तेलंगाना ने अपनी 10वीं स्थापना वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाई, जिसमें राज्य की प्रमुख पार्टियों ने अपनी अपनी गतिविधियों के माध्यम से अपनी ताकत और समर्थन का प्रदर्शन किया। इस उत्सव का आयोजन कांग्रेस पार्टी, भारतीय राज्य समाजवादी पार्टी (बीआरएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा किया गया था।
कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित मुख्य समारोह सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में हुआ। मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ सुबह 9:30 बजे हुआ। कार्यक्रम का आरंभ गन पार्क में पुष्पांजलि समारोह के साथ हुआ, जहाँ मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और तेलंगाना आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात परेड ग्राउंड में ध्वजारोहण किया गया और राज्य के आधिकारिक गान का शुभारंभ किया गया।
इस मौके पर राज्य के पुलिस कर्मियों को सम्मानित भी किया गया। दिन भर चलने वाले इस उत्सव में विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम, खरीदारी के स्टाल्स और खेलों का आयोजन भी हुआ। सांझ के समय टैंक बंड पर एक ध्वज मार्च का आयोजन किया गया, जहाँ मुख्यमंत्री ने विशाल जनसभा को संबोधित किया।
बीआरएस पार्टी, जिसे पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति के नाम से जाना जाता था, ने भी स्थापना दिवस को बड़े स्तर पर मनाया। पार्टी के नेता के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की अगुवाई में गन पार्क से अम्बेडकर प्रतिमा तक एक मोमबत्ती रैली निकाली गई। यह रैली तीन दिन तक चलने वाले उत्सव का हिस्सा थी, जिसमें तेलंगाना आंदोलन और बीआरएस के दस साल पूरे होने की यादों को दर्शाने वाली फोटो प्रदर्शनी भी शामिल थी।
बीजेपी ने भी अपने पार्टी कार्यालय में ध्वजारोहण समारोह का आयोजन किया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इसमें भाग लिया और तेलंगाना की स्थापना के लिए संघर्ष करने वालों के प्रति सम्मान व्यक्त किया।
इस प्रचंड उत्सव में तेलंगाना राज्य की प्रगति और भविष्य को लेकर उठने वाले प्रश्नों पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी ने अपने भाषण में राज्य के विकास की योजनाओं और पिछले दस वर्षों में सरकारी नीतियों की सफलता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तेलंगाना अब देश के विकसित राज्यों की सूची में शामिल हो चुका है और आने वाले समय में यह और भी प्रगति करेगा।
तेलंगाना में इस तरह की भव्यता के साथ स्थापना दिवस मनाने से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य के लोग अपने प्रदेश के विकास और प्रगति को लेकर गंभीर हैं। इस प्रकार के आयोजन ने एकजुटता का संदेश दिया और भविष्य में राज्य को और अधिक मजबूत बनाने का संकल्प व्यक्त किया।
टिप्पणि (17)
Vishal Kumar Vaswani जून 2 2024
तेलंगाना की स्थापना दिवस का यह भव्य आयोजन केवल एक राजनैतिक खेल नहीं है, बल्कि गुप्त शक्ति के हाथों में चल रही एक बड़ी साज़िश का खुलासा है 😊। यह नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता कि सभी पार्टियों ने एक ही समय में समान कार्यक्रमों का आयोजन किया, जैसे किसी बड़े षड्यंत्र का भाग। इतिहास हमें सिखाता है कि ऐसी बड़ी इवेंट्स अक्सर गुप्त वित्तीय ढाँचे और विदेशी हस्तक्षेप के तहत योजना बनती हैं। इस अवसर पर सरकार ने कई बुनियादी सुविधाओं की चर्चा की, परंतु जमीन पर वास्तविक विकास देखना मुश्किल है। कई स्रोतों ने बताया है कि इस दावेदारी में बड़े स्तर पर ब्लैक मनी का धंधा चल रहा है। अभियान में इस्तेमाल की गई सजावट, परेड और गठबंधन के सबूत दर्शाते हैं कि कौन कौन इस पूँजीवादी षड्यंत्र में भाग ले रहा है। मीडिया को भी इस कार्यक्रम की बेनकाब रिपोर्टिंग करने से रोक दिया गया, इसलिए हमें खुद ही सच को समझना पड़ेगा। इस तरह के लालच भरे दिन में जनता को सूचित रहना चाहिए, नहीं तो वे बेवकूफी से गुमनाम ताकतों के जाल में फँसे रहेंगे। विभिन्न पार्टियों के नेता सार्वजनिक रूप से विकास की बात कर रहे हैं, परंतु झूठे वादों के पीछे गुप्त एजेंटों का नेटवर्क है। इस आयोजन में दृश्यों को संकलित करने वाले वीडियो क्लिप्स में भी छोटे-छोटे संकेत छुपे हुए हैं, जो केवल जासूस ही समझ सकते हैं। यदि हम बारीकी से देखें तो सभी भाषणों में शब्दावली में समानता है, जैसे कोई स्क्रिप्टेड संदेश हो। इस प्रकार के आयोजन को देख कर हमें सतर्क रहना चाहिए और सच्चाई की खोज खुद करनी चाहिए। तेलंगाना के लोग अपने भविष्य की दिशा तय करने के लिए इस तरह के राजनीतिक जाल में फँसने से बचें। यही समय है जब हम सभी को मिलकर इस घोटाले को उजागर करना चाहिए। आखिरकार, सच कभी भी छुप नहीं सकता, और यह थ्योरी भी समय के साथ साबित होगी। 🙃
