बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर की नई फिल्म 'देवा' इन दिनों चर्चा में है। यह फिल्म मलयालम सिनेमा के विख्यात निर्देशक रोशन एंड्रयूज के हिंदी सिनेमा में पदार्पण का प्रतीक है। 'देवा' की कहानी 2013 की ब्लॉकबस्टर मलयालम फिल्म 'मुंबई पुलिस' पर आधारित है और इसमें शाहिद कपूर मुख्य भूमिका में दिखाई देते हैं। फिल्म ने शुरुआती दिनों में बॉक्स ऑफिस पर मिश्रित निष्कर्षों के साथ शुरुआत की है, लेकिन इसकी कहानी और शाहिद की अभिनय क्षमता की विषदता ने समीक्षकों और दर्शकों को प्रभावित किया है।
फिल्म की शुरुआत हालांकि धीमी रही, विशेष रूप से सुबह के शो में कम उपस्थिति देखी गई। मात्र 18,000 टिकट बिकने के साथ फिल्म की उपस्थिति दर केवल 5.87% रही। लेकिन 'देवा' को इसकी 'मुंबई भावना' के कारण शाम के शो में, विशेषकर मुंबई और पुणे सर्किट में, बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि फिल्म पहले दिन में 7-8 करोड़ रुपये कमा सकती है। अगर इसके पास एक लोकप्रिय साउंडट्रैक होता, तो शायद यह आंकड़ा और बढ़ सकता था।
फिल्म में शाहिद कपूर ने एक विद्रोही पुलिस अफसर की चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाई है, जो दर्शकों को बहुत पसंद आई है। कई समीक्षकों ने इसे शाहिद की अब तक की सबसे अच्छी भूमिकाओं में से एक बताया है। कहानी के विवरणात्मक तत्व और रोमांचक एक्शन दृश्य दर्शकों को सीटों से बांधकर रखने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, कुछ दर्शकों ने फिल्म की कहानी में 'मुंबई पुलिस' फिल्म के तत्वों की समानता पर ध्यान आकर्षित किया है, जिससे इसके मौलिकता पर सवाल खड़े हुए हैं।
फिल्म की कहानी और शाहिद के प्रदर्शन से हटकर, रोशन एंड्रयूज़ की निर्देशन शैली ने भी प्रभावित किया है। उनके निर्देशन में फिल्म ने तकनीकी उत्कृष्टता और दृष्टिगत सौंदर्य का प्रदर्शन किया है। 'देवा' में पूजा हेगड़े, पवेल गुलाटी और प्रवेश राणा भी मुख्य भूमिकाओं में हैं, और उन्होंने भी अपनी भूमिकाओं में शानदार काम किया है।
हालांकि 'देवा' की शुरुआत धीमी रही है, लेकिन इसके रोमांचक धागों और आकर्षक कहानी के कारण उम्मीद की जा रही है कि यह सप्ताहांत में गति पकड़ लेगी। बॉलीवुड में हिंदी फिल्म के रूप में अपनी उपस्थिति बनाई है, देखते हैं कि भविष्य में कैसा प्रदर्शन करती है। इस फिल्म ने निश्चित रूप से शाहिद कपूर और निर्देशक रोशन दोनों के लिए नए मानक स्थापित किए हैं। अब यह देखना होगा कि यह समय के साथ दर्शकों को कितना बांध सकेगी और रोशन का हिंदी सिनेमा में पदार्पण कितना सफल होगा।
टिप्पणि (13)
Akhil Nagath फ़रवरी 1 2025
फ़िल्म का विश्लेषण करते हुए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि शाहिद कपूर ने अपने किरदार में नैतिक दुविधा को गहराई से उजागर किया है। यह अभिनय केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी की एक गंभीर चर्चा को भी जन्म देता है। इस दृष्टिकोण से देखे तो कहानी की संरचना में दार्शनिक प्रश्नों का समावेश स्पष्ट है। निर्देशक रोशन एंड्रयूज़ के तकनीकी प्रयोग ने इस विचारधारा को दृश्यमान रूप से सुदृढ़ किया है। परंतु बॉक्स ऑफिस की प्रारम्भिक तालिका में देखा गया मंदी दर्शकों की अपेक्षाओं में अंतर को दर्शाता है। हमें यह भी समझना चाहिए कि स्थानीय संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता कभी‑कभी व्यावसायिक परिणामों को प्रभावित करती है। अंत में, इस फिल्म को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए जहाँ कलाकार और दर्शक दोनों ही आत्मनिरीक्षण कर सकें। 😊
vipin dhiman फ़रवरी 2 2025
भाई बात तो ऐसी है कि देवा को लेकर सिनेमा में ‘बॉलीवुड’ का जलवा फिर से दिखेगा, और कोई नहीं रोक सकता इसको! मरहबा बॉलीवुड वाले, अब मलेशियाई फ़िल्म को हिन्दी में उतारा गया, क्या बात है! हमारे लिए तो ये भूख तोड़ने वाला है, दर्शकों को झंडा लहराते देखना मज़े का है।
vijay jangra फ़रवरी 3 2025
