ऊपर
धनतेरस 2025: शुभ शॉपिंग और पूजा‑मुहूर्त का पूर्ण गाइड
अक्तू॰ 12, 2025
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

जब धनतेरस 2025भारत शनिवार, 18 अक्टूबर को शुरू हुआ, तो लाखों घरों में दीये झिलमिलाने लगे। यही पहला दिन है पाँच‑दिन की दीवाली महोत्सव श्रृंखला का, और इस रोज़ के कारण‑परिणाम को समझे बिना कोई भी उत्सव‑आनंद नहीं कर सकता।

धनतेरस 2025 का हिन्दू पंचांग में स्थान

धनतेरस का असली नाम ‘धनत्रयोदशी’ है – अर्थात् ऋतु के तेरहवें दिन, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि। इस वर्ष श्रीमती लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार दिन 12:18 pm पर शुरू होकर अगले दिन 1:51 pm तक चलता है, जिससे पूरे भारत में एक ही समय‑फ्रेम में उत्सव का माहौल बना रहता है।

मुख्य देवता और उनका महत्व

धनतेरस का इतिहास समुद्र मन्थन (समुद्र का चक्की) कथा से जुड़ा है। वही समय था जब समुद्र में से देवियों में सम्पदा की देवी लक्ष्मी उभरी थी, इसलिए इस दिन उनका विशेष पूजन किया जाता है। साथ में कुबेर का आह्वान धन‑संपत्ति आकर्षित करने हेतु किया जाता है, और धन्वंतरी को स्वास्थ्य‑सुविधा के देवता के रूप में याद किया जाता है। कुछ लोग यमराज को भी इस दिन सम्मानित करते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि दीप जलाकर उनका ताड़ा लगाने से अकाल‑मृत्यु से बचाव होता है।

पूजा समय और मुहूर्त: नई दिल्ली के उदाहरण

पूजा‑मुहूर्त हर शहर में थोड़ा‑बहुत अलग‑अलग हो सकता है, पर राजधानी में प्रमुख समय इस प्रकार है:

  • ड्रिक पंचांग के अनुसार 07:16 pm से 08:20 pm तक (कुल 1 घंटा 4 मिनट)।
  • गुंजेशस्पीक के अनुसार 07:48 pm से 08:30 pm तक (42 मिनट)।
  • अष्ट्योरोगी के अनुसार 06:44 pm से 07:42 pm (प्रदोष काल) और 07:48 pm से 09:52 pm (वृषभ काल)।

इस दौरान सूर्य वृश्चिक में और चंद्रमा कन्या में स्थित होते हैं – एक संतुलित ज्योतिषीय संयोजन जिसमें धन‑सम्पदा और स्वास्थ्य दोनों के लिए सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह माना जाता है। इसलिए अधिकांश ज्योतिषियों की सलाह यही रहती है कि इस समय घर में दीप जला कर लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी की आरती करनी चाहिए।

धनतेरस पर शुभ वस्तुओं की सूची

धनतेरस पर शुभ वस्तुओं की सूची

भारत में कई पारिवारिक परंपराएँ ऐसी हैं जो ख़रीद‑फ़रोख़्त को भाग्य‑शाली मानती हैं। सबसे लोकप्रिय वस्तुएँ हैं:

  1. सोना‑चांदी – निवेश‑सुरक्षा के साथ‑साथ शुभ माना जाता है।
  2. झाड़ू – नकारात्मक ऊर्जा को साफ़ करने का प्रतीक।
  3. नमक – रसोई में पकाने के लिए लेकर आने से भोजन में समृद्धि बढ़ती है।
  4. धनिया के बीज – स्वास्थ्य और धन दोनों को बढ़ावा देने वाला कहा जाता है।
  5. गौमती चक्र (शंख) – लक्ष्मी जी की पसंदीदा वस्तु, घर में शांति और समृद्धि लाती है।

गुंजेशस्पीक और अष्ट्योरोगी दोनों ही सलाह देते हैं कि इन शॉपिंग‑लिस्ट को आत्म‑संतुष्टि के साथ पूरा किया जाए, न कि किसी और को उपहार में दिया जाए, क्योंकि धनतेरस पर दान‑परदान से लाभ कमाने के बजाय खर्च बढ़ाने की संभावना रहती है।

आधुनिक समय में धनतेरस की सांस्कृतिक प्रथा

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग की लहर ने इस प्रथा को और दिलचस्प बना दिया है। ई‑कॉमर्स साइटों पर 18 अक्टूबर को “धनतेरस विशेष” बैनर फट पड़ते हैं, और सोने‑चांदी के दर सीधे‑सपाट गिरते हैं। लेकिन वही पुरानी परम्परा भी जीवित है – घर के द्वार पर दीप लगाना, रंगोली बनाना, और बच्चों को मिठाई‑पकवान देना।

