एनडीए प्रत्याशी नव्या हरिदास ने वयनाड लोकसभा उपचुनाव में गांधी परिवार पर तीखे आरोप लगाए हैं। उनका मानना है कि गांधी परिवार हमेशा वयनाड को एक 'दूसरी सीट' के रूप में देखता है, जो उनका मुख्य फोकस नहीं होता। जब से प्रियंका गांधी वाड्रा वयनाड में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, यह आरोप और भी गंभीर हो गया है। हरिदास की शिकायत है कि गांधी परिवार के सदस्य यहां केवल नाम मात्र के लिए आते हैं और जब चुनाव खत्म हो जाता है तो भूल जाते हैं। उनके अनुसार, कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को, जो कि भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक जानी-मानी हस्ती हैं, वयनाड में टिकट देकर यह साबित कर दिया है कि वे इस सीट को गंभीरता से नहीं लेते।
नव्या हरिदास का मानना है कि राहुल गांधी का वयनाड छोड़कर रायबरेली को प्राथमिकता देना उनके इस दृष्टिकोण का एक उदाहरण है। उनका कहना है कि राहुल ने वयनाड को एक बार जीतने के बाद भुला दिया और रायबरेली को बचाने पर अधिक ध्यान दिया। यह उनके लिए एक 'सेफ सीट' बन गई थी। और यही बात प्रियंका गांधी के बारे में भी कही जा रही है कि वे भी यहां संसाधनों और जन समर्थन का सिर्फ प्रयोग करने आई हैं, वास्तविक बदलाव और स्थायी समाधान के लिए नहीं।
हरिदास का यह भी मानना है कि वयनाड के लोग एक ऐसे नेता की तलाश में हैं जो उनकी समस्याओं को समझे और सुलझाए। किसी ऐसे नेता की नहीं, जो चुनाव जीतने के बाद उन्हें भूल जाए। उनका दावा है कि वे और भाजपा इस चुनाव में वयनाड के लोगों की वास्तविक चिंताओं को समझने और समाधान करने के लिए तैयार हैं। वे यह मानती हैं कि भाजपा का वोट शेयर इस बार बढ़ेगा क्योंकि लोग गांधी परिवार के खोखले वादों से तंग आ चुके हैं।
उपचुनाव का आयोजन 13 नवम्बर को किया जाएगा, और नतीजे 23 नवम्बर को घोषित होंगे। इन चुनावों में न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति को लेकर काफी उत्सुकता है। हरिदास ने कहा कि भाजपा इस चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन करेगी और वे वयनाड के लोगों के लिए एक मजबूत और प्रतिबद्ध नेतृत्व देने का वादा करती हैं।
भाजपा की राज्य महिला मोर्चा की महासचिव और कोझिकोड कारपोरेशन की दो बार की पार्षद नव्या हरिदास ने यह भी कहा कि वे भाजपा के लिए आशान्वित हैं और भरोसा जताया कि वयनाड में इस बार भाजपा के समर्थन में बढ़ोतरी होगी। यह एक परीक्षा की घड़ी है कि वयनाड के लोग कितने सचेत हैं और वे अपने नेता को कितनी समझदारी से चुनते हैं।
टिप्पणि (12)
Ashutosh Kumar अक्तूबर 20 2024
गांधी परिवार की यही नाकामी है कि वे वयनाड को बस एक शो के लिए मंच बनाते हैं, बस इतना ही!
