रूसी मिलिट्री ने 3 अक्टूबर 2025 को सर्गेइ कोरेत्स्की, नाफ़्टोगाज़ के अध्यक्ष की घोसित कंपनी नाफ़्टोगाज़ के गैस संयंत्रों को लक्षित कर अपना सबसे बड़ा हमले का आयोजन किया। इस बड़े पैमाने पर रात‑रात संचालन में 35 मिसाइलें और 381 ड्रोन शामिल थे, जिनमें से अधिकांश खार्किव क्षेत्र और पोल्टावा क्षेत्र में स्थित गैस उत्पादन सुविधाओं को नष्ट करने के लिये भेजे गये। इस हमला ने यूक्रेन की सर्दियों की हीटिंग व्यवस्था को गंभीर खतरा में डाल दिया, जबकि यूक्रेनी सरकार ने इसे ‘नागरिक आतंक’ का एक नया रूप बताया।
फरवरी 2022 में रूस की पूर्ण आक्रमण के बाद से ऊर्जा बुनियादी ढाँचा लगातार निशाने पर रहा है। 2022‑2023 की सर्दियों में ग्रिड पर बड़े‑बड़े ब्लैकआउट हुए थे, पर इस बार गैस पाइपलाइन और प्रसंस्करण सरवरी पर प्रहार किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक सर्दी के करीब रूसी सैन्य योजना में ‘शीत युद्ध’ को हथियार बनाना शामिल रहता है, जिससे नागरिक जनसंख्या को जल, बिजली और गर्मी से वंचित किया जा सके। यूक्रेन की ऊर्जा मंत्रालय ने पहले भी चेतावनी दी थी कि रूसी ड्रोन और मिसाइलें अब केवल बिजली ग्रिड ही नहीं, बल्कि गैस‑कुशलता वाले क्षेत्रों को भी लक्ष्य बना रही हैं।
उक्रेनी एयर फ़ोर्स के आँकड़ों के अनुसार, इस समन्वित हमले में कुल 381 ड्रोन और 35 एन्हांस्ड म्यूजिकल इम्प्रूव्ड (EMI) गाइडेड मिसाइलें इस्तेमाल हुईं। इस तीव्र बमबारी से न केवल गैस उत्पादन स्थलों को भारी नुक्सान पहुँचा, बल्कि पोल्टावा में एक 8‑साल की बच्ची और दो महिलाएँ घायल हो गईं। ऐतिहासिक सेंट निकोलस चर्च की खिड़कियों का आधा हिस्सा भी टूट गया, जिससे स्थानीय विरासत संरक्षण एजेंसियों ने आपदा प्रतिक्रिया तेज कर दी।
हिंसा के जवाब में, यूक्रेन ने भी लंबी दूरी के ड्रोन का इस्तेमाल करके रूसी औद्योगिक स्थल पर प्रतिहिंसा की। अंद्रेइ कोवालेन्को, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा परिषद के सेंटर फॉर काउंटरिंग डिसइंफॉर्मेशन के प्रमुख, ने बताया कि यूक्रेनी ड्रोन ने लगभग 1,400 किलोमीटर दूर स्थित ऑरस्क तेल रीफ़ाइनरी को लक्ष्य बनाकर थोड़ी देर के लिए उत्पादन रोक दिया। उसी दिन, बेज़रनिकी में स्थित रूस के सबसे बड़े एज़ोट रासायनिक कारख़ाने को भी अर्द्ध‑स्थायी रूप से बंद कर दिया गया। रूसी एयरोडिफेंस ने 20 यूक्रेनी ड्रोन को रात‑भर में काबू किया, अधिकांश ब्लैक सी के ऊपर गिरा दिया गया।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने अपनी निर्विवाद स्थिति दोहराते हुए कहा कि सभी निर्धारित लक्ष्य सफलतापूर्वक हिट हो गये थे। उन्होंने कहा कि ये “सैन्य‑औद्योगिक जटिल” और उसकी ऊर्जा समर्थन प्रणाली के विरुद्ध बड़े पैमाने पर ड्रोन‑और‑मिसाइल हमले थे। इस बयान के साथ ही रूसी प्रोपेगांडा एजेंसी ने इस हमले को ‘डिफ़ेंसिव ऑपरेशन’ का हिस्सा बताया, जबकि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इसे स्पष्ट रूप से ‘नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर इरादतन हमला’ के रूप में निंदा की।
