उत्तर प्रदेश की गर्मी एक बार फिर कहर बनकर टूटी है। 29 मई 2025 की दोपहर को कई जिलों में पारा 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया। राजधानी लखनऊ में भी हाल बेहाल रहे, वहाँ अधिकतम तापमान 35.5 डिग्री सेल्सियस (लगभग 96 डिग्री फारेनहाइट) दर्ज किया गया। धूप और उमस के चलते लोगों को घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। बाजारों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा छाया रहा। तपिश इतनी थी कि सड़कें और दीवारें तपने लगी थीं।
अमूमन मई में इतनी ऊँची गर्मी दिल्ली, राजस्थान या मध्य प्रदेश में देखी जाती है, लेकिन इस बार पूर्वी यूपी और आसपास के जिलों में भी पारे का पारा चढ़ा।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि 29 मई से कई हिस्सों में मौसम करवट ले सकता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश, बिजली की गर्जना के साथ तेज़ आंधी चलने का अनुमान है। 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएँ चल सकती हैं। इसका असर दिन से लेकर शाम तक महसूस हो सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, 28-29 मई को बारिश की संभावना करीब 60% है, जिससे राहत की थोड़ी उम्मीद जरूर की जा रही है।
हालाँकि लखनऊ में इस बार मई के महीने में औसत से काफी कम वर्षा देखने को मिली—सिर्फ 15 मिमी। ज्यादातर जगहों पर सूखा ही रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्तर गिरने लगा और जल संकट की संभावनाएँ बढ़ गईं।
मौसम विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि प्रदेश की सीमाओं से लगे राज्यों—जैसे बिहार और पश्चिम बंगाल में—भी कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है। उधर, पश्चिमी राजस्थान के जिलों में धूल भरी आंधी का खतरा बताया गया है। ऐसे में यूपी के पश्चिमी जिलों में भी धूलभरी हवाओं का असर दिख सकता है।
IMD ने नागरिकों को उत्तर प्रदेश मौसम को लेकर सतर्क रहने, नए अपडेट्स देखते रहने और घर से निकलने पर जरूरी सावधानियाँ बरतने के लिए कहा है। जैसे—हल्के रंग का कपड़ा पहनें, खूब पानी पीते रहें, और दोपहर की तेज़ धूप में बाहर जाने से बचें। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे 14 दिन का विस्तृत मौसम पूर्वानुमान देख लें और उसी के अनुसार योजना बनाएँ।
गर्मी, आंधी और बारिश का यह मिला-जुला मौसम प्रशासन, किसानों और आम आदमी सभी के लिए चुनौती बनकर सामने है। मौसम के बदलते रुख पर सबकी निगाहें टिकी हैं, खासकर तब जब लू और बिजली गिरने की घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी दर्ज की जाने लगी है।
टिप्पणि (6)
Karan Kamal मई 30 2025
भाई लोग, इस तरह की असहनीय गर्मी में घर के अंदर रहना सबसे सुरक्षित है। दरवाज़े-खिड़कियों को बंद करके एसी या पंखा चलाते रहो, लेकिन एसी का तापमान 24-26 डिग्री पर सेट करो ताकि बिजली का बिल ज्यादा न बढ़े। तेज़ धूप में बाहर निकलते समय हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए, धूप की रोशनी को प्रतिबिंबित करने वाले कपड़े बेहतर रहते हैं। बहुत सारे पानी पीओ, कम से कम हर घंटे 200-300 मिलीलीटर पानी पीने की कोशिश करो, इससे डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। अगर बगीचा या फ़सल पर काम करना पड़े तो दोपहर के 12 से 3 बजे के बीच काम को टालो, क्योंकि उस समय तापमान सबसे अधिक होता है। और सबसे अहम बात, अगर किसी को हल्का सिरदार या चक्कर महसूस हो तो तुरंत छाँव में बैठो और ठंडा पानी पीओ, लू से बचाव के लिए ये जरूरी है।
Navina Anand मई 30 2025
बहुत अच्छा लिखा, इस तरह के अपडेट से मदद मिलती है।
Prashant Ghotikar मई 30 2025
सभी को नमस्ते, गर्मी के इस प्रकोप में हम सभी को मिलकर समाधान निकालना होगा।
पहले तो यह समझना जरूरी है कि लू की वजह से शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, इसलिए हमें शरीर को ठंडा रखने के उपाय अपनाने चाहिए।
सूरज की तेज़ धूप में निकलते समय टोपी या सिर पर कपड़े वाली चीज़ें पहनना बहुत फायदेमंद होता है, इससे सिर पर सीधी धूप नहीं पड़ती।
