दिवाली के त्योहार के मौके पर दक्षिण रेलवे ने एक विशेष ट्रेन का आयोजन किया है, जो तम्बारम से सेंगोट्टई तक जाएगी और दक्षिण रेलवे के आधिकारिक आदेश के अनुसार मेलमरुवथूर स्टेशन पर रुकेगी। ट्रेन नंबर 06013, एक अनुन्नत सुपरफास्ट विशेष ट्रेन, 30 सितंबर 2025 को शाम 4:15 बजे तम्बारम से निकलेगी और अगले दिन सुबह 3 बजे सेंगोट्टई पहुंचेगी। यह ट्रेन केवल एक दिन के लिए चलेगी, लेकिन इसका महत्व उसके रूट में छिपा है — जहां दर्जनों भक्त अपने कावड़ी लेकर जा रहे होते हैं।
मेलमरुवथूर: एक छोटा स्टेशन, बड़ी यात्रा
मेलमरुवथूर एक ऐसा स्टेशन है जिसके बारे में ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यह बस एक रुकने की जगह है। लेकिन यहां का वातावरण दिवाली के दिनों में बदल जाता है। जब ट्रेन 5:13 बजे आती है, तो स्टेशन पर भीड़ जम जाती है — न सिर्फ यात्री, बल्कि भक्त भी, जो अपने कावड़ी लेकर श्री मारुति मंदिर की ओर बढ़ रहे होते हैं। यहां के लोग कहते हैं, "इस ट्रेन के बिना हमें अपने कावड़ी को बस ले जाने के लिए एक दिन बर्बाद करना पड़ता था।"
ट्रेन का रूट लगभग 600 किमी है और इसमें चेंगलपट्टू, विल्लुपुरम, वृद्धाचलम, अरियालूर, कुम्बकोणम, तंजावुर जैसे बड़े शहर शामिल हैं। हर स्टॉप पर भीड़ बढ़ती है। विल्लुपुरम पर तो लोग खुले दरवाजे से चढ़ जाते हैं — क्योंकि यहां के लोग अक्सर रात को शुरू करके अगले दिन सुबह तक यात्रा करते हैं। एक भक्त ने कहा, "हमारा कावड़ी दो घंटे तक बोझ बना रहता है। ट्रेन ने उसे आधा कर दिया।"
दिवाली से लेकर थैपुसम तक: रेलवे की यात्रा योजना
दक्षिण रेलवे की यह योजना दिवाली तक सीमित नहीं है। यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि एक पैटर्न है। थैपुसम त्योहार 11-12 फरवरी 2025 को आयोजित होगा, और उसके लिए ट्रेन नंबर 06722 मदुरै जंक्शन-पलानी विशेष ट्रेन चलेगी। इस बार भी, रेलवे ने भक्तों की आवाज को सुना है। आर्थिक टाइम्स इन्फ्रा की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी उपनगरों के निवासी तिरुट्टनी तक 62 किमी की यात्रा के लिए विशेष ट्रेन की मांग कर रहे हैं — जिसमें 18 स्टेशन शामिल हैं।
यहां की यात्रा की भावना बहुत अलग है। यह सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाना नहीं है। यह एक अध्यात्मिक यात्रा है। कावड़ी लेकर चलने वाले भक्त अक्सर 24 घंटे तक चलते हैं। ट्रेन का आयोजन उनके लिए एक आशीर्वाद है। रेलवे के अधिकारी कहते हैं, "हम यह नहीं चाहते कि कोई भक्त अपनी श्रद्धा के लिए दूरी के कारण विफल हो।"
क्यों यह ट्रेन अलग है?
इस ट्रेन का असली अंतर इसकी अनुन्नत श्रेणी में है। यह एक अनुन्नत ट्रेन है — यानी बिना आरक्षण के। यह उन लोगों के लिए है जो पैसे नहीं लगाना चाहते, लेकिन श्रद्धा बरकरार रखना चाहते हैं। यहां आम यात्री नहीं, बल्कि दरिद्र भक्त, मजदूर, छोटे व्यापारी और गांव के लोग आते हैं।
इसका विपरीत है बरथ गौरव ट्रेन — जो एक विशेष पर्यटन ट्रेन है। उन पर यात्रा के लिए टिकट बिकता है, और केवल टूर टाइम्स के द्वारा जारी किए गए बोर्डिंग पास वाले ही चढ़ सकते हैं। वहां एसी कोच, पैन्ट्री कार और बिजली कार होती हैं। लेकिन यह ट्रेन नहीं है जो एक गांव की मां को अपने बेटे के साथ भगवान के दर्शन के लिए ले जाए।
भारत के बाहर: मलेशिया का सबक
दुनिया भर में थैपुसम का महत्व बढ़ रहा है। मलेशिया में KTMB ने इस त्योहार पर निःशुल्क ट्रेन सेवा शुरू कर दी है। दो दिनों तक बिना टिकट के यात्रा करने की अनुमति है। यहां के अधिकारी कहते हैं, "हम नहीं चाहते कि कोई भक्त यात्रा के लिए पैसे के लिए चिंतित हो।"
भारत में यह विचार अभी तक नहीं आया है। लेकिन यहां भी रेलवे ने अपना रास्ता बना लिया है — निःशुल्क नहीं, लेकिन सस्ता। अनुन्नत ट्रेनें बिना आरक्षण के, बिना जटिलता के। यह एक छोटा सा कदम है, लेकिन उसका प्रभाव बड़ा है।
अगला कदम क्या है?
