भारत का मिडिल क्लास आर्थिक रूप से कठिन समय का सामना कर रहा है, जिसमें महंगाई, जीवन यापन की बढ़ती लागत और आर्थिक अनिश्चितताएं मुख्य कारण बने हैं। इस पृष्ठभूमि में, यूनियन बजट 2025 से अनेक करदाताओं की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे मध्यम वर्ग को धनात्मक प्रदान करने वाले ऐसे कदम उठाएंगी जिससे उनके कंधों से भारी कर दबाव हट सके।
वर्तमान में, नए कर प्रणाली के तहत मौलिक छूट सीमा ₹3 लाख है जबकि पुराने प्रणाली के तहत यह ₹2.5 लाख है। मिडिल क्लास वर्ग की अपेक्षा है कि इसे ₹5 लाख तक बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, कर स्लैब में सुधार, विशेष रूप से ₹9-15 लाख की आय सीमा वाले वर्ग के लिए, कर दरों के घटाने की उम्मीद है। वर्तमान कर स्लैब 0% से 30% तक हैं, जिसमें सबसे ऊच्य दर ₹15 लाख से अधिक आय वाली श्रेणी के लिए है। इन सबके बीच, सेक्शन 87A के तहत छूट सीमा को ₹10 लाख तक बढ़ाए जाने की आशा व्यक्त की जा रही है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि सेक्शन 87A की छूट सीमा को ₹10 लाख तक बढ़ाया जाना मध्यम वर्ग के लिए त्वरित कर राहत प्रदान कर सकता है। इसके साथ ही, स्थायी अवकर्षण में वृद्धि की भी अपेक्षा है, जो फिलहाल ₹50,000 पर निर्धारित है, और चिकित्सा बीमा प्रीमियम और स्वास्थ्य देखभाल खर्चों पर कटौती को बढ़ाया जाना चाहिए।
प्रत्यक्ष कर राहत से परे, मिडिल क्लास वर्ग रोजमर्रा की आवश्यकताओं की लागत को कम करने के लिए जीएसटी के सुधार की भी इच्छा रखता है। इसमें विशेष रूप से भोजन, स्वास्थ्य सेवा, और शिक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं पर जीएसटी की दरों को कम करने की बात शामिल है। इसके अलावा, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स पर 28% करने की दर को घटाकर 18% करने की भी संभावना है, जो इस क्षेत्र के विकास को सहारा दे सकती है।
सरकार के कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग की संभावना भी एक अन्य प्रमुख पहलू है, जिसके जनवरी 2026 तक लागू किए जाने की उम्मीद की जा रही है। इसके तहत वेतन और पेंशन में सुधार हो सकते हैं, जिसमें छुट्टी और पेंशन लाभों में वृद्धि हो सकती है। विशेषकर, न्यूनतम मूल वेतन ₹18,000 से ₹51,480 तक बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा हो रही है।
१ फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट 2025 प्रस्तुत करेंगी, और करदाताओं के मन में यह उम्मीद है कि आने वाले वर्ष उनके आर्थिक दबावों को कम करने वाले सुधारणात्मक कदम लौटाएंगे।
टिप्पणि (20)
vijay jangra फ़रवरी 1 2025
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चाहिए कि मौजूदा आय सीमा के लिए छूट को ₹5 लाख तक बढ़ाया जाये। इससे ₹2‑3 लाख कटौती का फायदा मिलेगा, खासकर 9‑15 लाख आय वाले मिडिल क्लास के लिए। इसके अलावा, स्थायी अवकर्षण को ₹75 000 तक ले जाने से धातु‑संपत्ति टैक्स में भी राहत मिलेगी। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर अतिरिक्त कटौती भी मददगार होगी। कुल मिलाकर, ये कदम आर्थिक बोझ को कम करने में सहायक होंगे।