घर के अंदर अगर पंखा नहीं है तो एक घुमावदार कपड़ा या तौलिया को पानी में भिगोकर उसे पिघला करो, जिससे हवा में नमी बढ़ेगी और सांस लेना आसान होगा।
बाजार में उपलब्ध इमर्सन सॉल्ट या निप्पल वाले जूस के साथ कच्चे नींबू का रस मिलाकर पीने से शरीर के अंदर से भी ठंडक आती है।
साथ ही, यदि संभव हो तो शाम को थोड़ा टहलना या हल्की व्यायाम करना फायदेमंद रहेगा, क्योंकि तापमान उस समय थोड़ा नीचे गिरता है।
किसानों के लिए यह मौसम फसल को नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए न्यूनतम जल की जरूरत को पूरा करने के लिए बोरवॉटरिंग या ड्रिप इरीगेशन का उपयोग करना चाहिए।
अगर आपके पास जलस्रोत नहीं है तो नजदीकी तालाब या तालाब के पानी को जमा करके रख लें, ताकि अचानक पानी की कमी न हो।
जैविक खेती के लिए खाद का सही उपयोग करें, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे।
पशुधन की देखभाल में उन्हें छाया वाले स्थान पर रखें और पर्याप्त पानी उपलब्ध करायें, क्योंकि पशु भी लू से प्रभावित हो सकते हैं।
डॉक्टर्स ने कहा है कि लू के लक्षण दिखने पर तुरंत ठंडी जगह पर ले जाएँ और तेज़ी से तरल पदार्थ दें।
सड़क पर यात्रा करने वाले लोगों को एयर कंडीशन वाले वाहनों का चयन करना चाहिए, या कम से कम रूट के बीच में विश्राम ले कर ठंडी जगह पर रुकना चाहिए।
सड़क पार करते समय बिच में स्थित वॉटर स्टेशनों से पानी ले लेना भी सहायक होगा।
शाम के समय पर मौसम विभाग के अपडेट को फॉलो करें, क्योंकि बारिश की संभावना भी बताई गई है, जिससे थोडी राहत मिल सकती है।
धूल भरी हवा से बचने के लिए मास्क पहनें, खासकर पश्चिमी यू.पी. में जहां धूल की समस्या है।
यदि आप घर से बाहर हैं और गले में खराश या खांसी महसूस करें, तो तुरंत घर में वापस आएँ और गर्म पानी में तुलसी या अदरक डालकर पीएँ।
समुदाय स्तर पर भी एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए, जैसे कि पानी की टंकी साझा करना या बुजुर्गों को घर से बाहर न निकलने की सलाह देना।
अंत में, याद रखें कि यह मौसम अस्थायी है, लेकिन सावधानी और सामूहिक प्रयास से हम इस कठिनाई को आसानी से पार कर सकते हैं।
Sameer Srivastava मई 30 2025
अरे यार!!! ये लू का तो किला ही बन गया है!!! क्या लोग सून रहे हैं??! बाहर नूगर नाम की धूप में बालू मार के आईडिया ही नहीं?!! एड़ी से पैर तक सड़क का किचन स्टैंड बन गया है...!!!
और देखो, इधर‑उधर जमकर हिचकी बच्चों का टेंशन भी दोगुना हो रहा है!! लू न हो तो शाम‑शाम को भी बबलगमी नहीं खाएगा!!
तो फिर मैं कहूँगा, इधर की टी शर्ट कंट्री के रंगों के साथ फ्रीज में रख दो, फिर जल्दी‑जल्दी लोग‑लाईट में निकालो!! क्ताब को मीठा करो!!
क्या आपको पता है कि धूलभरी हवा मेरे बालों को वैसे‑वैसे बॉलिंग बन देती है??! उसपर रोटरी बॉल की तरह घूमते रहना मज़ेदार नहीं!!
बस, अब बचो!!!
Mohammed Azharuddin Sayed मई 30 2025
धूलभरी हवा और तेज़ लू दोनों का एक साथ असर पड़ना वास्तव में परेशानी देता है।
इसे कम करने के लिए घर के बाहर रहने पर हल्के कपड़े और एअर फिल्टर वाले मास्क का उपयोग करना उपयोगी रहता है।
इसके अलावा, रात में ठंडी हवा मिलने पर खिड़कियां खोलकर ताज़ी हवा को अंदर आने देना फायदेमंद है।
यदि बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें, क्योंकि देरी से स्थिति बिगड़ सकती है।
Avadh Kakkad मई 30 2025
वास्तव में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल पूर्वी उत्तर प्रदेश में अवकाश तापमान 44 °C तक पहुँचा, जो ऐतिहासिक आँकड़ा है।
साक्ष्य के आधार पर कहा जा सकता है कि धूलभरी आंधी और लू का मिश्रण कृषि उत्पादन पर करीब 12 % तक घाटा पैदा कर सकता है।
इसलिए जल संरक्षण उपायों को प्राथमिकता देना आवश्यक है, जैसे कि वर्षा जल संचयन और ड्रिप इरिगेशन।
साथ ही, सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान को हाइड्रेशन क्लिनिक स्थापित करना चाहिए, जिससे जल संबंधी बीमारियों को रोका जा सके।
समग्र रूप से, मौसमी बदलावों से निपटने के लिए रणनीतिक योजना बनाना अनिवार्य है।