जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री भारत ने दार्जिलिंग में हुए भूस्खलन से हुई मौतों पर शोक व्यक्त किया, तो द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति भारत ने भी गहरी सहानुभूति जताई। उसी दिन ममता बनर्जी, मुख्य मंत्री पश्चिम बंगाल ने आपदा‑ग्रस्त क्षेत्रों में तत्काल राहत कार्यों का आदेश दिया। रिचर्ड लेप्चा, उप‑मंडल अधिकारी दार्जिलिंग ने बताया कि 5 अक्टूबर 2025 को शुरू हुई लगातार बरसात ने दार्जिलिंग और मिरिक पहाड़ियों में विनाशकारी भूस्खलन कर दिया, जिससे 18‑23 लोग मारे गए और सैकड़ो लोग फंसे हुए हैं।
घटना की पृष्ठभूमि
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और मिरिक पहाड़ियों में पिछले दो हफ्तों से लगातार 120‑150 मिमी बारिश हुई थी। मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी, लेकिन पर्यटन सीजन के चरम पर आए कई परिवारों ने इसे अनदेखा कर दिया। दुर्गा पूजा के बाद की भीड़भाड़ के कारण कई लोग इन उच्चभ्रू इलाकों में ट्रेकिंग और कैंपिंग के लिए इकट्ठा हुए थे।
भूस्खलन के परिदृश्य और आँकड़े
रिचर्ड लेप्चा के अनुसार, शनिवार रात को शुरू हुई तेज़ बारिश ने पहाड़ी ढलानों की मिट्टी को अस्थिर कर दिया। मिरिक‑सुखियापोखरी सड़क पर हुए बड़े‑पैमाने के भूस्खलन ने 7 लोगों की मौतिक पुष्टि की, जबकि अन्य स्रोतों ने कुल मौतों की सीमा 20‑23 लोगों तक बताई। प्रमुख आंकड़े इस प्रकार हैं:
- भूस्खलन से प्रभावित प्रमुख ग्राम: धार, नागराकाटा और लेपचाजगत।
- परिचालन में बाधा: मिरिक‑सुखियापोखरी मुख्य मार्ग और कई ग्रामीण सड़कों पर ट्रैफिक 100% रुक गया।
- बचाए गए लोग: धारा गांव में मलबे से लगभग 40 लोगों को बचाया गया, जिसमें 12 बच्चों की स्थिति गंभीर रही।
- पर्यटक संख्या: अनुमानित 350+ बाहरी पर्यटक इस भूस्खलन में फंसे या घायल हुए।
भूस्खलन के साथ कई छोटे पूलों की संरचना टूट गई, जिससे पानी के बहाव में बदलाव आया और स्थानीय संचार लाइनों में कटौती हुई। इस वजह से दूरस्थ गाँवों तक रेस्क्यू टीमों को पहुँचने में बहुत दिक्कत हुई।
प्रमुख अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ
दूरस्थ क्षेत्रों में राहत कार्यों की तेज़ी से शुरुआत करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एनजीओ और सेना को तैनात किया। ममता बनर्जी ने आज़ीवन सहायता के हिस्से के रूप में “असंबंधित परिवारों को तत्काल आर्थिक सहायता” का वादा किया, लेकिन राशि का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने 6 अक्टूबर को स्वयं उत्तर‑बंगाल का दौरा करने और प्रभावित क्षेत्रों की जाँच करने का संकेत दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर आपदा के लिए “सभी संबंधित एजेंसियों को एकजुट होकर कार्रवाई करने” का आदेश दिया। उन्होंने कहा, "ऐसे आपदाओं से निपटने के लिए हम निरंतर निगरानी और त्वरित राहत उपायों पर काम करेंगे।" राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा, "हम इस त्रासदी की गहरी पीड़ा को समझते हैं और पीड़ित परिवारों के साथ हैं।"
स्थानीय लोगों और पर्यटकों का अनुभव
