जब डायरेक्टरेट ऑफ़ रिवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) और भारतीय कस्टम्स ने 2024‑25 वित्तीय वर्ष के आँकड़े पेश किए, तो साफ़ हो गया कि सोना तस्करी में थर‑थर की उछाल देखी जा रही है। इस साल 16 अक्टूबर को सोने की कीमत 10 ग्राम पर ₹128,395 तक पहुँच गई, जो पिछले साल की समान तिथि से 67 % ऊपर है। ऐसी कीमतों के साथ, तस्करों को 6 % आयात शुल्क और 3 % स्थानीय बिक्री टैक्स बचाने पर लगभग ₹1,150,000 प्रति किलोग्राम का मुनाफा मिल रहा है।
जैसा कि 2025 का सोने का मूल्य उछालभारत दर्शाता है, वैश्विक बाजार में अस्थिरता, यूएसडी‑रुपैया विनिमय दर में गिरावट और भारत में खुदरा मांग की मौसमी तीव्रता ने मिलकर इस ऐतिहासिक स्तर को छुआ। पहले जुलाई 2024 में सरकार ने आयात शुल्क 15 % से घटाकर 6 % कर दिया था, जिससे तस्करों की प्रारम्भिक कमाई घट गई। लेकिन कीमतों के निरंतर उछाल ने फिर से प्रलोभन को जीवित कर दिया।
एक अज्ञात सीनियर बुलियन डीलर ने कहा, "जैसे‑जैसे कीमतें ऊपर जा रही हैं, गुंडों को अब बहुत बड़ा फायदा दिख रहा है।" इस बयान में निहित तथ्य यह है कि मुनाफे के प्रतिशत और जोखिम के बीच का संतुलन बदल गया है।
डेटा से पता चलता है कि मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ने कुल हवाई‑आधारित तस्करियों का 35 % हिस्सा पकड़ा, उसके बाद चेन्नई हवाई अड्डा 28 % और इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 22 % रहा। भूमि सीमा के मामले में, लगभग 60 % मामलों में म्यांमार के पार जाने वाले मार्ग शामिल हैं, जबकि बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते छोटे लेकिन लगातार सक्रिय हैं।
एक चेन्नई‑आधारित डीलर ने बताया, "पहले तस्करें सोने को बेचने में हफ़्ज़ा लेती थीं, अब त्योहारों की खरीद‑विक्री तेज़ी से हो रही है, इसलिए वे घंटों में ही माल बेच देते हैं।" इस प्रकार मौसमी मांग ने तस्करों को तेज़ी से क़ीमत‑फ़ायदा उठाने की सुविधा दी है।
कॉलकाता‑आधारित एक ज्वेलर ने कहा, "इस हफ़्ते हम तैयारियों में 25 डॉलर्स प्रति औंस अतिरिक्त प्रीमियम देख रहे हैं, जो पिछले दशकों में सबसे अधिक है।" बैंकों को भी आधिकारिक आयात आपूर्ति के पूरा न हो पाने से प्रीमियम चार्ज करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस बीच, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) ने बताया कि भारत ने 2025 की तीसरी तिमाही तक लगभग 300 टन सोना और 3,000 टन सिल्वर आयात किया, फिर भी घरेलू मांग सांस्कृतिक कारणों से "अडिग" बनी हुई है।
डीलर समुदाय में एक दर्दनाक सत्य है—उच्च कीमतों के कारण प्रीमियम बढ़ रहा है, पर साथ ही जोखिम भी बढ़ रहा है। फिर भी, फिरौती‑मुक्त लाभ की झलक ने कई संगठित अपराध समूहों को फिर से इस व्यापार में खींचा है।