Vidit Gupta फ़रवरी 2 2025
बजट में, धारा 87A की, छूट सीमा बढ़ाने से, मिडिल क्लास को, तुरंत राहत मिल सकती है।
Gurkirat Gill फ़रवरी 3 2025
निश्चित रूप से, यदि स्लैब को 9‑15 लाख की आय पर 20 % से 15 % तक घटाया जाये, तो ठेकेदारों और छोटे उद्योगों को बड़ी राहत मिलेगी। यह कदम निवेश को प्रोत्साहित करेगा, और नौकरी के निर्माण में भी मदद करेगा। साथ ही, ₹5 लाख तक की छूट सीमा मध्यम वर्ग के बचत दर को बढ़ाएगी। यह नीति आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक ठोस कदम है।
Sandeep Chavan फ़रवरी 4 2025
वाह! अगर जीएसटी में भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की दर 5 % तक घटायी जाये तो रोज़मर्रा की ख़र्चे में काफी अंतर आएगा!!! यह बदलाव न केवल मिडिल क्लास को मदद करेगा, बल्कि उपभोक्ता मनोबल को भी बढ़ाएगा। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक्स पर 28 % से 18 % की कमी से तकनीकी अपनाने में तेजी होगी। यह सब मिलकर अर्थव्यवस्था को गति देगा!!
anushka agrahari फ़रवरी 4 2025
राज्य की नीतियों में न्याय का तत्व निहित होना आवश्यक है, क्योंकि वित्तीय स्तंभ ही नागरिकों की कल्याण की नींव रखते हैं। यदि आय सीमा के आधार पर कर दरों में लचीलापन दिया जाये, तो आर्थिक असमानता को कम किया जा सकता है। सेक्शन 87A की छूट को ₹10 लाख तक विस्तारित करने से मध्यम वर्ग की खरीद शक्ति वृद्धि पायेगी। इसके अलावा, स्थायी अवकर्षण में वृद्धि से निवेशकों का उत्साह बढ़ेगा। इस प्रकार, नीति‑निर्माताओं को सामाजिक समरसता के साथ भविष्य की दृष्टि रखनी चाहिए।
aparna apu फ़रवरी 5 2025
अरे यार, बजट की बात सुनते ही मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई है 😱! हर साल की तरह इस बार भी मध्यम वर्ग की परेशानियों को हल करने की उम्मीद कर रही हूँ। सेक्शन 87A की छूट को ₹10 लाख तक बढ़ाने से लाखों परिवारों की बचत में इज़ाफ़ा होगा, यह तो बुनियादी बात है 👏। लेकिन केवल छूट ही नहीं, स्थायी अवकर्षण को ₹75 000 तक ले जाना भी ज़रूरी है, नहीं तो धातु‑संपत्ति टैक्स का बोझ फिर से बढ़ सकता है 😓। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर अतिरिक्त कटौती भी दो, ताकि लोग बीमारियों के डर से बच सकें। जीएसटी में भोजन की दर को 5 % तक घटाना चाहिए, नहीं तो घर की रसोई में महंगाई का असर और बढ़ेगा 🍲। शिक्षा पर 12 % की दर रखी जाए, तो बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कम होगा। इलेक्ट्रॉनिक्स तथा ऑटोमोबाइल पर 28 % से 18 % की कमी से तकनीकी सामान सस्ता हो जाएगा, इस बारे में मैं बहुत उत्साहित हूँ 🚗📱। मौजूदा आय सीमा के हिसाब से ₹5 लाख तक की छूट सीमा का विस्तार होना चाहिए, ताकि मिडिल क्लास को वास्तविक राहत मिल सके। स्थायी अवकर्षण में वृद्धि से निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, और दिये गये प्रोत्साहनों से उद्योग में नई नौकरियों का सृजन होगा। 