स्मृति ईरानी, जिन्होंने पिछली मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्य किया था, उत्तर प्रदेश के अमेठी से कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा से लोकसभा चुनाव में पराजित हो गईं। यह पराजय उनके राजनीतिक जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है, जो उनके मोदी 3.0 की मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगाती है। उनकी 1.6 लाख वोटों की हार ने भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले अमेठी में एक बड़ी चुनौती पेश की।
स्मृति ईरानी को मोदी सरकार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देखा गया था, लेकिन उनकी इस हार ने आगामी मंत्रिमंडल में उनके शामिल होने की संभावना को कमजोर कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कार्यकाल की योजना में उनकी गैरमौजूदगी अनुमानों को सच साबित कर रही है।
अनुराग ठाकुर, जो पिछली सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से लोकसभा चुनाव में विजयी हुए। इसके बावजूद, उनकी भी मंत्रिमंडल में अनुपस्थिति ने सबको हैरान कर दिया है। ठाकुर को पार्टी के मुख्य रणनीतिकारों में से एक माना जाता था, उनके द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा भी हुई थी।
लेकिन नई मोदी कैबिनेट में उनका नाम न होना कुछ नई रणनीतिक सोच का संकेत हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी अन्य नेताओं को महत्व देने की सोच रही है जिससे नई ऊर्जावान टीम बनाई जा सके।
नारायण राणे, जिन्होंने मोदी 2.0 में लघु,सूक्ष्म और मध्यम उद्यम मंत्री के रूप में सेवा की थी, महाराष्ट्र के रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से लोकसभा चुनाव विजयी होकर लौटे थे। इसके बावजूद, उन्हें भी नई कैबिनेट में जगह नहीं मिली। राणे का पार्टी के साथ लंबा जुड़ाव रहा है और उनका अनुभव विस्तृत है, लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मंत्रिमंडल में जिन नेताओं को शामिल किया गया है, उनमें भाजपा के प्रमुख नेता जैसे जेपी नड्डा, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल और ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं। इनके अलावा, जनता दल (सेक्युलर) के एचडी कुमारस्वामी, लोजपा के चिराग पासवान, जेडीयू के राम नाथ ठाकुर और हम के जीतन राम मांझी भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं।
इसके अलावा, राजनीतिक परिदृश्य में अन्य दलों के नेताओं के समावेश की भी चर्चा हो रही है। रालोद के जयंत चौधरी, अपना दल (सोनेलाल) के अनुप्रिया पटेल, टीडीपी के राममोहन नायडू और चंद्र शेखर पेम्मासानी भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं। शिव सेना के प्रताप राव जाधव भी इस सूची में शामिल हैं।
मोदी ने अपने इस नए कार्यकाल में नए चेहरों को जगह देने की योजना बनाई है। इसके पीछे की मंशा है नई ऊर्जा और नई सोच के साथ सरकार का संचालन करना। यही कारण है कि पुराने चेहरों के बजाय नए और संभावनाओं से भरपूर नेताओं को मौका दिया जा रहा है।
हालांकि, यह निश्चित नहीं है कि राजनीतिक लिहाज से यह कितना सही निर्णय साबित होगा, लेकिन इससे पार्टी की नई दिशा और दृष्टिकोण की झलक मिलती है।
मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में कई समीकरण देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, हर चुनाव और परिवर्तन अपनी नई चुनौती लेकर आता है, जिससे पार पाना नेताओं के लिए एक नई परीक्षा होती है।
स्मृति ईरानी और अनुराग ठाकुर जैसे दिग्गज नेताओं की कमी ने मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल को लेकर कई सवाल उठाए हैं। मगर, इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी भविष्य के लिए नई रणनीतियों और नए नेताओं को प्राथमिकता दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह निर्णय कितना सफल होता है और पार्टी को किस हद तक फायदा पहुंचाता है।
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