गैस नेटवर्क पर इस हमले से कई शहरों में हीटिंग को कम या बंद करने के आदेश जारी हुए। पोल्टावा में बिजली की आपूर्ति में एक छोटे‑से व्यवधान के कारण स्थानीय स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा, जबकि ग्रामीण इलाकों में लोग गैस सिलेंडर पर निर्भर हो गये। आर्थिक विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि इस तरह के हमले लगातार जारी रहें तो यूक्रेनी परिवारों को सर्दी में अतिरिक्त 30‑40% खर्च करना पड़ सकता है, जो पहले से ही युद्ध‑प्रभावित अर्थव्यवस्था में कठिनाई बढ़ाता है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह हमला रूस की नई ‘विंटर वेपन’ रणनीति का भाग हो सकता है, जिसमें ऊर्जा बुनियादी ढाँचा को छेड़‑छाड़ करके यूक्रेन को कूटनीतिक समझौते में दांव पर लाना शामिल है। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने इस हमले को ‘अपरिवर्तनीय शस्त्र’ कहा, साथ ही यूक्रेन को अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर की ऊर्जा सहायता की पेशकश की है। आगे के हफ्तों में, यूक्रेन संभवतः अपने ‘साइबर‑डिफेंस’ को मजबूत करेगा और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से अधिक ड्रोन्स की मांग करेगा। अगर यह तनाव बढ़ता रहा तो अगले शीतकाल में ऊर्जा कटौती का जोखिम और भी बढ़ सकता है।
मुख्य तौर पर खार्किव और पोल्टावा क्षेत्रों के गैस उत्पादन संयंत्र नष्ट हुए हैं, जिससे इन जिलों में हीटिंग की कमी महसूस हो रही है। उलट, बड़ी शहरों में बिजली सप्लाई अभी भी बनी हुई है, पर ग्रामीण इलाकों को गैस सिलेंडर पर निर्भर होना पड़ेगा।
रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सभी लक्ष्य ‘सैन्य‑औद्योगिक जटिल’ और उसकी ऊर्जा समर्थन प्रणाली थे, इसलिए यह एक वैध सैन्य ऑपरेशन था। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस बयान को खारिज कर कहा कि इस प्रकार के हमले में नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को लक्ष्य बनाना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।
यूक्रेन ने लंबी दूरी के ड्रोन का उपयोग करके रूस के ऑरस्क तेल रीफ़ाइनरी और बेज़रनिकी के एज़ोट रासायनिक कारख़ाना पर घातक प्रहार किए। साथ ही, वे अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों से अतिरिक्त ड्रोन और रक्षा सहायता की मांग कर रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि रूसी सैन्य रणनीति में ‘शीतकालीन हथियार’ का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए, आगामी सर्दियों में गैस और वैकल्पिक ऊर्जा बुनियादी ढाँचा पर अधिक लक्षित हमले हो सकते हैं, जिससे यूक्रेन को अतिरिक्त ऊर्जा सहायता की जरूरत पड़ेगी।
कई ग्रामीण क्षेत्रों में हीटिंग बंद हो गई है, स्कूल और अस्पतालों में वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत खोजने पड़े हैं। इससे जीवनयापन की लागत में 30‑40% तक वृद्धि की संभावना है, और गर्मी की कमी से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
टिप्पणि (1)
Neha xo अक्तूबर 5 2025
रूसी हमले की परिपूर्णता देखकर आश्चर्य होता है कि कैसे रणनीतिक लक्ष्य बदलते हैं।
खार्किव और पोल्टावा के गैस प्लांट्स का नष्ट होना सर्दियों में ऊर्जा संकट को और गंभीर बना देगा।
यूक्रेनी लोगों के पास अब कम ही विकल्प बचेंगे, शायद उन्हें गैस सिलेंडर पर निर्भर होना पड़ेगा।
वास्तव में, यह हमले केवल सैन्य ही नहीं, बल्कि मानवता पर भी हमला है।
आशा है अंतरराष्ट्रीय मदद जल्दी से पहुँच पाए और इस कठिन समय में कुछ राहत मिल सके।