ऊपर
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के कोटा को लेकर हिंसक झड़पों में पांच की मौत, कई घायल
जुल॰ 17, 2024
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के कोटा को लेकर बड़ा बवाल

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों के कोटा सिस्टम को लेकर देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जो हिंसा का रूप ले चुके हैं। छात्रों के इन प्रदर्शनों में अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हो गए हैं। यह आपदा 16 जुलाई को तब शुरू हुई जब उच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम को बहाल करने का आदेश दिया। इस कोटा सिस्टम के तहत स्वतंत्रता संग्राम के समय लड़े हुए सैनिकों के परिवारों के लिए 30% नौकरियों को आरक्षित किया गया है। इसके अलावा, इस कोटा सिस्टम में महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए भी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है।

प्रदर्शनकारियों का तर्क

प्रदर्शनकारी इस कोटा सिस्टम को भेदभावपूर्ण मानते हैं और इसे मेरिट आधारित सिस्टम से बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिस्टम प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों के लाभ के लिए बनाया गया है। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है, लेकिन इसके बावजूद विरोध जारी है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सक्षम और योग्य उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में अवसर मिलना चाहिए, जबकि कोटा सिस्टम इसके विपरीत है।

प्रधानमंत्री का समर्थन

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोटा सिस्टम का कट्टर समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि यह सिस्टम उन सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनके अनुसार, स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों के परिवारों को इस सम्मान का हकदार माना जाना चाहिए। इसके बावजूद, प्रदर्शनकारियों का मानना है कि यह सिस्टम केवल राजनीति लाभ के लिए इस्तेमाल हो रहा है और इसे तत्काल बंद किया जाना चाहिए।

हिंसा और झड़पों का विस्तार

16 जुलाई को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे उग्र होते गए। सबसे प्रमुख झड़पों में से एक 15 जुलाई को ढाका विश्वविद्यालय में हुई, जहां पुलिस और प्रो-सरकार छात्र संगठनों के साथ प्रदर्शनकारियों की भिड़ंत हो गई। इसके बाद झड़पें फैल गईं और जहीरनगर विश्वविद्यालय, सावर और देश के अन्य हिस्सों में भी हिंसक घटनाएं हुईं। विश्वविद्यालय परिसरों में, छात्रों ने प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर जाम लगा दिया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले का सहारा लिया। प्रोटेस्ट ने दैनिक जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है, ढाका सहित कई प्रमुख शहरों में जीवन रुक सा गया है।

कोटा सिस्टम और उसका महत्व

कोटा सिस्टम और उसका महत्व

बांग्लादेश का यह कोटा सिस्टम विवाद का मुख्य विषय बना हुआ है। इस सिस्टम के तहत सैनिकों के परिवारों के लिए 30% आरक्षण के साथ-साथ महिलाओं, विकलांगों और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए भी आरक्षण का प्रावधान है। समर्थकों का तर्क है कि यह सिस्टम उन समूहों को अवसर प्रदान करता है जो ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहे हैं और इसमें मुकाबला की कमी रही है। हालांकि, विरोधी इसे उनके अधिकारों का हनन मानते हैं जो गुण और गुणवत्ता के आधार पर नौकरी पाने के लिए पात्र हैं।

यह कोटा सिस्टम पिछले कुछ समय से विवाद में है। पहले भी इसे न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था, लेकिन राजनीतिक दबाव और समर्थन के कारण इसे फिर से लागू किया गया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस तरह के कोटा सिस्टम को समाप्त कर, योग्यता और क्षमताओं के आधार पर नौकरियां वितरित की जानी चाहिए। यह विषय न केवल छात्रों बल्कि समाज के सभी वर्गों को प्रभावित करता है।

न्यायालय के फैसले और सरकार की नीति

न्यायालय के फैसले और सरकार की नीति

उच्च न्यायालय के आदेश से पहले ही इस कोटा सिस्टम को लेकर न्यायिक और राजनीतिक लड़ाई चल रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही उच्च न्यायालय के फैसले को मंजूर नहीं किया था और इस पर रोक लगा दी थी, बावजूद इसके, विरोध अभी भी जारी है। सरकार का कहना है कि यह सिस्टम न्यायसंगत है और समाज में प्रभावी संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। लेकिन विरोध करने वाले इससे संतुष्ट नहीं हैं और सरकार की नीति को अधिनायकवाद के रूप में देख रहे हैं।

