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Ligon Duncan की माँ को श्रद्धांजलि: विश्वास और समर्पण का एक जीवन
मई 12, 2024
के द्वारा प्रकाशित किया गया rabindra bhattarai

समर्पित और विश्वासी, यही वे शब्द हैं जो शर्ली ऐनी लेडफोर्ड डंकन के जीवन का वर्णन करते हैं। 25 सितंबर, 2022 को 89 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद उनके पुत्र और प्रमुख ईसाई नेता लिगॉन डंकन ने अपनी माँ को एक गहन और हृदयस्पर्शी श्रद्धांजलि दी। लिगॉन ने अपने शब्दों में अपनी माँ की जीवन यात्रा और उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाओं को साझा किया।

शिक्षा और संगीत में योगदान

शर्ली एक विश्वविद्यालय की प्रोफेसर थीं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने अमिट योगदान के साथ-साथ पारिवारिक व्यवसाय को भी संभाला। वह स्थानीय रेडियो और टेलीविजन पर सक्रिय रहीं और संगीत में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए वे पियानो और वॉयस कोचिंग देती थीं। उन्होंने पेजेंट प्रतियोगिताओं में भी प्रतिस्पर्धी और चैपरोन के रूप में काम किया।

विभिन्न ऑर्केस्ट्रास में उनकी भागीदारी, और शैक्षणिक जर्नल्स के संपादन के अलावा, उन्होंने विश्व-प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतज्ञों की मेजबानी की और चर्च संगीत सेवाओं में योगदान दिया। उनके इन प्रयासों को प्रेस्बिटेरियन चर्च में संस्थापक माता के रूप में स्वीकृति प्रदान की गई थी।

एक आदर्श ईसाई परिवार और मातृत्व के स्वरूप

लिगॉन ने विशेष रूप से अपनी माँ की चर्च संगीतिकी में लगन और समर्पण को सराहा। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी माँ ने चर्च संगीत को एक प्रदर्शन के रूप में नहीं बल्कि प्रार्थना और पूजा की सेवा के रूप में देखा। यह उनके लिए केवल एक कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं बल्कि एक धार्मिक अर्पण था, जो समुदाय की उपासना में सहायक थी।

लिगॉन ने अपनी माँ के द्वारा पारिवारिक मूल्यों और ईसाई धर्म के अनुसार जीवन यापन करने के उदाहरण को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि कैसे उनकी माँ ने अपने पति का समर्थन किया और उनकी इज्जत की, जिसने उनके घर को प्रेमपूर्ण बनाया। वे न केवल एक प्रेरणादायक माँ थीं बल्कि एक आदर्श पत्नी भी थीं। यह उनके विश्वास और प्रेम की एक बड़ी मिसाल है, जिसे लिगॉन ने गर्व से साझा किया।

स्पिरिचुअल जीवन और मातृत्व की भूमिका

धार्मिकता में उनकी गहरी जड़ें और सृजनशीलता उनके चरित्र के मुख्य पहलू थे। लिगॉन ने बताया कि कैसे उनकी माँ ने हर रविवार को परिवार को इकट्ठा किया और भगवान की बातों प�ै चर्चा की। यह उनके लिए आध्यात�ूाल प्रगति का समय थ� और सभी को आत्मिक रूप से पोषित किया �। उन्होंने क�łा कि मातृत्व की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है और बच्चों � Iléśात्य छाप छोड़ती हैं। इसे उन्होंने न केवल अपने घर में बल्कि चर्च समुदाय में भी दिखाया।

rabindra bhattarai

लेखक :rabindra bhattarai

मैं पत्रकार हूं और मैं मुख्यतः दैनिक समाचारों का लेखन करता हूं। अपने पाठकों के लिए सबसे ताज़ा और प्रासंगिक खबरें प्रदान करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मैं राष्ट्रीय घटनाओं, राजनीतिक विकासों और सामाजिक मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान देता हूं।

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