तमिलनाडु के सेलईयुर में रहने वाले 43 वर्षीय आनंदन पर कथित तौर पर चोलामंडलम फाइनेंस के लोन एजेंट ने लोन की किस्त न देने पर हमला कर दिया। यह घटना सोमवार को हुई जब लोन एजेंट आनंदन के घर पहुंचा और तुरंत लोन की किस्त जमा करने की मांग की। उसने धमकी दी कि अगर किस्त नहीं दी गई तो लोन से खरीदी गई वाहन को जब्त कर लिया जाएगा।
जब आनंदन ने पूछा कि किस्त न देने पर क्या होगा तो लोन एजेंट ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। स्थिति उस वक्त और भी बिगड़ गई जब आनंदन घर लौटा और लोन एजेंट वहां पहले से ही मौजूद था। उसने अपने की-चेन से आनंदन के चेहरे पर वार करना शुरू कर दिया जिससे उसे चोटें आईं।
सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है कि लोन एजेंट लगातार आनंदन के चेहरे और सिर पर वार कर रहा है। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक दो महिलाएं बीच-बचाव के लिए नहीं आईं। इस घटना के विरोध में तमिलनाडु कंस्ट्रक्शन वर्क ओनर्स एसोसिएशन ने चोलामंडलम कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।
एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि चोलामंडलम के लोन एजेंट अक्सर लोन लेने वालों के साथ बदसलूकी करते हैं और उनके साथ मारपीट भी करते हैं। उन्होंने मांग की कि पुलिस इस मामले में हस्तक्षेप करे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
घटना के बाद चोलामंडलम फाइनेंस ने बयान जारी कर कहा कि वे इस मामले की जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी अपने ग्राहकों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने में विश्वास रखती है।
सेलईयुर पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है और आरोपी लोन एजेंट की तलाश की जा रही है।
पुलिस ने बताया कि फिलहाल मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
तमिलनाडु में लोन वसूली का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां लोन एजेंटों ने लोन लेने वालों के साथ मारपीट की है और उनके घरों में घुसकर तोड़फोड़ की है।
इससे पहले भी कई बार लोन एजेंटों द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने और धमकी देने की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि, अधिकतर मामलों में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
कई बार लोन एजेंटों द्वारा लोन लेने वालों को उनकी क्षमता से अधिक लोन देने के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में लोन लेने वाले किस्त नहीं चुका पाते और फिर लोन एजेंट उनके पीछे पड़ जाते हैं।
वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि लोन देने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके एजेंट लोन लेने वालों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। उन्हें अपने एजेंटों को प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे किसी भी परिस्थिति में हिंसा का सहारा न लें।
साथ ही, लोन लेने वालों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपनी क्षमता के अनुसार ही लोन लें। अगर किसी कारण से किस्त देने में समस्या हो रही हो तो उन्हें तुरंत संबंधित कंपनी को सूचित करना चाहिए।
जानकारों का यह भी कहना है कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और ऐसे नियम बनाने चाहिए जो लोन लेने वालों के हितों की रक्षा करें। साथ ही, लोन एजेंटों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर भी लगाम लगाई जानी चाहिए।
लोन वसूली के नाम पर होने वाली हिंसा किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है। ऐसी घटनाओं से न सिर्फ लोन लेने वालों का मनोबल टूटता है बल्कि समाज में भी एक गलत संदेश जाता है।
जरूरत इस बात की है कि लोन देने वाली कंपनियां और लोन लेने वाले दोनों ही जिम्मेदारी से काम करें। साथ ही, सरकार और कानून व्यवस्था को भी सख्ती से इस समस्या से निपटने की जरूरत है। तभी हम एक स्वस्थ और हिंसा मुक्त समाज का निर्माण कर पाएंगे।
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