वर्तमान स्थिति और आगे की राह

वर्तमान स्थिति और आगे की राह

आलोचकों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर पुनर्विचार करे और दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए समाधान तलाशे। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस कोटा सिस्टम को खत्म कर नए कानून बनाए जाएं जो योग्यता आधारित हों। यह एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा है जिस पर तेजी से कार्रवाई की जरूरत है, वरना देश में अस्थिरता पैदा हो सकती है।

बांग्लादेश में प्रदर्शनों का यह सिलसिला बढ़ते जा रहा है और स्थिति कब सामान्य होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। यह देखते हुए कि यह मुद्दा सामाजिक और राजनीतिक दोनों रूपों में काफी गहरा है, ऐसे में स्थायी समाधान मिलना जरूरी हो गया है। सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस पर कोई निर्णय ले ताकि स्थिति नियंत्रित की जा सके और आम जनता का भरोसा बहाल हो सके।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (15)

64x64
bhavna bhedi जुलाई 17 2024

बांग्लादेश में कोटा सिस्टम को लेकर जो उथल-पुथल देखी जा रही है वह वास्तव में दुर्लभ है। इस विवाद में कई वर्गों की भावनाएँ एक साथ टकरा रही हैं। कोटा के समर्थक कहते हैं कि यह सैनिकों के परिवारों के लिए एक सम्मान का प्रतीक है। वहीं विरोधियों का मानना है कि यह मेरिट को दबा कर राजनीति का साधन बन रहा है। हाई कोर्ट ने जब इस पर रोक लगाई तो भी आंदोलन की लहर धड़कती रही। युवा छात्रों ने सड़कों पर अपना गुस्सा मुखर किया और कई बार पुलिस के साथ टकराव हुआ। इस दौरान पाँच लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए, यह एक बहुत बुरा परिणाम है। जनसंख्या के विभिन्न हिस्सों में इस मुद्दे से जुड़ी असंतुष्टि स्पष्ट दिख रही है। सरकार को चाहिए कि वह विभिन्न वर्गों की बातों को सुनकर एक सामंजस्यपूर्ण समाधान निकाले। न्यायपालिका को भी इस विषय पर निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना होगा। आर्थिक पहलू को भी ध्यान में रखकर नौकरियों का वितरण किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार कोटा प्रणाली पर पुनर्विचार आवश्यक है। सामाजिक समानता और व्यक्तिगत योग्यता के बीच संतुलन बनाना कठिन कार्य है। लेकिन संवाद और भरोसा ही इस जटिलता को हल करने का एकमात्र रास्ता हो सकता है। आशा है कि जल्द ही सभी पक्ष मिलकर इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त करेंगे।

64x64
jyoti igobymyfirstname जुलाई 22 2024

ओह माय गॉड, कोटा वाला मामला तो बिलकुल धांसू हो गया है
सरकार की बात सुनके लोग पूरी तरह हिल गये हैं
जैसे कोई लकीर नहीं, बस गंदा गड़बड़
ऐसे में युवाओं का गुस्सा तो समझ में आता है
पर हाहाकार से कुछ भी सॉल्यूशन नहीं निकलेगा

64x64
Vishal Kumar Vaswani जुलाई 27 2024

देखो, ये कोटा सिस्टेम पीछे कोई बड़ी साजिश नहीं तो नहीं हो सकती 🤔 यह अक्सर सत्ता के हाथ में सत्ता बनाये रखने के लिए इस्तेमाल होती है 😒 इतिहास में कई बार इसी तरह के कदम देखे गए हैं, और इस बार भी वही बात लगती है 😑

64x64
Zoya Malik जुलाई 31 2024

कोटा प्रणाली को लेकर इतना हंगामा अनावश्यक है। वास्तविक समस्याओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।

64x64
Ashutosh Kumar अगस्त 5 2024

ये सब बकवास अब बहुत हो गया! कोटा को तोड़ो या फिर पूरी तरह से हटाओ, नहीं तो छात्रों को और रक्त बहाना पड़ेगा! सरकार को तुरंत इस भ्रम को खत्म करना चाहिए!
विरोध की आवाज़ें अब भी गूंजती रहेंगी!