फ़िल्म के टेक्निकल पहलू अत्यंत प्रभावी हैं; सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग ने कथानक को सहजता से आगे बढ़ाया है। शाहिद कपूर की अभिनय शैली ने कई नई पहलुओं को उजागर किया है, जिससे दर्शकों को विविध भावनात्मक स्तरों का अनुभव हुआ। सकारात्मक रूप से देखा जाए तो यह फ़िल्म उद्योग में नई दिशा प्रदान कर सकती है।
Vidit Gupta फ़रवरी 3 2025
सच्चाई, यह फिल्म, कहानी, अभिनय, और संगीत, सभी तत्वों को, संतुलित रूप से, मिश्रित करती है, जो दर्शकों को, निरंतर, रुचिकर बनाता है, और साथ ही, बॉक्स ऑफिस पर, संभावित सफलता की राह पर ले जाता है।
Gurkirat Gill फ़रवरी 4 2025
शाहिद की ऊर्जा, कहानी की गति, और रोशन की निर्देशन शैली, मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाते हैं, जिससे दर्शकों को आशावादी दृष्टिकोण मिलता है।
Sandeep Chavan फ़रवरी 5 2025
चलो, इस फ़िल्म को दिल से स्वागत करें! उत्साह, दृढ़ता, और तेज़ गति वाले एक्शन, सब मिलकर इसे एक यादगार अनुभव बनाते हैं! दर्शकों को इस साहसिक यात्रा में शामिल होना चाहिए! 🚀
anushka agrahari फ़रवरी 6 2025
विचारों की गहराइयों में उतरते हुए, यह स्पष्ट होता है कि 'देवा' केवल एक्शन का संग्रह नहीं, बल्कि एक दार्शनिक प्रवचन भी है; जिसमें शख्सियत, नैतिकता, और सामाजिक परिवर्तन का सम्मिश्रण है। इस प्रकार, फ़िल्म का हर दृश्य, एक विचारशील प्रश्न बन जाता है, जिसका उत्तर दर्शक स्वयं खोजते हैं।
aparna apu फ़रवरी 7 2025
भाई साहब, मैं यहाँ इस बात को विस्तार से कहना चाहता हूँ कि फ़िल्म में दिखाए गए सामाजिक पहलू सिर्फ पृष्ठभूमि नहीं हैं, बल्कि गहरी अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करते हैं। प्रथम दृश्य से ही, महत्त्वपूर्ण सवाल उठते हैं-क्या न्याय प्रणाली में व्यक्तिगत नैतिकता का स्थान है? इसी प्रश्न का उत्तर शाहिद कपूर की आँखों में झलकता है, जहाँ वह अपने किरदार में द्वन्द्व को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है। कहानी के विभिन्न मोड़ पर, निर्देशक ने सूक्ष्म रूप से स्थानीय संस्कृति को सम्मिलित किया है, जिससे दर्शक स्वयं को उस वातावरण में महसूस करते हैं। इस प्रकार, यह फ़िल्म एक साधारण मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक दर्पण है, जो हमें अपने अंदर झाँकने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, संगीत का चयन, भावनात्मक गहराई को और भी बढ़ाता है; प्रत्येक गीत कहानी के साथ तालमेल बनाता है। तकनीकी पक्ष में, सीन ग्लिचिंग, रंग संयोजन, और लाइटिंग सर्वश्रेष्ठ हैं, जिससे दृश्य प्रभाव अत्यधिक प्रभावी बनते हैं। फ़िल्म की गति में कभी‑कभी धीमी पड़ाव होते हैं, पर वह ही दर्शकों को विचार करने का अवसर देते हैं। बॉक्स ऑफिस पर शुरुआती प्रदर्शन की कमी, शायद दर्शकों की प्रारम्भिक अपेक्षाओं के कारण है, लेकिन यदि कहानी में गहराई से जुड़ें, तो यह निरंतर आकर्षण का कारण बनेगा। अंत में, मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस फ़िल्म ने मुझे कई सामाजिक मुद्दों पर पुनर्विचार करने के लिये मजबूर किया है, और यही उसकी असली सफलता है।
arun kumar फ़रवरी 8 2025
आपकी विस्तृत विश्लेषण से मैं पूरी तरह सहमत हूँ; फ़िल्म में दर्शायी गई सामाजिक जटिलताओं ने वास्तव में विचारों को उत्प्रेरित किया है।
Karan Kamal फ़रवरी 9 2025
फ़िल्म का संगीत वाह! 🎶
Navina Anand फ़रवरी 10 2025
मुझे लगता है कि देवा ने दर्शकों को नई आशा दी है, क्योंकि यह साहसिक कहानी का मिश्रण है, और साथ ही भावनात्मक जुड़ाव भी प्रदान करता है।
Prashant Ghotikar फ़रवरी 11 2025
यदि आप कहानी की गहराई को समझना चाहते हैं, तो यह फ़िल्म आपको विभिन्न दृष्टिकोणों से परिचित कराएगी, जिससे आप एक अधिक व्यापक समझ विकसित कर सकते हैं।
Sameer Srivastava फ़रवरी 12 2025
अरे यार, क्या बात है-ये फ़िल्म तो पूरी तरह से धुरंधर है, लेकिन बॉक्स‑ऑफ़िस की फिरकी से बिचकती नहीं; अब देखो, यह तो असली पॉप कल्चर का बिचारा है!!