भूस्खलन के बाद कई गांवों में संचार टूट गया, लेकिन स्थानीय लोग आपस में मदद करने लगे। धारा गांव के एक वृद्ध ने बताया कि "अचानक जमीन ने खिसका, और हम सब धुआँ धुएँ जैसे हँसे।" कुछ युवा स्वयंसेवकों ने खुद को हेलिकॉप्टर लैंडिंग साइट के रूप में तैयार किया, जिससे मेडिकल टीमें जल्दी पहुँच सकीं।
पर्यटकों में से एक भारतीय परिवार की बेटी ने कहा, "हम पासपोर्ट ले कर आए थे, लेकिन अब लगता है कि कागज़ी सफ़र से ज़्यादा माइलीज के साथ जुड़ाव जरूरी है।" कई लोग सोशल मीडिया पर अपने बचाव के दृश्यों को साझा कर रहे हैं, जिससे राहत कार्य में वॉलंटियर्स की संख्या बढ़ी है।
आगामी कदम और राहत कार्य
प्रति दिन 2‑3 टीमों को पहाड़ी क्षेत्रों में डिप्लॉय किया जा रहा है। प्राथमिक कदमों में शामिल हैं:
- अस्थायी शरणस्थलों की त्वरित स्थापना और भोजन, जल एवं दवाइयों की आपूर्ति।
- भस्म पदार्थ हटाने के लिए मैकेनिकल उपकरणों का उपयोग और प्रमुख सड़कों को जल्द से जल्द खोलना।
- आँकड़ों के आधार पर प्रत्येक प्रभावित परिवार को आर्थिक सहायता के साथ पुनर्निर्माण योजना बनाना।
- बाद के मौसम में ऐसी आपदाओं से बचाव हेतु पहाड़ी जलवायु परिवर्तन अध्ययन को तेज़ करना।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अगले दो हफ्तों में 500 मिलियन रुपये का आपातकालीन कोष स्थापित करने की योजना बनाई है। साथ ही, राष्ट्रीय मौसम सेवा को महंगे रडार सिस्टम स्थापित करने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे भविष्य में समान आपदाओं की चेतावनी समय पर मिल सके।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समान घटनाएँ
पश्चिम बंगाल में 2018 में भी समान भूस्खलन हुआ था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे। तब भी भारी बारिश और अस्थिर पहाड़ी भूस्थिरता मुख्य कारण माने गए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण मौसमी पैटर्न बदल रहा है, जिससे बारिश की तीव्रता में अचानक वृद्धि देखी जा रही है। इस कारण अब स्थानीय प्रशासन को जोखिम‑आधारित भू‑विज्ञान मानचित्र तैयार करने की आवश्यकता है।
मुख्य तथ्य
- तारीख: 5 अक्टूबर 2025
- स्थान: दार्जिलिंग, मिरिक (पश्चिम बंगाल)
- मृतकों की संख्या: 18‑23 (विभिन्न स्रोत)
- प्रमुख अधिकारी: नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री), द्रौपदी मुर्मू (राष्ट्रपति), ममता बनर्जी (मुख्य मंत्री), रिचर्ड लेप्चा (उप‑मंडल अधिकारी)
- राहत कार्य: 500 मिलियन रुपये आपातकालीन कोष, 2‑3 टीमें प्रतिदिन, 6 अक्टूबर तक राज्य मंत्री का दौरा
Frequently Asked Questions
भूस्खलन की वजह से सबसे अधिक प्रभावित कौन‑से समूह हैं?
मुख्य रूप से पहाड़ी गाँवों के निवासी, स्थानीय किसान और दुर्गा पूजा के बाद आए पर्यटक सबसे अधिक नुकसान झेले हैं। धारा और नगराकाटा जैसे क्षेत्रों में कई परिवारों ने अपना घर खो दिया, जबकि त्योहारी मौसम के कारण आने वाले सैकड़ों यात्रियों को बचाव कार्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
सरकार ने किस तरह की आर्थिक सहायता की घोषणा की?
मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने तत्काल मुआवजा पैकेज की घोषणा की, लेकिन राशि अभी निर्धारित नहीं हुई है। अनुमान है कि प्रति परिवार 1‑2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी, और इसके अतिरिक्त पुनर्निर्माण के लिए राज्य‑सेंट्रिक फंड स्थापित किया जाएगा।
भूस्खलन के बाद राहत कार्य में कौन‑कौन शामिल हैं?
राहत कार्य में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारतीय सेना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, स्थानीय एनजीओ और स्वयंसेवकों की टीमें शामिल हैं। प्रत्येक टीम को प्रशासनिक रूप से टास्क‑फोर्स में काम करने का निर्देश दिया गया है, जिससे चिकित्सा, भोजन, शरणस्थल और बुनियादी ढाँचा जल्द से जल्द पुनर्स्थापित किया जा सके।
भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
विशेषज्ञों ने कहा है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भू‑स्थिरता के लिए नियमित जियोटेक्निकल सर्वेक्षण आवश्यक है। सरकार भी मौसम विज्ञान विभाग को उन्नत रडार सिस्टम खरीदने और सतत‑निगरानी केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है, जिससे अग्रिम चेतावनी जारी की जा सके। साथ ही, स्थानीय लोगों को आपदा‑प्रबंधन प्रशिक्षण देना भी प्राथमिकता में है।
भूस्खलन के दौरान बचाए गए लोगों की वर्तमान स्थिति क्या है?
धारा गांव में बचाए गए 40 लोगों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा दी गई है, और अधिकांश को अस्थायी शरणस्थलों में रखा गया है। उनमें से 12 गंभीर स्थिति में हैं और स्थानीय अस्पताल में उपचार जारी है। बचाव दल ने कहा है कि अगले 24‑48 घंटे में बचे हुए कई लोगों को भी सुरक्षित किया जाएगा।
टिप्पणि (8)
Shreyas Badiye अक्तूबर 6 2025
सलाम दोस्तो, आज जब मैं दार्जिलिंग की खबर पढ़ रहा था तो यादों में बर्फीली पहाड़ियों की धुंध चलने लगी : )
भारी बारिश ने जैसे धरती की पीठ पर पानी की थाली रख दी और अचानक भुिस्स्खलन ने सबको चौंका दिया।
हम सबको चाहिए कि इस दुख में एक दूसरे का हाथ थामें और आशा की रोशनी जलाएँ।
ऐसी आपदाएँ हमें याद दिलाती हैं कि प्रकृति की शक्ति को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें उसकी सुंदरता को भी सहेजना है।
मैं मानता हूँ कि अगर हम स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पर्यावरण सुरक्षा के कदम उठाएँ तो भविष्य में कई भुिस्स्खलन टले जा सकते हैं।
जैसे दार्जिलिंग के लोग अभी राहत कार्यों में जुटे हैं, हमें भी समर्थन देना चाहिए, चाहे वह भोजन का पैकेट हो या बस प्रार्थना।
सरकार की 500 मिलियन रुपये की आपातकालीन कोष योजना एक अच्छी शुरुआत है, पर यह देखना जरूरी है कि फंड सही जगह पहुँचे।
स्थानीय एनजीओ और स्वयंसेवकों की भूमिका को हम नहीं भूल सकते, उन्होंने तुरंत जोखिम क्षेत्रों का मानचित्र बना दिया।
हम सभी को चाहिए कि भविष्य में ऐसी आपदाओं के लिए बेहतर चेतावनी प्रणालियाँ लगवाएँ, जैसे उन्नत रडार सिस्टम।
