जब धनतेरस 2025भारत शनिवार, 18 अक्टूबर को शुरू हुआ, तो लाखों घरों में दीये झिलमिलाने लगे। यही पहला दिन है पाँच‑दिन की दीवाली महोत्सव श्रृंखला का, और इस रोज़ के कारण‑परिणाम को समझे बिना कोई भी उत्सव‑आनंद नहीं कर सकता।
धनतेरस का असली नाम ‘धनत्रयोदशी’ है – अर्थात् ऋतु के तेरहवें दिन, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि। इस वर्ष श्रीमती लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार दिन 12:18 pm पर शुरू होकर अगले दिन 1:51 pm तक चलता है, जिससे पूरे भारत में एक ही समय‑फ्रेम में उत्सव का माहौल बना रहता है।
धनतेरस का इतिहास समुद्र मन्थन (समुद्र का चक्की) कथा से जुड़ा है। वही समय था जब समुद्र में से देवियों में सम्पदा की देवी लक्ष्मी उभरी थी, इसलिए इस दिन उनका विशेष पूजन किया जाता है। साथ में कुबेर का आह्वान धन‑संपत्ति आकर्षित करने हेतु किया जाता है, और धन्वंतरी को स्वास्थ्य‑सुविधा के देवता के रूप में याद किया जाता है। कुछ लोग यमराज को भी इस दिन सम्मानित करते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि दीप जलाकर उनका ताड़ा लगाने से अकाल‑मृत्यु से बचाव होता है।
पूजा‑मुहूर्त हर शहर में थोड़ा‑बहुत अलग‑अलग हो सकता है, पर राजधानी में प्रमुख समय इस प्रकार है:
इस दौरान सूर्य वृश्चिक में और चंद्रमा कन्या में स्थित होते हैं – एक संतुलित ज्योतिषीय संयोजन जिसमें धन‑सम्पदा और स्वास्थ्य दोनों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह माना जाता है। इसलिए अधिकांश ज्योतिषियों की सलाह यही रहती है कि इस समय घर में दीप जला कर लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी की आरती करनी चाहिए।
भारत में कई पारिवारिक परंपराएँ ऐसी हैं जो ख़रीद‑फ़रोख़्त को भाग्य‑शाली मानती हैं। सबसे लोकप्रिय वस्तुएँ हैं:
गुंजेशस्पीक और अष्ट्योरोगी दोनों ही सलाह देते हैं कि इन शॉपिंग‑लिस्ट को आत्म‑संतुष्टि के साथ पूरा किया जाए, न कि किसी और को उपहार में दिया जाए, क्योंकि धनतेरस पर दान‑परदान से लाभ कमाने के बजाय खर्च बढ़ाने की संभावना रहती है।
आजकल ऑनलाइन शॉपिंग की लहर ने इस प्रथा को और दिलचस्प बना दिया है। ई‑कॉमर्स साइटों पर 18 अक्टूबर को “धनतेरस विशेष” बैनर फट पड़ते हैं, और सोने‑चांदी के दर सीधे‑सपाट गिरते हैं। लेकिन वही पुरानी परम्परा भी जीवित है – घर के द्वार पर दीप लगाना, रंगोली बनाना, और बच्चों को मिठाई‑पकवान देना।
कई शहरी लोग इसे केवल आर्थिक लाभ के रूप में देखते हैं, पर कई सामाजिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह रीत‑रिवाज सामुदायिक बंधन को मजबूत करता है। एक अध्यययन के अनुसार, जिन परिवारों ने इस दिन सामूहिक पूजा‑पाठ किया, उनमें अगले छह महीनों में आर्थिक बचत दर 12 % तक बढ़ी।
अंत में, धनतेरस 2025 की खास बात यह है कि यह सिर्फ सोने‑चांदी का दिन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य‑सुरक्षा, परिवार‑सुख‑समृद्धि, और सामाजिक एकता का मिश्रण है। सही मुहूर्त, शुभ वस्तुएँ, और मन की शुद्धि मिलकर इस त्योहारी सुबह को यादगार बनाते हैं।
धनतेरस की तिथी पर सूर्य वृश्चिक में और चंद्रमा कन्या में होते हैं, जिससे ‘धन‑संपदा’ और ‘स्वास्थ्य’ दोनों का संतुलन बनता है। इस ज्योतिषीय संयोजन को द्रव्यमान संपत्ति के प्रतिनिधि सोने‑चांदी के साथ जोड़ने की परम्परा प्राचीन वैदिक शास्त्रों में मिलती है। इसलिए इस दिन सोना खरीदने से आयुर्धी लाभ और दीर्घकालिक सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।
ड्रिक पंचांग के अनुसार 07:16 pm‑08:20 pm, अष्ट्योरोगी के अनुसार 06:44 pm‑07:42 pm (प्रदोष काल) और 07:48 pm‑09:52 pm (वृषभ काल) प्रमुख पूजा‑समय माने जाते हैं। इन विंडोज़ में दीप जलाकर लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी की आरती करने से अधिकतम लाभ मिलता है।
सोना‑चांदी, झाड़ू, नमक, धनिया के बीज और गौमती शंख (गौमती चक्र) को सबसे शुभ माना जाता है। इनमें से प्रत्येक का प्राचीन क्रमशः नकारात्मकता को हटाना, भोजन‑संस्कृति को समृद्ध करना, स्वास्थ्य‑वृद्धि और वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मान्यता है।
परम्परा के अनुसार, इस दिन स्वयं के लिये या अपने घर के लिये वस्तु‑निर्माण खरीदना ही शुभ माना जाता है; यह ‘आत्म‑समृद्धि’ का प्रतीक है। उपहार देना धनी‑संपन्नता को उलट‑पुलट कर सकता है, इसलिए ज्योतिषी और कई धार्मिक ग्रंथ इस दिन दान‑परदान से बचने की सलाह देते हैं।
2025 में सूर्य वृश्चिक राशी में और चंद्रमा कन्या में स्थित है। यह संयोजन ‘धन‑सम्पदा’ (वृषभ) और ‘स्वास्थ्य‑सुरक्षा’ (कन्या) के बीच संतुलन स्थापित करता है, जिससे इस दिन किए गए धन‑संबंधित कार्यों का परिणाम अधिक सकारात्मक माना जाता है। इससे निवेश‑सुरक्षा और आयु‑सुरक्षा दोनों में लाभ की सम्भावना बढ़ जाती है।
टिप्पणि (1)
Jyoti Bhuyan अक्तूबर 12 2025
धनतेरस पर ऊर्जा से भरपूर उत्साह चाहिए! आज का दिन लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी के मिलन का है, इसलिए हम सबको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। सोना‑चांदी की खरीदारी को आत्म‑विकास का कदम मानें, न कि सिर्फ़ निवेश। घर में साफ‑सुथरा माहौल बनाकर दीप जलाने से सफलता के द्वार खुलते हैं। याद रखें, मन की शुद्धि में ही असली धनी बनना छुपा है। चलिए, इस धनतेरस को यादगार बनाते हैं!