जब हर्मनप्रीत कौर, भारत महिला क्रिकेट टीम की कप्तान ने टॉस समारोह में फातिमा सना को नज़र नहीं मिलायी, तो दर्शकों ने आश्चर्य जताया। बिना हैंडशेक नीति का यह कड़ाकेदार प्रदर्शन कोलंबो में हुए ICC Women's World Cup 2025 के मुख्य आकर्षण बन गया।
यह नीति मूल रूप से बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) ने 2023 के एशिया कप में भारतीय पुरुष टीम के लिए लागू की थी। उस समय डेविड सिका, BCCI के सचिव ने स्पष्ट किया था कि भारत‑पाकिस्तान की किसी भी मुलाक़ात में खिलाड़ी पारस्परिक सौहार्द नहीं दिखाएंगे, चाहे वह टॉस हो या मैदान के बाहर। यह कदम राजनीतिक तनाव को खेल में सीधे लाने का एक सिंबल माना गया।
जैसे ही महिला टीम ने इस दिशा‑निर्देश को अपनाया, सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह नीति दोहराई गई। इसलिए, कोलंबो में इस विश्व कप में भी वही नियम बरकरार रहे।
मैच 19 जुलाई 2025 को कोलंबो के रॉबिन सॉंडर्स स्टेडियम में आयोजित हुआ। ICC Women's World Cup 2025कोलंबो के इस चरण में भारत और पाकिस्तान की महिला टीमें टॉस के लिए एक ही मंच पर आईं, लेकिन दो कप्तानें एक-दूसरे से लगभग एक मीटर की दूरी पर खड़ी रहीं।
हर्मनप्रीत ने टॉस का अधिकार ले लिया, जबकि फातिमा ने मौन में अपना कपड़े समेटे रहे। कोई हाथ मिलाने का जश्न नहीं, कोई मुस्कान नहीं, बस एक तीखा मौन जो दर्शकों को झकझोर गया। इस क्षण को कई कैमरों ने कैद किया, और सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज जमा हुए।
यह जीत भारत के लिए केवल तीन अंक नहीं, बल्कि विश्व कप में शीर्ष स्थान सुरक्षित करने का एक कदम था।
मैदान के बाहर कई विश्लेषकों ने इस नीति की दोहरी कट्टरता पर सवाल उठाया। राहुल द्विवेदी, क्रिकेट टिप्पणीकार ने कहा, "खेल राजनीति से अलग नहीं हो सकता, परंतु महिलाओं के खेल में इतना कड़ा व्यवहार अनावश्यक दिखता है।" दूसरी ओर, बीते दो साल में कई खेल मंत्रालय के अधिकारी इस नीति को भारत‑पाकिस्तान के मौजूदा राजनैतिक तनाव के संदर्भ में समर्थन दे रहे हैं।
फातिमा सना ने बाद में मीडिया से कहा कि वह “परिवार जैसी टीम भावना” चाहती हैं, लेकिन वह भी मानती हैं कि "स्पोर्ट्समैनशिप की भावना में हमेशा सम्मान होना चाहिए"।
आईसीसी ने इस घटना पर टिप्पणी नहीं की, परंतु अगले महीने होने वाले 2026 के एशिया कप में यदि दोनो टीमें फिर मिलें, तो क्या वही प्रतिबंध रहेगा, यह अनिश्चित है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि युवा खिलाड़ियों का बदलाव जल्द ही इस कठोर स्टाइल को बदल देगा।
ड्राफ्ट में अब भी एक प्रस्ताव है कि सभी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खिलाड़ी निकट संपर्क को "सुरक्षित खेल" के रूप में माना जाएगा, जिसमें हाथ मिलाना भी शामिल हो सकता है। इस दिशा में बदलाव होने पर आज की बिना हैंडशेक नीति इतिहास का एक अध्याय बन जाता है।
नीति का मूल कारण भारत‑पाकिस्तान के बीच चल रहे राजनैतिक तनाव को खेल में प्रतिबिंबित करना था। BCCI ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह कदम दोनों देशों के बीच असहजता को कम करने के लिए है, जबकि क्रिकेट के मैदान पर प्रतिस्पर्धा जारी रहेगी।
कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि खिलाड़ियों को अनिवार्य दूरी बनाए रखने से अतिरिक्त तनाव हो सकता है। लेकिन कई खिलाड़ी, जैसे हर्मनप्रीत कौर, इसे राष्ट्रीय कर्तव्य समझते हैं और कहती हैं कि यह उनका व्यक्तिगत अभिप्राय नहीं, बल्कि टीम का सामूहिक निर्णय है।
मैच के दिन हल्की बारीश की भविष्यवाणी थी, लेकिन खेल शुरू होने से पहले मौसम साफ हो गया। इसलिए कोई रेन डिलेय या रिडक्टेड ओवर नहीं हुआ, जिससे दोनों टीमों को अपनी स्थापित रणनीति लागू करने का मौका मिला।
आईसीसी ने अभी तक कोई आधिकारिक दिशा‑निर्देश नहीं जारी किया है, परंतु कई अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ इस बात के समर्थन में हैं कि खेल-कूद में शिष्टाचार को बढ़ावा दिया जाए। अगर भविष्य में अधिक देशों द्वारा विरोधी आवाज़ उठती है, तो BCCI को नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
यह जीत भारत की निरंतर सत्ता को दर्शाती है; 11‑0 की रिकॉर्ड को आगे बढ़ाते हुए टीम विश्व कप में शीर्ष क्रम में जगह बना रही है। इससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है और अन्य प्रतियोगिताओं में भी भारत को बेहतर प्रदर्शन की आशा मिलती है।
टिप्पणि (1)
Sameer Kumar अक्तूबर 6 2025
खेल को कूच में बांधना, राजनीति की जाली को दूर करने का एक तरीका है। इसी विचार से बिना हैंडशेक नीति बनाई गई थी, और यही दिखाने का प्रयास है कि हमारी प्रतिबद्धता शब्दों से भी अधिक है। एक टीम के रूप में यह दर्शाना कि हम अपने मूल्यों को कायम रखते हैं, बहुत जरूरी है।