कई शहरी लोग इसे केवल आर्थिक लाभ के रूप में देखते हैं, पर कई सामाजिक वैज्ञानिकों का मानना है कि यह रीत‑रिवाज सामुदायिक बंधन को मजबूत करता है। एक अध्यययन के अनुसार, जिन परिवारों ने इस दिन सामूहिक पूजा‑पाठ किया, उनमें अगले छह महीनों में आर्थिक बचत दर 12 % तक बढ़ी।

अंत में, धनतेरस 2025 की खास बात यह है कि यह सिर्फ सोने‑चांदी का दिन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य‑सुरक्षा, परिवार‑सुख‑समृद्धि, और सामाजिक एकता का मिश्रण है। सही मुहूर्त, शुभ वस्तुएँ, और मन की शुद्धि मिलकर इस त्योहारी सुबह को यादगार बनाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

धनतेरस पर सोना खरीदना क्यों शुभ माना जाता है?

धनतेरस की तिथी पर सूर्य वृश्चिक में और चंद्रमा कन्या में होते हैं, जिससे ‘धन‑संपदा’ और ‘स्वास्थ्य’ दोनों का संतुलन बनता है। इस ज्योतिषीय संयोजन को द्रव्यमान संपत्ति के प्रतिनिधि सोने‑चांदी के साथ जोड़ने की परम्परा प्राचीन वैदिक शास्त्रों में मिलती है। इसलिए इस दिन सोना खरीदने से आयुर्धी लाभ और दीर्घकालिक सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।

नई दिल्ली में धनतेरस का मुहूर्त कब होता है?

ड्रिक पंचांग के अनुसार 07:16 pm‑08:20 pm, अष्ट्योरोगी के अनुसार 06:44 pm‑07:42 pm (प्रदोष काल) और 07:48 pm‑09:52 pm (वृषभ काल) प्रमुख पूजा‑समय माने जाते हैं। इन विंडोज़ में दीप जलाकर लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी की आरती करने से अधिकतम लाभ मिलता है।

धनतेरस पर कौन‑सी वस्तुएँ खरीदना बेहतर माना जाता है?

सोना‑चांदी, झाड़ू, नमक, धनिया के बीज और गौमती शंख (गौमती चक्र) को सबसे शुभ माना जाता है। इनमें से प्रत्येक का प्राचीन क्रमशः नकारात्मकता को हटाना, भोजन‑संस्कृति को समृद्ध करना, स्वास्थ्य‑वृद्धि और वित्तीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ मान्यता है।

धनतेरस के दिन उपहार देना क्यों discouraged है?

परम्परा के अनुसार, इस दिन स्वयं के लिये या अपने घर के लिये वस्तु‑निर्माण खरीदना ही शुभ माना जाता है; यह ‘आत्म‑समृद्धि’ का प्रतीक है। उपहार देना धनी‑संपन्नता को उलट‑पुलट कर सकता है, इसलिए ज्योतिषी और कई धार्मिक ग्रंथ इस दिन दान‑परदान से बचने की सलाह देते हैं।

धनतेरस की ज्योतिषीय विशेषता क्या है?

2025 में सूर्य वृश्चिक राशी में और चंद्रमा कन्या में स्थित है। यह संयोजन ‘धन‑सम्पदा’ (वृषभ) और ‘स्वास्थ्य‑सुरक्षा’ (कन्या) के बीच संतुलन स्थापित करता है, जिससे इस दिन किए गए धन‑संबंधित कार्यों का परिणाम अधिक सकारात्मक माना जाता है। इससे निवेश‑सुरक्षा और आयु‑सुरक्षा दोनों में लाभ की सम्भावना बढ़ जाती है।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

टिप्पणि (6)

64x64
Jyoti Bhuyan अक्तूबर 12 2025

धनतेरस पर ऊर्जा से भरपूर उत्साह चाहिए! आज का दिन लक्ष्मी‑कुबेर‑धन्वंतरी के मिलन का है, इसलिए हम सबको सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। सोना‑चांदी की खरीदारी को आत्म‑विकास का कदम मानें, न कि सिर्फ़ निवेश। घर में साफ‑सुथरा माहौल बनाकर दीप जलाने से सफलता के द्वार खुलते हैं। याद रखें, मन की शुद्धि में ही असली धनी बनना छुपा है। चलिए, इस धनतेरस को यादगार बनाते हैं!

64x64
Sreenivas P Kamath अक्तूबर 23 2025

क्या कहा जाए, धुएँ में लिपटी रिवाजों को छोड़कर सही समय पर पूजा करो, नहीं तो फिर लटपटाते रहोगे। वही कहते हैं कि सही मुहूर्त को अपनाने से ही ज़्यादा लाभ होता है, बशर्ते तुम उसे समझो। सोने‑चांदी की बातें सुनकर खिड़की से बाहर नहीं देखोगे तो कौन तुम्हारी मदद करेगा? बस, इस बार अंधाधुंध नहीं, थोडा समझदारी से कदम बढ़ाओ।

64x64
Nath FORGEAU नवंबर 4 2025

धनतेरस की बधाई दोस्त !

