RSOS की 10वीं और 12वीं परीक्षाओं के नतीजे आ गए हैं। सुबह 11:30 बजे जयपुर के शिक्षा संकुल से शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने नतीजे जारी किए। इस सत्र में कुल 1,03,004 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी—कक्षा 10 में 53,501 और कक्षा 12 में 49,503। वरिष्ठ माध्यमिक (कक्षा 12) का कुल पास प्रतिशत 49.1% रहा। लड़कियों ने 49.4% के साथ मामूली बढ़त बनाई, जबकि लड़कों का पास प्रतिशत 48.7% रहा।
इस बार की परीक्षाएं 21 अप्रैल से 16 मई 2025 तक तय शेड्यूल में हुईं। हालांकि सीमा क्षेत्रों से जुड़ी स्थिति के कारण बीकानेर, जैसलमेर, फलोदी, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और जोधपुर जिलों में कुछ पेपर स्थगित करने पड़े। इन जिलों में शेष परीक्षाएं 28 से 30 मई के बीच शांतिपूर्वक कराई गईं। बोर्ड ने बताया कि परीक्षा व्यवस्था और सुरक्षा प्रोटोकॉल सख्त रखे गए ताकि किसी भी छात्र का शैक्षणिक नुकसान न हो।
कुल उपस्थिति और पास प्रतिशत के लिहाज़ से यह परिणाम सेशन RSOS के लिए स्थिर रुझान दिखाता है। कक्षा 12 का 49.1% पास प्रतिशत ओपन स्कूलिंग की वास्तविकता को भी सामने लाता है—यहां बड़ी संख्या में वे परीक्षार्थी आते हैं जो नौकरी, परिवार, स्वास्थ्य या अन्य कारणों से नियमित स्कूलिंग जारी नहीं रख पाए। कक्षा 10 के विस्तृत प्रतिशत, विषयवार प्रदर्शन और परिणाम की सूक्ष्म रिपोर्ट बोर्ड पोर्टल पर अलग से उपलब्ध कराई गई है, जिसे छात्र अपने रोल नंबर से देख सकते हैं।
नतीजों के साथ सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा भी की—कक्षा 10 और 12 के टॉपर्स को नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। मकसद साफ है: ओपन स्कूली छात्रों की मेहनत को मुख्यधारा की तरह ही मान्यता मिले और प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर मिले। यह कदम ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी संदेश है जो सामाजिक या आर्थिक वजहों से मुख्यधारा से बाहर रहे, लेकिन सीखने की रफ्तार बनाए रखी।
नतीजे देखने की प्रक्रिया सरल है और पोर्टल पर लाइव है। छात्र अपने मोबाइल या कंप्यूटर से कुछ ही मिनट में मार्कशीट डाउनलोड कर सकते हैं।
ऑनलाइन दिखाई देने वाली मार्कशीट अस्थायी उपयोग के लिए मान्य है—कॉलेज एडमिशन फ़ॉर्म भरने, छात्रवृत्ति आवेदन और नौकरी आवेदन में काम आती है। मूल मार्कशीट और ट्रांसफर/माइग्रेशन सर्टिफिकेट बाद में आपके अध्ययन केंद्र से मिलेंगे। अपने स्टडी सेंटर से समय, तिथि और आवश्यक दस्तावेज़ (फोटो आईडी, रोल नंबर स्लिप) के बारे में पहले पूछ लें।
अक्सर छात्रों के मन में दो सवाल होते हैं—अगर अंक उम्मीद से कम आए तो क्या करें, और जिन विषयों में पास नहीं हुए उनके लिए आगे क्या विकल्प हैं।
कई छात्र नतीजे के तुरंत बाद आगे के विकल्प खंगालते हैं। कक्षा 12 पास करने वाले छात्र कॉलेज एडमिशन, डिप्लोमा/स्किल कोर्स, आईटीआई, नर्सिंग, पैरामेडिकल, पॉलिटेक्निक और सरकारी भर्ती परीक्षाओं के लिए पात्र हो जाते हैं। जिनका लक्ष्य डिग्री प्रोग्राम है, वे काउंसलिंग शेड्यूल और कट-ऑफ पर नज़र रखें। ओपन स्कूल बोर्ड से पास होने पर भी मान्यता उसी तरह मान्य होती है—फॉर्म भरते वक्त बोर्ड का नाम, रोल नंबर और वर्ष सही-सही भरना काफी है।