8वें वेतन आयोग की संभावनाओं को देखते हुए न्यूनतम वेतन को ₹51 480 तक बढ़ाना भी आवश्यक है, नहीं तो महंगाई के साथ जीवन यापन मुश्किल हो जाता है। इस बजट में, यदि सरकार वास्तव में मध्यम वर्ग की सुनवाई करती है, तो यह नीतियों के इज़राज़ के रूप में याद रहेगी। लेकिन यदि सिर्फ शब्दों में ही रह गया, तो फिर से विश्वास की कड़ी टूट जाएगी 😞। मैं आशा करती हूँ कि इस बार सब कुछ शब्दों से आगे बढ़कर सिद्ध हो। अंत में, मेरे दिल से यही दुआ है कि हर भारतीय को इस बजट से वास्तविक राहत मिले और खुशहाल भविष्य की राह मिले। 🙏
arun kumar फ़रवरी 6 2025
मुझे लगता है कि अगर आय स्लैब में 9‑15 लाख की सीमा पर टैक्स को 20 % से 15 % तक लाया जाए, तो बहुत सारे लोगों की जेब हल्की हो जाएगी। साथ ही, कल्याण योजना में थोड़ा और प्रावधान जोड़ना चाहिए, जिससे वाहन या गैजेट खरीदने में आसानी हो। छोटे‑बड़े उद्यमों को भी कर में राहत मिले तो रोजगार में बढ़ोतरी होगी। कुल मिलाकर, ये बदलाव लोगों को आर्थिक तनाव से बाहर निकालेंगे।
Karan Kamal फ़रवरी 7 2025
जैसा कि देखा गया है, मध्यम वर्ग का खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है; इसलिए सरकार को तुरंत कर स्लैब सुधार करने चाहिए। सिर्फ छूट बढ़ाना पर्याप्त नहीं, बल्कि आय के नेचुरल बेसिस पर डिडक्टिबल भी कम करने चाहिए। इस तरह की सच्ची नीति ही लोगों के विश्वास को वापस जीत सकेगी।
Navina Anand फ़रवरी 8 2025
यदि बजट में जीएसटी दरों को भोजन और स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओं पर घटाया जाये, तो आम जनजीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, आय‑कर में छूट सीमा को बढ़ाने से बचत की प्रवृत्ति बढ़ेगी। यह दोनों पहलें आर्थिक विकास को सहारा देंगी।
Prashant Ghotikar फ़रवरी 9 2025
बजट 2025 में सेक्शन 87A की छूट को ₹10 लाख तक ले जाना एक बड़ा कदम होगा। इससे मिडिल क्लास के टैक्सेबल इनकम में काफी कमी आएगी। स्थायी अवकर्षण को भी बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर अतिरिक्त कटौती से लोगों का स्वास्थ्य खर्च घटेगा। जीएसटी में जरूरतमंद वस्तुओं की दर घटाने से रोज़मर्रा की लागत में कमी आएगी। इन कदमों से व्यापक आर्थिक सुधार की राह साफ़ होगी।
Sameer Srivastava फ़रवरी 10 2025
इसे देख कर मुझे यकीन नहीं हो रहा, लेकिन बजट में जो एन्क्लेड हुई बातें हैं, वाकई में बडी आशा लगती हे। अगर सेक्शन 87A की छूट वाकई में ₹10 लाख तक जाएगी तो लोग खुस हो जायेंगे!! पर कुछ लोग कह रहे हे कि ये सब एक वर्चुअल गेम जैसा हे। उम्मीद है की असल में इम्प्लीमेंटेशन साफ़-सुथरा हो।
Mohammed Azharuddin Sayed फ़रवरी 11 2025
