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अरविंद केजरीवाल केस: सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई कोर्ट से ताजा अपडेट
जून 26, 2024
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

परिचय

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति मामले में सीबीआई द्वारा दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई कोर्ट में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, जिन्होंने राजनीतिक और कानूनी विमर्श को गर्मा दिया है। इस मामले में मुख्य रूप से जमानत को लेकर विवाद चल रहा है।

घटना का प्रारम्भ और अदालत की कार्यवाही

घटना का प्रारम्भ और अदालत की कार्यवाही

शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को पहले ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी जमानत को स्थगित कर दिया था। इस पर केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी की पीठ के सामने हुई, जिसमें केजरीवाल की जमानत के मामले पर चर्चा की गई।

राउज एवेन्यू कोर्ट की सुनवाई

राउज एवेन्यू कोर्ट में वकेशन जज अमिताभ रावत ने इस मामले की सुनवाई की। केजरीवाल के वकील, चौधरी ने इस दौरान गिरफ्तार करने के समय पर सवाल उठाए और प्रमाणों की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाया। उनका तर्क था कि केजरीवाल को पहले क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया, जबकि उस समय भी प्रमाण मौजूद थे। उन्होंने इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि मामला राजनैतिक प्रतिशोध के तहत हो रहा है।

नई राजनैतिक समर्थन की चर्चा

केजरीवाल के वकील चौधरी ने यह भी दावा किया कि मामला तब उजागर हुआ जब मुकुंदा रेड्डी, जिन्होंने मार्च में अप्रूवर का दर्जा लिया था, 29 फरवरी को मौजूदा सत्ताधारी पार्टी में शामिल हो गए। वकील ने इस बात को उठाया कि रेड्डी के पापों को वर्तमान पार्टी में शामिल होने से धो दिया गया। इससे यह संकेत मिलता है कि मामले में कहीं न कहीं राजनैतिक उद्देश्य भी है।

सुप्रीम कोर्ट की चर्चा

सुप्रीम कोर्ट की चर्चा

सुप्रीम कोर्ट में भी इसी मामले पर सुनवाई जारी रही जहाँ केजरीवाल के वकील ने अपनी दलीलें रखीं और गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल उठाए। जस्टिस मनोज मिश्रा और एसवीएन भट्टी ने दोनों पक्षों के तर्क सुने और मामले को ध्यानपूर्वक जांचने का वादा किया। यह मामला अब कानूनी और राजनैतिक के बीच का संघर्ष बन गया है, जहाँ अदालत को यह तय करना है कि गिरफ्तारी और जमानत के मामले में कानूनी प्रक्रिया का सही प्रकार से पालन हुआ है या नहीं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, अरविंद केजरीवाल का शराब नीति का मामला एक जटिल और विवादास्पद मुद्दा बन गया है, जिसमें कानूनी प्रक्रियाओं और राजनैतिक समीकरणों का मिलन हो रहा है। अदालत का अंतिम निर्णय इस बात पर निर्भर करेगा कि सभी दलीलें और प्रमाण कितने सही और प्रामाणिक हैं। इस मामले के आगामी घटनाक्रम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (6)

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jyoti igobymyfirstname जून 26 2024

अरे यार! यह केस तो बिल्कुल फिल्मी डायलॉग्स जैसा लग रहा है। सुप्रीम कोर्ट में जमानत की बेबी टॉक, फिर सीबीआई कोर्ट में इधर‑उधर झगड़ा। केजरीवाल की वकील ने तो पूछे कि पहले गर्डियन की घडी में कस्बा क्यों नहीं था, जबकि सबूत तो पहले से ही हाथ में थे। राजनैतिक प्रतिशोध की बात तो सुनाने ही वाली है, पर असली मसला तो प्रक्रिया में ही है। आखिरकार जनता को ये सब देखना एक बड़ा ड्रामा बन रहा है।

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Vishal Kumar Vaswani जून 27 2024

🤔 क्या आप नहीं देखते कि इस सबके पीछे बड़े साजिशी हाथ हैं? 🤨 जेल के दरवाज़े खोलने के लिए जज ने तो झाँसी वाली हवा भी नहीं ली। यार, ये सभी सुनवाई एक बड़े पॉलिटिकल गैस की तरह है, जो अक्सर हाई‑टेक मशीनरी से चलती है। एलीट लोग तो बस अपने गेम को आगे बढ़ा रहे हैं, बाकी हम सब इन जटिल ट्रैप‑सेट्स में फँसते जा रहे हैं। 🙄

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Zoya Malik जून 27 2024

केजरीवाल का मामला अब राजनीतिक शो बन गया है।

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Ashutosh Kumar जून 27 2024

पहला मुद्दा यह है कि अदालतों में जमानत का सवाल सिर्फ कागज़ी औपचारिकता नहीं है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की कसौटी है। दूसरा, वकील ने उठाया सवाल कि गिरफ्तारी के समय पर सबूत क्यों नहीं लाए गए, यह ही मुख्य बिंदु होना चाहिए। तीसरा, राजनैतिक प्रतिशोध का दावा अक्सर इस तरह के मामलों में देखा जाता है, पर इसे प्रमाणित करना आसान नहीं। चौथा, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी, जिससे अनिश्चितता बढ़ी है। पाँचवाँ, मीडिया में इसे sensational बनाकर पेश किया जा रहा है, जिससे जनता में भ्रम उत्पन्न हो रहा है। छठा, सीबीआई की जांच प्रक्रिया में कई लापरवाही दिखी, यह सवाल उठता है। सातवाँ, हाई कोर्ट ने जमानत को स्थगित किया, लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं किया। आठवाँ, केस की जटिलता को देखते हुए न्यायिक प्रणाली को त्वरित कार्यवाही चाहिए। नवाँ, अगर न्यायसंगत निर्णय नहीं आया, तो लोकतंत्र की शान पर असर पड़ेगा। दसवाँ, इस मामले में सभी पक्षों को सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए। ग्यारहवां, वकील ने राजनैतिक उद्देश्य को बताया, पर यह सिर्फ एक रिटॉर्ट नहीं हो सकता। बारहवां, न्यायपालिका को अपारदर्शिता के साथ नहीं चलना चाहिए। तेरहवां, जनता को सच्ची जानकारी के साथ अद्यतन रखा जाना चाहिए। चौदहवां, यह केस भविष्य में समान मामलों के लिये एक मिसाल बन सकता है। और पंद्रहवां, अंत में, न्याय का सही स्वरूप तभी प्रदर्शित होगा जब सभी कानूनी प्रक्रियाएँ सही मायने में पूरी हों।

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Gurjeet Chhabra जून 27 2024

कामीनि इस केस में जनता को सही जानकारी चाहिए। कोर्ट के फैसले का असर सीधे लोगों के जीवन पर पड़ता है। क्या आप सब इस बारीकी को समझते हैं?

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AMRESH KUMAR जून 27 2024

🔥 देशभक्तों का कहना है कि ये सब तो बस विरोधी पार्टी की साजिश है! ✊ हर बार ऐसे केस आते हैं तो हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, नहीं तो हमारी पहचान ही खतरे में पड़ जाएगी। 😤 इस तरह के कानूनी खेल में हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए! 🇮🇳

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