशों को भी मध्यस्थता की स्थिति में डाल सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ने भी ताइवान स्ट्रेट में शांति और स्थिरता की आवश्यकता को लेकर बयान जारी किए हैं।
आगे देखते हुए, यह कहना कठिन है कि यह टकराव कहां तक जाएगा, लेकिन यह निश्चित है कि ऐसे कदमों से तनाव और बढ़ सकता है। दोनों पक्षों की ओर से कोई भी कार्रवाई इस क्षेत्र को उच्च जोखिम में डाल सकती है, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसके प्रभाव भी महसूस किए जा सकते हैं।
चीन और ताइवान के बीच के मौजूदा हालात और सैन्य अभ्यास जैसे कदम, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चिंतन का विषय बने हुए हैं। शांति और स्थिरता की दिशा में हर संभव कदम उठाए जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की स्थितियों से बचा जा सके।
टिप्पणि (19)
Parul Saxena मई 24 2024
जैसे पानी के बहाव को रोकना असंभव है, वैस ही किसी भी राष्ट्र की जीत को परास्त करना आसान नहीं होता।
चीन ने ताइवान के निकट पिछले कई दशकों में कई बार सैन्य अभ्यास किए हैं, पर यह नया 'दंडात्मक' अभ्यास इतिहास में एक नया मोड़ बन सकता है।
ताइवान की रणनीतिक स्थिति को देखे तो यह द्वीप न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि वह तकनीकी क्षेत्र में भी एक प्रमुख खिलाड़ी है।
इस संदर्भ में चीन द्वारा दिखाया गया दिखावा न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह अपने 'एक चीन' सिद्धांत को पुनः स्थापित करने का एक प्रयास भी है।
जब हम अंतरराष्ट्रीय नियमों और समुद्री कानून की बात करते हैं, तो स्पष्ट है कि ऐसे बड़े पैमाने के अभ्यास से समुद्री सुरक्षितता पर प्रश्न खड़े होते हैं।
ताइवान की प्रतिक्रिया में उन्होंने उच्चतम सतर्कता का संकेत दिया, जो दर्शाता है कि इस तरह के आक्रमण को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
क्षेत्रीय स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि सभी पक्ष संवाद के माध्यम से समाधान तलाशें, न कि शक्ति प्रदर्शन से।
इतिहास ने हमें सिखाया है कि जब दो महाशक्तियों के बीच तनाव बढ़ता है, तो अक्सर छोटे राष्ट्रों को इसका सबसे अधिक बोज़ उठाना पड़ता है।
ताइवान जैसी लोकतांत्रिक सभ्यता को इस तरह के दबाव के सामने अपने मूल्यों को बनाए रखना चाहिए, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी समर्थन देना चाहिए।
चीन की इस 'दंडात्मक' अभ्यास का मौसम शायद कई देशों को अपने सैन्य तैयारियों को पुनः मूल्यांकन करने के लिए मजबूर कर देगा।
भारत के लिए यह देखना महत्वपूर्ण है कि यह तनाव दक्षिण एशिया के सामरिक संतुलन को कैसे प्रभावित करेगा।
यदि अमेरिका और यूरोपीय संघ अपने बयान को सख्त रखेंगे, तो यह संभव है कि चीन को अपनी योजना में संशोधन करना पड़े।
लेकिन यदि जलद्रव्यमान में दांव पर बड़ा संकल्प नहीं दिखाते, तो इस संघर्ष का विस्तार संभव है।
इस प्रकार, सभी पक्षों को संयम बरतते हुए कूटनीतिक उपायों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
अंततः, शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सहयोग और समझौता ही एकमात्र रास्ता है।
इस बीच, जनता को भी सूचित रखना आवश्यक है, ताकि भावी पीढ़ी को इस जटिल मुद्दे की सच्ची समझ मिल सके।
Ananth Mohan मई 26 2024
चीन की इस नई सैन्य चाल ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रश्न उठाए हैं, खासकर सुरक्षा के विचार से। ताइवान ने तुरंत अपनी प्रतिक्रिया दी, और सीमा पर सतर्कता बढ़ा ली।
Abhishek Agrawal मई 28 2024
क्या चीन को लगता है कि वह अपनी शक्ति से विश्व को जबरन मुंह मोड़ देगा!!! यह एक गंभीर गलती है!!!
Rajnish Swaroop Azad मई 29 2024
समुद्र में ज्वालामुखी जैसा गुस्सा, सिर्फ एक संकेत है!
bhavna bhedi मई 31 2024
चीन‑ताइवान संबंध जटिल हैं, पर हमें शांति के पथ पर चलना चाहिए। इस स्थिति में संवाद ही एकमात्र समाधान है।
jyoti igobymyfirstname जून 2 2024
yeh practice bilkul bakwaas hai, china ko thodi sochna chahiye!
Vishal Kumar Vaswani जून 3 2024
ऐसे बड़े अभ्यास के पीछे अक्सर छिपे होते हैं गुप्त लक्ष्य 🤔🔍 हमें सभी संकेतों पर नजर रखनी चाहिए।
Zoya Malik जून 5 2024
इस तरह की सैन्य प्रदर्शनी अक्सर अस्थायी प्रभाव डालती है। दीर्घकालिक समाधान के बिना स्थिति बिगड़ती है।
Ashutosh Kumar जून 7 2024
हर बार चीन ऐसा दिखावा करता है, जैसे कोई बच्चा शोर मचा रहा हो! लेकिन इस बार उनका इरादा स्पष्ट है! हमें इसे हल्का नहीं समझना चाहिए!
Gurjeet Chhabra जून 8 2024
ताइवान को अब क्या कदम उठाने चाहिए इस तनाव में
AMRESH KUMAR जून 10 2024
हमें चीन को दिखाना होगा कि भारत की आँखें खुली हैं :)
ritesh kumar जून 12 2024
चीन का यह अभिव्यक्तिकरण मैत्रीपूर्ण नहीं है; यह एक रणनीतिक सन्देश है जो क्षेत्रीय लबरीज़्म को प्रज्वलित करता है। इस प्रकार के अभ्यास से अस्थिरता का खतरा बढ़ता है, और यह हमारे राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है।
Raja Rajan जून 13 2024
सैन्य अभ्यास का वास्तविक उद्देश्य संभवतः शक्ति प्रदर्शन है।
Atish Gupta जून 15 2024
शांति की राह में हमें संवाद और समझौते को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि केवल शब्दों से ही नहीं, बल्कि कूटनीति के गहन विश्लेषण से ही स्थिरता संभव है।
Aanchal Talwar जून 17 2024
yeh samasya ka hal hum sab milke sochenge
Neha Shetty जून 18 2024
समुदाय के रूप में हमें इस बात को समझना चाहिए कि तनाव के समय हम सभी की आवाज़ें महत्वपूर्ण हैं। यदि हम एकजुट रहें तो समाधान निकलेगा।
Apu Mistry जून 20 2024
मन की गहराई में जब हम इस संघर्ष को देखते हैं, तो यह केवल भू-राजनीति नहीं, बल्कि मानवता की परीक्षा है।
uday goud जून 22 2024
बिल्कुल, चीन की इस क़दम से न केवल ताइवान, बल्कि पूरे एशिया‑प्रशांत क्षेत्र को झकझोर दिया गया है!!! इसे देखना इतिहास में एक नई चेतावनी है!!!
Chirantanjyoti Mudoi जून 23 2024
ज्यादातर लोग इसे केवल शक्ति के खेल के रूप में देखते हैं, पर असली छिपा पहलू आर्थिक मॉडलों पर प्रभाव हो सकता है।