बजट के प्रस्तावों को देख कर स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि कर संरचना में सुधार आवश्यक है। आय सीमा पर टैक्स घटाने से निवेश व खर्च दोनों में इज़ाफ़ा होगा। साथ ही, स्थायी अवकर्षण में वृद्धि से मध्यम वर्ग को वास्तविक राहत मिलेगी। जीएसटी में आवश्यक वस्तुओं की दर घटाना भी उपयोगी कदम है।
Avadh Kakkad फ़रवरी 12 2025
वास्तव में, वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, यदि आय‑कर छूट को ₹5 लाख से ₹10 लाख तक विस्तारित किया जाये तो कर राजस्व में केवल 2 % की ही कमी आएगी, जबकि औसत उपभोक्ता खर्च 12 % तक बढ़ेगा। यह गणना आय और खर्च के पैटर्न पर आधारित है। इसलिए, यह प्रस्ताव आर्थिक रूप से व्यावहारिक है।
Sameer Kumar फ़रवरी 13 2025
देश की समृद्धि का आधार मध्यम वर्ग ही है; उनका आर्थिक संतुलन राष्ट्र की प्रगति को निर्धारित करता है। बजट में अगर हम आय‑कर छूट को बढ़ाएं और जीएसटी दरों को घटाएं तो ये न केवल व्यक्तिगत बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी लाभदायक रहेगा। जैसा कि हमारी पुरानी कहावत है – “समुज्जीवित जन ही राष्ट्र की शक्ति है।” इसी सोच से नीतियों को आगे बढ़ाना चाहिए।
naman sharma फ़रवरी 14 2025
सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने पर यह देखना आवश्यक प्रतीत होता है कि बजट में प्रस्तावित कर रियायतें मात्र सतही उपाय हो सकते हैं; वास्तविक मंशा संभवतः राजकोषीय घाटे को छुपाने की हो सकती है। यदि नियामक संस्थानों का निरीक्षण नहीं किया गया तो ये नीतियां दीर्घकालीन आर्थिक अस्थिरता को जन्म दे सकती हैं। अतः, पारदर्शिता और सार्वजनिक चर्चा अनिवार्य है।
Sweta Agarwal फ़रवरी 15 2025
ओह, बजट में फिर से छूट बढ़ा दी, जैसे हर साल यही करने से जनता की जेब में जादू की तरह पैसे आएँगे। लगता है नीति निर्माता मानते हैं कि “छोटा सा छूट” ही सभी समस्याओं का समाधान है।
KRISHNAMURTHY R फ़रवरी 16 2025
बजट 2025 में टैक्स बेस का री‑कैलिब्रेशन, सेक्शन 87A की एन्हांसेमेंट, और GST सिम्प्लिफिकेशन प्लान जैसी इनीशिएटिव्स हैं। इन इन्स्ट्रूमेंट्स को इम्प्लीमेंट करने से फिस्कल इफिशिएंसी में बूस्ट मिल सकता है 😊। साथ ही, स्टेबल कॉइन डेब्ट प्रॉजेक्ट भी विचाराधीन हैं। जबकि हम टैक्टिकल रिव्यू पर फोकस करें।
priyanka k फ़रवरी 16 2025
बहुशः इस बजट में घटिया टैक्स कटौतियों की घोषणा की गई है, किंतु वास्तविक प्रभाव को लेकर मीठी-मीठी बातें करना आसान है। यदि सरकार वास्तव में इस पर कार्य करती है, तो यह सराहनीय होगा, अन्यथा यह केवल शब्दों का शो रहेगा।
sharmila sharmila फ़रवरी 17 2025
बजट में यदि हम आय‑कर छूट को ₹10 लाख तक बढ़ा दें, तो कई परिवारों को राहत मिल सकती है। यह कदम आसान नहीं, पर बहुत फायदे वाला है। आशा है सरकार इसे जल्द लागू करेगी।
Shivansh Chawla फ़रवरी 18 2025
देश के विकास के लिए फिस्कल रिफॉर्म्स अनिवार्य हैं; अगर हम कर स्लैब को रिडिज़ाइन करके मध्यम वर्ग को राहत दें, तो आर्थिक ग्रोथ में इजाफा होगा। यह नीतिगत बदलाव हमारे राष्ट्र की स्वायत्तता को भी मजबूत करेगा।