जिम्बाब्वे के हरारे स्पोर्ट्स क्लब में खेले गए टी20 ट्राई सीरीज के तीसरे मैच में न्यूजीलैंड ने जिम्बाब्वे को 8 विकेट से धूल चटाई — और ये जीत सिर्फ एक जीत नहीं, बल्कि एक जानबूझकर बनाई गई रणनीति का परिणाम थी। फ्राइडे, 18 जुलाई, 2025 को शाम 4:30 बजे (IST) शुरू हुए इस मैच में जिम्बाब्वे ने 20 ओवर में सिर्फ 120/7 का स्कोर बनाया, जबकि न्यूजीलैंड ने बस 13.5 ओवर में 122/2 का टारगेट पूरा कर लिया। 37 गेंदें बचीं। और ये नंबर बताते हैं कि न्यूजीलैंड का बल्लेबाजी अंदाज़ कितना नियंत्रित और बेहद दक्ष था।
पिच की चुनौती को जीतने की कला
हरारे स्पोर्ट्स क्लब का पिच आमतौर पर बल्लेबाजी के लिए अनुकूल नहीं होता — यह एक ऐसा मैदान है जहाँ पहले तीन-चार ओवर में सीम बॉलर्स को फायदा मिलता है, फिर मध्य ओवर्स में स्पिनर्स का राज होता है। हरारे स्पोर्ट्स क्लब का औसत टी20 पहला इनिंग्स स्कोर 145-157 के बीच रहता है। इस बार जिम्बाब्वे ने इससे भी कम — सिर्फ 120 — बनाया। ये न्यूजीलैंड के बॉलिंग अटैक की शानदार कारगरी का सबूत है। मैट हेनरी ने 3 विकेट लिए, जबकि रचिन रविंद्रा ने सिर्फ 10 रन देकर एक विकेट लिया। ये दोनों ने जिम्बाब्वे के बल्लेबाजों को एक ओवर भी आराम से बल्लेबाजी नहीं करने दिया।
वेस्ली माधेवेरे ने 32 गेंदों में 36 रन बनाए, ब्रायन बेनेट ने 20 गेंदों में 21। लेकिन इनके बाद कोई नहीं आया। जिम्बाब्वे के पास एकमात्र स्पिनर सिकंदर राजा था, और वह भी अपने ओवर्स में बहुत कम असर दिखा सका। न्यूजीलैंड के एक खिलाड़ी (जिसका नाम रिपोर्ट में नहीं आया) ने बाद में कहा: "इस पिच पर बल्लेबाजी करना मुश्किल था। हमारे स्पिनर्स ने बहुत अच्छा किया। जिम्बाब्वे को सिर्फ 120 रन तक ही सीमित रख पाना बहुत अच्छा रहा।"
रचिन और डेवन: जीत का आधार
जब न्यूजीलैंड ने बल्लेबाजी शुरू की, तो स्थिति आसान नहीं थी। पावरप्ले के बाद गेंद धीमी हो गई, और जिम्बाब्वे के बॉलर्स ने गेंद को बार-बार पिच पर टकराकर बल्लेबाजों को घुमाने की कोशिश की। लेकिन फिर आए रचिन रविंद्रा और डेवन कॉनवे।
रविंद्रा ने पहले तीन ओवरों में ग्वांडू के खिलाफ तीन लगातार चौके मारे — ये शुरुआत जिम्बाब्वे के लिए एक झटका था। फिर कॉनवे ने अपनी बल्लेबाजी में शानदार सामंजस्य बनाया। एक बार तो उन्हें मुज़रबानी ने ड्रॉप कर दिया — लेकिन उन्होंने इसे नज़रअंदाज़ कर दिया। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को धीरे-धीरे बढ़ाया, और जब तक वे बल्लेबाजी कर रहे थे, तब तक जिम्बाब्वे के पास कोई रिवर्स ऑप्शन नहीं था। 59 रन की साझेदारी ने मैच का रुख बदल दिया।
कॉनवे की बल्लेबाजी में एक बात खास थी — वे कभी जल्दबाजी नहीं कर रहे थे। एक गेंद पर वे एक चौका मारते, तो अगली पर एक सिंगल। उन्होंने रविंद्रा के साथ एक ऐसा तालमेल बनाया जैसे दो बास्स गिटार एक साथ बज रहे हों। अंतिम ओवर्स में जब जिम्बाब्वे ने निकारा निकालने की कोशिश की, तो कॉनवे ने रिचर्ड नगारवा के ओवर में फाइन लेग और डीप स्क्वायर लेग के बीच एक छक्का मारकर मैच जीत लिया।
क्या जिम्बाब्वे के पास कोई रास्ता था?
नहीं। नहीं था।
जिम्बाब्वे के पास बल्लेबाजी के लिए गहरा बैटिंग ऑर्डर नहीं था। उनके टॉप ऑर्डर ने बहुत कम रन बनाए, और मध्य क्रम के खिलाड़ी ने बिना बल्लेबाजी के बिना आउट हो गए। उनके पास एक ही स्पिनर था — सिकंदर राजा — और वह भी न्यूजीलैंड के बल्लेबाजों के खिलाफ असर नहीं बना पाया। उनकी बॉलिंग लाइन और लेंथ में बहुत कम वैरिएशन था।
इसके अलावा, जिम्बाब्वे के बॉलर्स ने गेंद को बहुत अच्छी तरह रखने में असफलता पाई। डेवन कॉनवे को ड्रॉप करने के बाद भी उन्होंने बदलाव नहीं किया। एक बार जब बल्लेबाज बैट लगाने लगे, तो गेंदबाज उन्हें बार-बार आउट करने के लिए बाहर की ओर फेंकने लगे — और उन्होंने उसे भी छक्का मार दिया।
मैच के बाद क्या होगा?