कक्षा 10 वाले छात्रों के लिए विषय और स्ट्रीम चुनना अगला बड़ा कदम है। साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स या वोकेशनल—जो भी रास्ता चुनें, अपने रुचि और आगे की पढ़ाई/करियर प्लान के हिसाब से फैसला लें। अगर गणित और विज्ञान में रुचि है तो पॉलिटेक्निक या आईटीआई बेहतरीन शुरुआती विकल्प हो सकते हैं। अकाउंटिंग और बिज़नेस में रुचि हो तो कॉमर्स स्ट्रीम या शॉर्ट-टर्म फाइनेंस कोर्स अच्छे पड़ाव हैं।
ओपन स्कूलिंग की सबसे बड़ी ताकत इसकी लचीलापन है। RSOS स्वाध्याय आधारित सामग्री, अध्ययन केंद्रों पर संपर्क कक्षाएं, और विषय चयन की आज़ादी देता है। कई छात्र—कामकाजी युवाओं से लेकर गृहिणियों तक—इसी लचीलेपन की वजह से साल-दर-साल यहां से बोर्ड परीक्षाएं पास कर रहे हैं। ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट और विषयों की संख्या चुनने जैसी सुविधाएं भी अध्ययन का दबाव कम करती हैं।
इस साल सुरक्षा कारणों से स्थगित परीक्षाओं के बावजूद प्रक्रिया पारदर्शी और नियंत्रित रही। जिन जिलों में पेपर आगे बढ़ाए गए, वहां अतिरिक्त व्यवस्थाएं की गईं—पुन: तिथि निर्धारण, केंद्रों की निगरानी और प्रश्नपत्र सुरक्षा। छात्रों के लिए यह भरोसा जरूरी था कि परिस्थितियां कैसी भी हों, परीक्षा और मूल्यांकन निष्पक्ष होंगे।
अब बात इनाम की। शिक्षा मंत्री ने कहा कि टॉपर्स को नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। यह कदम छात्रों के मनोबल के लिए बड़ा बूस्ट है। खासकर ओपन स्कूल के विद्यार्थियों के लिए, जो अक्सर जिम्मेदारियों के साथ पढ़ते हैं—शिफ्ट में काम, परिवार की जिम्मेदारी, या तैयारी के साथ खेल/प्रतियोगिताएं। ऐसे समय में मेधा को सार्वजनिक रूप से सराहना मिलना जरूरी है।
नतीजों के बाद कुछ जरूरी चेकलिस्ट भी ध्यान में रखें:
किसी भी समस्या—लॉगिन, कैप्चा, गलत विवरण, या परिणाम न दिखने—पर पहले ब्राउज़र कैश क्लियर करें, फिर वैकल्पिक डिवाइस/नेटवर्क आज़माएं। समस्या बनी रहे तो अपने स्टडी सेंटर या जिला समन्वयक से बात करें। हेल्पडेस्क विवरण और नोटिस बोर्ड पर अपडेट नियमित रूप से चैक करें।
आखिर में, ओपन स्कूलिंग का मकसद सिर्फ परीक्षा पास कराना नहीं, बल्कि सीखने के अवसर बराबरी से देना है। इस नजरिए से देखें तो इस बार का RSOS Result 2025 उन हजारों चेहरों की मेहनत का प्रमाण है, जिन्होंने अलग-अलग परिस्थितियों में भी पढ़ाई का धागा नहीं छोड़ा। बोर्ड ने शुभकामनाएं दी हैं—और अगला कदम अब आपके हाथ में है: आगे पढ़ाई, कौशल, या करियर—जो भी चुनें, स्पष्ट योजना के साथ बढ़ें।
टिप्पणि (6)
priyanka k अगस्त 22 2025
वाकई, अब टॉपर्स को नकद इनाम-जैसे उनका इंतजार सरकार ने ही कर लिया हो। 😒
sharmila sharmila अगस्त 30 2025
नतीजे देखे और बहुत खुशी हुई! सबसे पहले तो धऩ्यवाद RSOS टीम को, जिन्होंने इतनी जल्दी ऑनलाइन मार्कशीट उपलब्ध करवाई। अगर कोई समस्या आती है तो कैश क्लियर करना न भूलें, और हाँ, दोस्तो, जो लोग अभी भी डिटेल्स नहीं देख पाए हैं, जल्दी से अपना रोल नंबर डालो। 😊
Shivansh Chawla सितंबर 8 2025
देखो भाई, इस RSOएस ने फिर से साबित कर दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के तहत खुले स्कूल भी हमारी सशक्त होकर आगे बढ़ रहे हैं। पास प्रतिशत 49% से ऊपर है, मतलब हमारे भविष्य की पीढ़ी इस सिस्टम पर भरोसा कर रही है। अगर हम इस लहर को नहीं थामेंगे तो हम अपने ही राष्ट्र को पीछे छोड़ देंगे! #EducationRevolution