विकसित तकनीक और पारम्परिक ज्ञान का संगम ही इस समस्या का समाधान हो सकता है :)
चलो मिलकर दार्जिलिंग को फिर से सुरक्षित बनाते हैं, ताकि अगले साल भी पर्यटक यहाँ की ताज़ा हवा और चाय का आनंद ले सकें।
आप सभी को सुरक्षित रहने की कामना, और दिल से दार्जिलिंग के सभी प्रभावित लोगों को मेरा प्यार और समर्थन।
हर मुश्किल के पीछे एक सीख छुपी होती है, बस हमें उसे पहचानने की जरूरत है।
आइए, मिलजुल कर इस क्षेत्र की पुनर्स्थापना में हाथ बंटाएँ।
धन्यवाद।
ARPITA DAS अक्तूबर 16 2025
कभी सोचा है कि इतनी बड़ी आपदा के पीछे कौनसी छिपी हुई ताकतें काम कर रही होंगी? यह सिर्फ बेमौसम बारिश नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के साजिशी हाथों की गूंज है। सरकार की योजनाएँ अक्सर शब्दों में ही रह जाती हैं, जबकि वास्तविक मदद जमीन पर नहीं पहुँच पाती। दार्जिलिंग के स्थानीय लोग यह महसूस कर रहे हैं कि बड़े शहरों की राजनीति यहाँ की ज़रूरतों को दायरे से बाहर कर देती है।
Sung Ho Paik अक्तूबर 26 2025
हम सबको इस चुनौती को एक अवसर की तरह देखना चाहिए 😊 हर कठिनाई हमें मजबूत बनाती है, और मैं विश्वास करता हूँ कि दार्जिलिंग फिर से उभरेगा 💪 अपने आप को सकारात्मक ऊर्जा से भरें और जरूरतमंदों की मदद में जुड़ें।
Sanjay Kumar नवंबर 6 2025
भू‑स्खलन की रिपोर्ट में आँकड़े देख कर लगता है कि रिस्पॉन्स टाइम बहुत ढीला रहा, कई गांवों में मदद देर से पहुंची। मैं देख रहा हूँ कि मीडिया इसको अक्सर सनसेट क्लिप जैसा बना देता है। असली समस्या जमीन की संरचना है, न कि सिर्फ बारिश।
Veena Baliga नवंबर 16 2025
राष्ट्रीय हित के परिपेक्ष्य में यह आपदा हमें स्वदेशी संसाधनों के संरक्षण की ओर अधिक ध्यान देने की बात कहती है। हमें विदेशी सहायता पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने स्वयं के फोर्सेज को सशक्त बनाना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है।
vishal Hoc नवंबर 27 2025
हर कोई इस दुख में अपना-अपना योगदान दे सकता है, चाहे वह छोटी सी दान राशि हो या सिर्फ शब्दों में सहानुभूति। मिलजुल कर हम राहत कार्य को तेज़ बना सकते हैं और प्रभावित परिवारों को आशा दे सकते हैं। शांत रहें और मदद की बात फैलाएँ।
Poorna Subramanian दिसंबर 7 2025
समुदाय की मदद के लिए टीमों को संगठित कर देना चाहिए, क्योंकि एकता में ही शक्ति है। सरकारी योजना को जमीन तक पहुँचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। चलिए, सभी स्वयंसेवक एक साथ मिलकर काम करें और पुनर्निर्माण में तेजी लाएँ। धन्यवाद।
Nanda Dyah दिसंबर 17 2025
विज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि इस क्षेत्र की भू‑विषमता पिछले कई दशकों से बढ़ रही है, जिसकी वजह से भूस्खलन की संभावना तेज़ी से बढ़ी है। नवीनतम सैटेलाइट इमेजिंग ने दिखाया है कि तस्करी वाले लकड़ी काटने वाले क्षेत्रों में कटाव अधिक है। इसलिए यह सरकारी पुनर्स्थापना कार्यक्रम के साथ सामुदायिक पर्यावरण निगरानी को भी मिलाना आवश्यक है।