इस जीत के साथ न्यूजीलैंड ने ट्राई सीरीज में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया। यह सीरीज दक्षिण अफ्रीका के साथ भी शामिल है, और अब न्यूजीलैंड के पास दो जीत हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका के पास एक ही है। अगला मैच न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच होगा — और वह एक बड़ा टेस्ट होगा।
जिम्बाब्वे के लिए ये हार एक चेतावनी है। उन्हें अपने बल्लेबाजी ऑर्डर को दोबारा सोचने की जरूरत है। उनके पास अच्छे टैलएंडर हैं, लेकिन टॉप ऑर्डर को अब बल्लेबाजी के लिए अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी। और उनके पास एक और समस्या है — वे बहुत कम बाहरी खिलाड़ियों को अपनाते हैं। अगर वे अपने खिलाड़ियों को विदेशी टूर्नामेंट्स में भेजते रहें, तो उनकी बल्लेबाजी में तेजी आएगी।
पिच के बारे में और भी बातें
हरारे स्पोर्ट्स क्लब की बात करें तो यहाँ का पिच बहुत अलग तरह का होता है। इसकी लंबाई 68-69 मीटर है, और चौड़ाई 62-64 मीटर। यहाँ बल्लेबाजी करना शुरू में मुश्किल होता है, लेकिन जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती है, बल्लेबाजी आसान हो जाती है। लेकिन इस बार जिम्बाब्वे ने गेंद को बहुत जल्दी बदल दिया — और इसने उनके बल्लेबाजों को नुकसान पहुँचाया।
मैच के दौरान मौसम भी पूरी तरह साफ था — 23 डिग्री सेल्सियस का तापमान, कोई बारिश नहीं, और हल्की हवा। ऐसे में पिच और भी जल्दी सूख गई। इसका मतलब था कि स्पिनर्स को जल्दी ग्रिप मिल गया। न्यूजीलैंड के बॉलर्स ने इसका फायदा उठाया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी क्यों इतनी आसान लगी?
न्यूजीलैंड की बल्लेबाजी आसान नहीं लगी — बल्कि बहुत समझदारी से की गई। रचिन रविंद्रा और डेवन कॉनवे ने शुरुआत में बहुत कम जोखिम लिया। उन्होंने बल्लेबाजी को धीरे-धीरे बढ़ाया, और जब पिच और गेंद दोनों बल्लेबाजों के अनुकूल हुए, तब उन्होंने तेजी से रन बनाए। इस तरह उन्होंने दबाव को बरकरार रखा और जिम्बाब्वे को बदलाव करने का मौका नहीं दिया।
जिम्बाब्वे के लिए यह हार कितनी बड़ी है?
यह हार बहुत बड़ी है। जिम्बाब्वे ने इस सीरीज में अभी तक कोई मैच नहीं जीता है, और उनकी बल्लेबाजी लगातार निराशाजनक रही है। उनके टॉप ऑर्डर में कोई भी खिलाड़ी अपने आप को बचाने में सफल नहीं हुआ। अगर वे अगले मैच में भी ऐसा ही प्रदर्शन करते हैं, तो उनकी टीम को ट्राई सीरीज से बाहर होने का खतरा है।
हरारे का पिच वास्तव में बल्लेबाजी के लिए अनुकूल है?
हरारे का पिच शुरुआत में बल्लेबाजी के लिए कठिन होता है, लेकिन मध्य और अंतिम ओवर्स में आसान हो जाता है। लेकिन इस बार जिम्बाब्वे ने गेंद को जल्दी बदल दिया, और उनके बल्लेबाज बाहरी गेंदों के खिलाफ असमर्थ रहे। न्यूजीलैंड ने इस बात का फायदा उठाया कि जब गेंद पुरानी हो जाए, तो स्पिनर्स का असर बढ़ जाता है।
रचिन रविंद्रा का यह प्रदर्शन क्यों खास है?
रविंद्रा ने सिर्फ 48 गेंदों में 52 रन बनाए, और उनकी बल्लेबाजी में एक अद्भुत तरह का बैलेंस था। उन्होंने तीन लगातार चौके मारे, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने जल्दबाजी नहीं की। उन्होंने न्यूजीलैंड के लिए एक नया मानक तय किया — बल्लेबाजी को बिना जोखिम लिए नियंत्रित रखना। यह एक ऐसा अंदाज़ है जिसे अब नए बल्लेबाजों को अपनाना चाहिए।
अगला मैच किसके बीच होगा और क्यों महत्वपूर्ण है?
अगला मैच न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच होगा। दक्षिण अफ्रीका अभी तक एक मैच जीत चुका है, और वे एक ताकतवर टीम हैं। अगर न्यूजीलैंड इस मैच में जीत जाता है, तो वह ट्राई सीरीज का चैंपियन बन सकता है। यह मैच दोनों टीमों के लिए विश्व रैंकिंग में आगे बढ़ने का मौका भी है।
क्या जिम्बाब्वे के लिए अभी भी बचाव का कोई रास्ता है?
हाँ, लेकिन उन्हें बहुत कुछ बदलना होगा। उन्हें अपने टॉप ऑर्डर में एक या दो ऐसे खिलाड़ियों को शामिल करना होगा जो शुरुआती ओवर्स में बल्लेबाजी कर सकें। उनके पास बहुत अच्छे स्पिनर्स हैं, लेकिन बल्लेबाजी नहीं है। अगर वे अगले दो मैचों में 160+ रन बनाने में सफल हो जाते हैं, तो वे अभी भी सीरीज में बने रह सकते हैं।