अगले साल दक्षिण रेलवे ने तिरुट्टनी तक की ट्रेन की मांग को गंभीरता से लेने का इरादा जताया है। एक अधिकारी ने कहा, "हम अगले तीन महीनों में इस पर अध्ययन करेंगे।" लेकिन लोग पहले से ही तैयार हैं। एक गांव के वृद्ध ने कहा, "हमें तिरुट्टनी जाना है। ट्रेन नहीं तो पैदल, लेकिन जाएंगे।"
दक्षिण रेलवे की यह ट्रेन सिर्फ एक टाइमिंग नहीं है। यह एक विश्वास है — यह विश्वास कि भक्ति की यात्रा को सम्मान देना भी रेलवे का काम है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या यह ट्रेन हर साल चलेगी?
अभी तक यह केवल 30 सितंबर 2025 के लिए निर्धारित है, लेकिन दक्षिण रेलवे ने अगले वर्ष दिवाली के लिए इसी तरह की ट्रेन चलाने की संभावना की ओर इशारा किया है। भक्तों की भारी भीड़ और स्थानीय निवासियों की मांग के कारण यह एक वार्षिक विशेष ट्रेन बन सकती है।
मेलमरुवथूर पर रुकने का क्या महत्व है?
मेलमरुवथूर श्री मारुति मंदिर के लिए एक प्रमुख प्रवेश बिंदु है। हजारों भक्त यहां से कावड़ी लेकर शुरू करते हैं। ट्रेन का यह स्टॉप उन्हें लंबी पैदल यात्रा से बचाता है, जो अक्सर 20-30 किमी तक होती है। यह एक सामाजिक और धार्मिक आवश्यकता है।
क्या यह ट्रेन आरक्षित है?
नहीं, यह एक अनुन्नत ट्रेन है, जिसका अर्थ है कि कोई आरक्षण नहीं है। यह दरिद्र और आम भक्तों के लिए बनाई गई है, जो अपनी श्रद्धा के लिए किसी भी बाधा को नहीं चाहते। यात्रा की लागत भी बहुत कम है — लगभग 150 रुपये।
थैपुसम के लिए कौन सी ट्रेन चलेगी?
11-12 फरवरी 2025 को दक्षिण रेलवे ट्रेन नंबर 06722 मदुरै जंक्शन-पलानी विशेष ट्रेन चलाएगी। यह ट्रेन भी अनुन्नत श्रेणी में होगी और भक्तों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई है, जो पलानी के श्री वेंकटेश्वर मंदिर की ओर बढ़ रहे होंगे।
क्या यह ट्रेन सुरक्षित है?
हां, दक्षिण रेलवे ने इस ट्रेन के लिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की है। स्टेशन पर रेलवे पुलिस और स्थानीय भक्ति समूहों के सदस्य तैनात होंगे। भीड़ के नियंत्रण के लिए बाध्य रूप से ट्रेन में जाने के लिए एक व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
क्या यह ट्रेन अन्य त्योहारों के लिए भी चलेगी?
हां, दक्षिण रेलवे ने पिछले तीन वर्षों में अंगाड़ी, रामनवमी और शिवरात्रि के लिए भी ऐसी ट्रेनें चलाई हैं। यह एक नीति बन रही है — जहां धार्मिक यात्राओं को रेलवे की प्राथमिकता बनाया जा रहा है।
टिप्पणि (1)
Brajesh Yadav दिसंबर 3 2025
ये ट्रेन तो बस एक ट्रेन नहीं... ये तो भगवान की गाड़ी है! 🙏✨ जब तक रेलवे ऐसे कदम नहीं उठाएगा, तब तक भारत की आत्मा ठीक से नहीं चलेगी। दिवाली का असली मतलब यही है - भक्ति को रास्ता देना!