केंद्रीय सरकार ने इस उछाल को देखते हुए आयात शुल्क में फिर से बदलाव की संभावना जताई है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि वैश्विक मूल्य स्थिर नहीं होता, तो तस्करी की लहरें और तेज़ी से बढ़ सकती हैं। एक वित्तीय विशेषज्ञ ने कहा, "बिना एक स्पष्ट आपूर्ति‑लगातार नीति के, मौसमी मांग और सीमित आधिकारिक आयात के बीच का अंतर तस्करियों को हमेशा आकर्षित करेगा।"
साथ ही, कस्टम्स ने नई तकनीकी निगरानी प्रणाली, जैसे कि एआई‑आधारित इमेज‑रिकॉग्निशन, लागू करने की घोषणा की है, जिससे हवाई अड्डों पर गुप्त पैकेजों की पहचान में सुधार हो सके। लेकिन सीमाओं पर पार‑देशी जाल तो अभी भी जटिल है, खासकर म्यांमार‑भूटान‑नैवो के विस्तृत नेटवर्क में।
आगे देखते हुए, तीन प्रमुख बिंदु नजर में आते हैं: पहला, यदि सोने की कीमतें 2025‑2026 में स्थिर या गिरावट दिखाती हैं, तो तस्करियों की प्रॉफिट मार्जिन घटेगा; दूसरा, कस्टम्स की नई तकनीकी पहलें कितनी प्रभावी रहेंगी; तीसरा, सरकार का आयात नीतियों में बदलाव कितनी जल्दी और कितनी सटीकता से लागू होगा। इन तीन घटकों के मिश्रण से ही आधिकारिक और गैर‑आधिकारिक सोने की बाजार में संतुलन बन पाएगा।
मुख्यतः मुंबई, चेन्नई और दिल्ली के हवाई अड्डे सबसे ज़्यादा असरदार हैं, क्योंकि यहाँ से निर्यात‑आधारित व्यापार के बड़े पैमाने पर तस्करी होती है। लैंड बॉर्डर में म्यांमार सीमा के पार 60 % केस दर्ज होते हैं, जबकि बांग्लादेश और नेपाल के छोटे‑छोटे मार्ग भी लगातार सक्रिय रहते हैं।
जुलाई 2024 में शुल्क घटाने से अस्थायी रूप से मुनाफे में कमी आई थी, लेकिन जब सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गईं, तो घटे हुए शुल्क का असर कम हो गया। इसलिए केवल शुल्क में बदलाव पर्याप्त नहीं; सप्लाई‑डिमांड संतुलन और कड़ी निगरानी दोनों चाहिए।
तस्कर अक्सर छोटे‑सुरक्षित कंटेनरों, पीढ़ी‑विशेष एयर कार्गो, और डिजिटल भुगतान ट्रैकिंग को सुरक्षित करने के लिए एन्क्रिप्टेड लैब नोट्स का उपयोग करते हैं। कस्टम्स अब एआई‑आधारित इमेज रिकॉग्निशन और रीयल‑टाइम डेटा एनालिटिक्स लागू कर रहा है, जिससे इस तरह की तकनीकों को पहचानना मुश्किल हो रहा है।
दीवाली और धनत्रेय के दौरान सोने की मांग में तीव्र वृद्धि होती है, जिससे तस्करें अपने कब्जे के सोने को तेजी से बेच सकते हैं। इससे न केवल रोटेशन टाइम घटता है, बल्कि प्रीमियम भी जल्दी‑जल्दी बढ़ जाता है, जिससे उच्च मुनाफा सुनिश्चित होता है।
टिप्पणि (1)
yogesh jassal अक्तूबर 18 2025
देखो, सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन गुंडों को तो बस मौका दिख रहा है, गिनती गिनती में। ऐसे मुनाफे में जीभ फड़फड़ाना इंट्री कट रहा है। वैसे भी, कस्टम्स की नई तकनीक अभी भी कागज के फड़ फड़ पर है। भले ही सरकार कहना चाहती है कि बदलाव आएगा, लेकिन असली बदलाव जमीन पर ही देखने को मिलेगा।