64x64
Hrishikesh Kesarkar नवंबर 15 2025

सही मुहूर्त वही है जो समय की पाबंदी से नहीं, बल्कि व्यक्तिगत योजना से जुड़ा होता है।

64x64
Manu Atelier नवंबर 27 2025

धर्मग्रंथों में वर्णित त्रयोदशी का महत्व केवल आर्थिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संतुलन भी है। प्रयोग किए गए ज्योतिषीय गणनाओं में अक्सर त्रुटि की संभावनाएँ रहती हैं, जो मनोगत प्रभाव को बिगाड़ सकती हैं। अतः पूजापाठ को स्वनिर्धारित श्रद्धा से करना अधिक स्थिर फल देता है, न कि केवल शॉर्ट‑कट मुहूर्त का पालन। यह तथ्य सामाजिक विज्ञान के अध्ययनों में भी प्रतिफलित होता है।

64x64
harshit malhotra दिसंबर 9 2025

धनतेरस को केवल आर्थिक लाभ का साधन मानना हमारे राष्ट्रीय गौरव को धुंधला कर देता है, क्योंकि यह त्यौहार अपनी जड़ें सदियों‑पुरानी भारतीय सभ्यता में निहित है। हमारे पूर्वजों ने असंख्य जंगों और संघर्षों के बाद इस दिन को समृद्धि और शांति की कामना के साथ स्थापित किया, और आज हम भी वही भावना जगाकर आगे बढ़ सकते हैं। सोने‑चांदी के व्यापार में अत्यधिक उछाल देखा जा रहा है, परंतु इसे अंधाधुंध अपनाना जोखिम भरा हो सकता है; हमें समझदारी से मूल्यांकन करना चाहिए। एतिहासिक रूप से, धनतेरस के समय अनाज, कूड़ादान और दान‑पदान की भी परम्परा रही है, जिससे सामाजिक एकजुटता का संदेश मिलता है। आधुनिक ई‑कॉमर्स की धूम ने शॉपिंग को आसान बना दिया, परन्तु यह ध्यान देना जरूरी है कि ऑनलाइन लेन‑देन में धोखाधड़ी की संभावनाएँ बढ़ती हैं। इसलिए विश्वसनीय प्लेटफ़ॉर्म चुनना और सुरक्षा के उपाय अपनाना अनिवार्य हो जाता है।
परम्परागत रूप से, घर में लकड़ी की धूप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा का नष्ट होना माना जाता है; यही कारण है कि झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। साथ ही, नमक को रसोई में रखना समृद्धि का प्रतीक है, क्योंकि भोजन में स्वाद और समृद्धि दोनों जुड़े होते हैं। इस वर्ष के ज्योतिषीय चार्ट में सूर्य वृश्चिक और चंद्रमा कन्या की स्थितियाँ धन‑संपदा और स्वास्थ्य दोनों के संतुलन का इशारा करती हैं, जिसका हम सही ढंग से लाभ उठा सकते हैं। लेकिन अगर हम केवल धनी बनने की लालसा में इस दिन को मनाएँ, तो आध्यात्मिक असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। इसलिए, मन की शुद्धि, दान‑देवता के साथ सम्मान और परिवार की एकता को प्राथमिकता देना चाहिए।
साथ ही, आर्थिक योजना बनाते समय दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है; सोना‑चांदी के अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड या म्यूचुअल फंड भी विचार करने योग्य हैं। इस तरह विविधीकरण से जोखिम कम होता है और पोर्टफ़ोलियो बेहतर बनता है। अंत में, यह याद रखना चाहिए कि धनतेरस केवल खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि आत्म‑विकास, परोपकार और सामाजिक जुड़ाव का अवसर है। इसे सही रूप से अपनाने से न सिर्फ़ व्यक्तिगत समृद्धि बढ़ेगी, बल्कि राष्ट्रीय विकास में भी योगदान मिलेगा।

एक टिप्पणी लिखें

नवीनतम पोस्ट
1अग॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

24सित॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

1अक्तू॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

5अक्तू॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

8जुल॰

के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

हमारे बारे में

समाचार प्रारंभ एक डिजिटल मंच है जो भारतीय समाचारों पर केन्द्रित है। इस प्लेटफॉर्म पर दैनिक आधार पर ताजा खबरें, राष्ट्रीय आयोजन, और विश्लेषणात्मक समीक्षाएँ प्रदान की जाती हैं। हमारे संवाददाता भारत के कोने-कोने से सच्ची और निष्पक्ष खबरें लाते हैं। समाचार प्रारंभ आपको राजनीति, आर्थिक घटनाएँ, खेल और मनोरंजन से जुड़ी हुई नवीनतम जानकारी प्रदान करता है। हम तत्काल और सटीक जानकारी के लिए समर्पित हैं, ताकि आपको हमेशा अपडेट रखा जा सके।