Apu Mistry अक्तूबर 20 2024
विचारों की गहराई को समझना आसान नहीं, पर जब कोई नेता केवल नाम के लिए आता है तो उसकी सत्यता पर सवाल उठता है। यह राजनीति के सागर में एक क्षणिक लहर है, जो जलती हुई आशा को धुंधला कर देती है। कोई भी परिवर्तन केवल शब्दों से नहीं, कर्मों से शुरू होता है।
suchi gaur अक्तूबर 21 2024
यह प्रदर्शन तो बस एक सतहिया नाटक है, किसी गहरी विचारधारा की अभिव्यक्ति नहीं। 🤔💬 वास्तविक राजनीति में तो गहराई चाहिए, न कि केवल फोटो‑ऑप्स।
Rajan India अक्तूबर 21 2024
देखो, लोग अक्सर हाई‑फाइव वाले शब्दों में फँस जाते हैं, पर असली काम तो जमीन पर ही होता है। बस, यही मेरा नजरिया है।
Parul Saxena अक्तूबर 21 2024
वयनाड की जनता को सिर्फ चुनावी मोहिमों से नहीं, बल्कि सतत विकास की जरूरत है।
किसी भी नेता को पहले जनता की मूलभूत समस्याओं को समझना चाहिए।
यदि वह सिर्फ विज्ञापन की तरह मंच पर आता है तो विश्वास टूट जाता है।
गांधी परिवार की भूमिका को समझते हुए भी हमें यह देखना होगा कि उनके कार्य वास्तविक हैं या नहीं।
विकास के लिए बुनियादी सुविधाओं जैसे जल, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिकता देनी चाहिए।
केवल भाषण और शब्दों से कुछ नहीं बदलता, ठोस कदमों की जरूरत है।
अगर नेता चुनाव जीतने के बाद अपने वादों को लागू नहीं करता तो वह अपनी ही सीट खो देता है।
जनता का भरोसा पुनः स्थापित करने के लिए पारदर्शिता अनिवार्य है।
सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता को आगे बढ़ाने की इच्छा ही वास्तविक नेता की पहचान है।
राजनीति को व्यक्तिगत महिमा से नहीं, बल्कि जनसेवा से परिभाषित किया जाना चाहिए।
इसीलिए हमें ऐसे उम्मीदवारों को चुनना चाहिए जो दीर्घकालिक दृष्टि रखते हों।
वयनाड के लोग भी इस बात को समझते हैं और परिवर्तन चाहते हैं।
यदि कांग्रेस या किसी भी दल के पास यह स्पष्ट योजनाएँ नहीं हैं तो वोट कहीं और देना चाहिए।
भाजपा के समर्थन में बढ़ोतरी का कारण भी यही हो सकता है कि लोग ठोस परिणाम चाहते हैं।
अंत में, राजनीति को भावनात्मक खेल नहीं, बल्कि लोगों के जीवन को सुधारने का माध्यम बनना चाहिए।
Ananth Mohan अक्तूबर 21 2024
सही बात है, ठोस कदमों की जरूरत है। जनसेवा में निरंतरता ही भरोसा बनाती है।
jyoti igobymyfirstname अक्तूबर 21 2024
उन्हे तो बस फोटो‑शूट का मज़ा चाहिए! 😂
Zoya Malik अक्तूबर 21 2024
ऐसे हल्के‑फुल्के अंदाज़ में बात करना मतभेद को गहरा करता है, जनता को गंभीरता चाहिए।
ritesh kumar अक्तूबर 21 2024
देशभक्तों को यह समझना चाहिए कि पार्टी के झंडे नीचे ही नहीं, जनता के दिलों में भी लहरें बनानी चाहिए; नहीं तो सारे जार्गन वाला भाषण केवल हवा में उड़ेंगे।
Raja Rajan अक्तूबर 21 2024
जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं, दिशा स्पष्ट होनी चाहिए।
Atish Gupta अक्तूबर 21 2024
वयनाड के मुद्दे सिर्फ चुनावी नहीं, वे सामाजिक बदलाव का दर्पण हैं। हर आवाज़ को सुनना जरूरी है, क्योंकि तभी हम एक सच्चा लोकतंत्र स्थापित कर सकते हैं।
Aanchal Talwar अक्तूबर 21 2024
सही कहा, मिलजुल कर काम करना ही सबसे बेहतर रास्ता है। 🌼