बीजेपी नेता शहज़ाद पूनावाला ने कांग्रेस पार्टी पर एकबार फिर से परिवारवाद के आरोप लगाए हैं। यह घटना तब की है जब कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट पर अपना कब्ज़ा बरकरार रखा और अपने बहन प्रियंका गांधी को केरल के वायनाड सीट से उपचुनाव में खड़ा किया। पूनावाला ने कांग्रेस पार्टी के इस निर्णय को 'फैमिली बिजनेस' करार देते हुए तीखा आक्रमण किया।
पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी की माँ सोनिया गांधी पहले से ही राज्यसभा में सांसद हैं, वहीं राहुल और प्रियंका अब लोकसभा में अलग-अलग सीटों से चुने जाएंगे। उनका दावा है कि राहुल गांधी को समाजवादी पार्टी का समर्थन चाहिए और वह उपचुनाव में अपनी दूसरी जीत को खतरे में डालना नहीं चाहते। पूनावाला ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने चुनाव के बाद वायनाड के लोगों को धोखा दिया और राज्य से बाहर चले गए।
राहुल गांधी ने इस पर सफ़ाई देते हुए कहा कि उनके पास रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से इमोशनल कनेक्शन हैं और उन्होंने वायनाड के लोगों से किए गए वादों को पूरा करने का वचन दिया। उन्होंने कहा कि वह नियमित रूप से वायनाड जाएंगे और वहाँ की समस्याओं को हल करने की कोशिश करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने घोषणा की कि प्रियंका गांधी वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी, साथ ही यह भी बताया कि राहुल गांधी को अपने दोनों सीटों में से एक सीट छोड़नी होगी। प्रियंका गांधी ने अपनी पहली चुनावी लड़ाई को लेकर काफी उत्साहींता दिखाई और कड़ी मेहनत करने का वादा किया। उन्होंने जनता का विश्वास जीतने और उनके सुख-दुख में भागीदार बनने की बात कही।
प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए लोगों से मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने का वादा किया। वायनाड के लोगों ने भी प्रियंका गांधी का गर्मजोशी से स्वागत किया और उमंग भरे माहौल में उनका साथ दिया।
कांग्रेस के इस निर्णय पर पार्टी के अंदर भी मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ वरिष्ठ नेता इस कदम को परिवारवाद के दायरे में देखकर आलोचना कर रहे हैं, जबकि अन्य ने इसे पार्टी के लिए फायदेमंद बताया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा प्रियंका गांधी के अनुभव और जमीनी स्तर पर काम करने की क्षमता पर भरोसा जताता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना वायनाड और केरल में कांग्रेस की पकड़ को मजबूत करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस समय अपने परिवारवाद के टैग से बचने के लिए प्रयासरत है। प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी से कांग्रेस को एक नया चेहरा और एक नई दिशा मिलने की संभावना है। वहीं, बीजेपी और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को जनतंत्र के विरुद्ध बता कर आलोचना की है।
राजनीतिक विश्लेषक भी इस पर अलग-अलग मत रखते हैं। कुछ का यह मानना है कि प्रियंका का चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है और इससे पार्टी को मजबूत किया जा सकता है। वहीं, कुछ अन्य विश्लेषक इसे परिवारवाद की नवीनतम कड़ी मानते हैं और कहते हैं कि इससे पार्टी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इसके साथ ही इस कदम से कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपने स्थिति को मजबूत करने का मौका मिल सकता है। प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने का उद्देश्य भी यही माना जा रहा है कि वे पार्टी को न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान और मजबूती दिला सकें।
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