64x64
Gurjeet Chhabra अगस्त 10 2024

मैं समझता हूँ कि युवा लोगों का गुस्सा सही है। उन्होंने जो दर्द झेला है वह बहुत गहरा है, हमें उनका समर्थन करना चाहिए

64x64
AMRESH KUMAR अगस्त 14 2024

देश की शान यही है कि सैनिकों के परिजनों को सम्मान मिले! कोटा को हटाना राष्ट्रीय गौरव को ध्वस्त कर देगा 🙅‍♂️

64x64
ritesh kumar अगस्त 19 2024

यह कोटा सिर्फ एक ऐतिहासिक छलावा नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को बिगाड़ने का एक सुनियोजित कदम है; इसको समाप्त करने से ही राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी

64x64
Raja Rajan अगस्त 23 2024

कोटा नीति में सुधार आवश्यक है; न्यायिक निगरानी चाहिए

64x64
Atish Gupta अगस्त 28 2024

विरोध और समर्थन दोनों ही भावनाएँ अंततः सामाजिक सामंजस्य की माँग करती हैं; हमें एक बहु-स्तरीय संवाद मंच स्थापित करना चाहिए जहाँ सभी हितधारक खुल कर अपने विचार रख सकें

64x64
Aanchal Talwar सितंबर 2 2024

चलो मिलके कुछ करें

64x64
Neha Shetty सितंबर 6 2024

आपका उत्साह समझ में आता है, लेकिन हिंसा से समाधान नहीं मिलेगा। चलिए हम सब मिलकर शांति पूर्ण चर्चा के लिये एक मंच बनाते हैं, जहाँ सभी पक्ष अपनी बात रख सकें। यह बेहतर होगा कि हम संवाद के माध्यम से ही परिवर्तन लाएँ।

64x64
Apu Mistry सितंबर 11 2024

जीवन में अक्सर दिखती है कि शक्ति के जल में सच उलझ जाता है; कोटा जैसा मुद्दा हमें हमारे आंतरिक नैतिक मानदंडों से परिचित कराता है।

64x64
uday goud सितंबर 16 2024

असली प्रश्न यह है, कि क्या हम अपने इतिहास की जड़ें समझते हैं, और क्या हम भविष्य की दिशा में स्पष्ट दृष्टि रखते हैं?; इस प्रकार के सामाजिक संरचनाओं को पुनः विचार करना आवश्यक है;; क्योंकि केवल तब ही सामाजिक प्रगति संभव होगी, जब हम पारदर्शी और समतामूलक प्रणाली अपनाएँ;

64x64
Chirantanjyoti Mudoi सितंबर 20 2024

आपकी भावनात्मक अभिव्यक्ति देखी, परंतु वास्तविक समाधान के लिए ठोस डेटा और तर्क आवश्यक हैं। हमें भावनाओं से ऊपर उठकर व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए।

एक टिप्पणी लिखें

नवीनतम पोस्ट
12सित॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

21जून

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

19अग॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

13जून

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

18अप्रैल

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

हमारे बारे में

समाचार प्रारंभ एक डिजिटल मंच है जो भारतीय समाचारों पर केन्द्रित है। इस प्लेटफॉर्म पर दैनिक आधार पर ताजा खबरें, राष्ट्रीय आयोजन, और विश्लेषणात्मक समीक्षाएँ प्रदान की जाती हैं। हमारे संवाददाता भारत के कोने-कोने से सच्ची और निष्पक्ष खबरें लाते हैं। समाचार प्रारंभ आपको राजनीति, आर्थिक घटनाएँ, खेल और मनोरंजन से जुड़ी हुई नवीनतम जानकारी प्रदान करता है। हम तत्काल और सटीक जानकारी के लिए समर्पित हैं, ताकि आपको हमेशा अपडेट रखा जा सके।