Akhil Nagath सितंबर 16 2025
राज्य के शैक्षणिक संस्थानों द्वारा आयोजित RSOS परिणाम 2025 ने सामाजिक गतिशीलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। वर्गीय 10 तथा 12 के अभ्यर्थियों में प्रमाणित पास प्रतिशत ने इस बात का प्रमाण प्रदान किया है कि खुले स्कूलों में भी गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन करते हुए बोर्ड ने नतीजों को सार्वजनिक कर दिया, जिससे सभी हितधारकों को सूचना के समान अवसर प्राप्त हुए। यह कदम न केवल शिक्षा के सार्वभौमिक अधिकार को सुदृढ़ करता है, बल्कि आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को भी सशक्त बनाता है। परिणामों में टॉपर्स को नकद पुरस्कार देना, उनके परिश्रम को मान्यता देने का एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक है। इस प्रकार की पहल से छात्रों में आत्मविश्वास की लौ जलती है और वे अपने भविष्य की दिशा स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। वर्तमान में भारत की समग्र शिक्षा प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, परंतु ऐसे सकारात्मक कदम इसे सुधारने की दिशा में अग्रसर करते हैं। खुले स्कूल में पढ़ाई करने वाले छात्र अक्सर सामाजिक और आर्थिक प्रतिबंधों के कारण आगे की पढ़ाई में बाधा महसूस करते हैं, परन्तु इस निधि के माध्यम से उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। निरीक्षण एवं सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत परीक्षा का संचालन किया गया, जिससे परीक्षा की शुद्धता बनी रही। इस सत्र में भागीदारी की संख्या पिछले वर्ष से बढ़ी, जो शिक्षा की पहुंच में सुधार को दर्शाती है। सभी इच्छुक छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपने परिणामों की दोबारा जाँच कर उचित प्रतिवाद के लिए समय पर आवेदन करें। इस प्रक्रिया में यदि कोई तकनीकी समस्या आती है, तो संबंधित अध्ययन केंद्र से शीघ्र संपर्क करना आवश्यक है। आगे बढ़ते हुए छात्रों को चाहिए कि वे अपनी क्षमताओं के अनुसार उचित शैक्षणिक या व्यावसायिक मार्ग चुनें। इस तरह के कार्यक्रमों का दिग्गज प्रभाव न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय विकास के स्तर पर भी उल्लेखनीय है। अंत में, मैं इस प्रगति को देखते हुए आशावादी हूं और सभी छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। 😊
vipin dhiman सितंबर 24 2025
YE DESH KI SHIKSHA KRANTI HAI, BEST MOVE! NAKAD INAM SE SABKO PROTSAHIT KARO, TABHI DESH AAGE BADHEGA.
vijay jangra अक्तूबर 2 2025
शिवांश जी के विचारों को सम्मानित करता हूँ, पर मैं ये जोड़ना चाहूँगा कि परिणाम देखने के बाद छात्र को अपने विकल्पों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए। मार्कशीट डाउनलोड करने के बाद, अगर अंक कम आए तो री‑वैल्यूएशन के लिए समय सीमा देखना न भूलें। साथ ही, पास हुए छात्रों को कॉलेज या डिप्लोमा कोर्स में जल्दी से जल्दी नामांकन करना चाहिए, ताकि शिक्षा में कोई अंतर न आए। अगर कोई विषय में फेल हुआ है तो अगले सत्र के लिए पुनः पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करें। इस तरह की स्पष्ट राह छात्रों को आत्मविश्वास देती है और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाती है।