Zoya Malik जून 7 2024
किसी भी बड़े इवेंट में ऐसी दिखावटी चमक अक्सर गहरी समस्याओं को छुपाने के लिए होती है। कांग्रेस, बीआरएस और बीजेपी की दावेदारी को मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत ही निराशाजनक पाता हूं। लोग आशा की किरन देखना चाहते हैं, पर सच्चाई में बहुत कम प्रगति दिखती है। यह उत्सव केवल राजनैतिक दिखावा लगता है।
Ashutosh Kumar जून 12 2024
वाह! क्या शो था, सच में दिमाग हिला दिया! बड़े बड़े नेता, झंडे की लहर और गुफा में गूंजता एंटी-हिंसा का नारा – सब कुछ द्रामा से भरपूर! अगर असली विकास की बात होती तो कम शब्दों में यही बताते।
Gurjeet Chhabra जून 17 2024
ये सब देखना आसान है लेकिन जमीन पर क्या हो रहा है देखना मुश्किल है मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि थोड़ा और पब्लिक की बात सुनो। विकास की योजना की बात तो बहुत हुई पर वास्तविक बदलाव नहीं दिख रहा है
AMRESH KUMAR जून 22 2024
बिलकुल सही कहा 🙌
ritesh kumar जून 27 2024
जैसे ही मैं इस बड़े आयोजन की गहराई में उतरा, मेरे नज़र में एक स्पष्ट पैटर्न उभरा: विभिन्न राजनीतिक बलों ने एक ही छिपे हुए एजेंडा को फालो किया हुआ है। इस पैटर्न को समझना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह संकेत देता है कि कोई गुप्त वित्तीय स्रोत इस सभे को फंड कर रहा है। ऐसी फंडिंग आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय इकाइयों या सैंडविच मॉडल के माध्यम से आती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती है। इन संकेतों को देखते हुए, हमें यह निष्कर्ष निकालना चाहिए कि ये बड़े कार्यक्रम राष्ट्रीय हितों के बजाय विदेशी हितों की सेवा कर रहे हैं। इसके अलावा, भाषणों में बार-बार आने वाले शब्दावली के समानता से यह स्पष्ट होता है कि एक ही प्रोपेगंडा टीम ने सामग्री तैयार की है। इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है। अंत में, मैं कहूँगा कि जनता को जागरूक होना चाहिए और इस प्रकार के झूठे शो से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए।
Raja Rajan जुलाई 2 2024
वास्तव में, यह आयोजन केवल दिखावे के लिए है; मूलभूत सुधारों की कमी स्पष्ट है। कार्यक्रम की चमक दमक के पीछे वास्तविक नीति निर्माण नहीं दिखता।
Atish Gupta जुलाई 7 2024
हम सबको इस उत्सव को एक साथ देखना चाहिए, लेकिन साथ ही यह समझना चाहिए कि विविध मतभेदों को सच्ची एकता में बदलना कितना जरूरी है। सभी पार्टियों को मिलकर काम करना चाहिए, न कि सिर्फ मंच पर दिखावा करना।
Aanchal Talwar जुलाई 12 2024
aye yeh event to badiya thi lekin kuch typo jaise cheezein badi ajeeb thi, par overall vibe achi thi, logon ko involve karvana zaroori hai. thoda aur proper planning hoti to aur maza aata.
Neha Shetty जुलाई 17 2024
तेलंगाना के विकास की दिशा में किए गए कार्यक्रमों को देखकर दिल को एक हलकी सी राहत मिलती है। फिर भी, हमें ये याद रखना चाहिए कि स्थायी प्रगति के लिए निरंतर सामाजिक सहभागिता आवश्यक है। बड़े समारोह एक संकेत हो सकते हैं, पर वास्तविक परिवर्तन रोज़मर्रा की नीतियों में दिखना चाहिए। विभिन्न वर्गों के लोगों को इस प्रक्रिया में जोड़ना चाहिए, ताकि सबका हिस्सा बन सके। इस तरह की पहल से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं और आशा का प्रकाश बढ़ता है। अंत में, मैं यही कहूँगा कि हम सब मिलकर इस सकारात्मक गति को आगे बढ़ाएँ।
Apu Mistry जुलाई 22 2024
इसे देखते हुए मन में एक गहरी सोच उत्पन्न होती है, कि क्या हम सच में प्रगति की राह पर हैं या सिर्फ़ दिखावा कर रहे हैं? वास्तविकता अक्सर हमें ऐसे मंचों से दूर रखती है, जहाँ शब्दावली पर भारी भरकम होते हैं। परंतु, यदि हम गहरी दार्शनिक दृष्टि से देखें तो यह आयोजन एक प्रतिबिंब है-समाज का प्रतिबिंब। इस प्रतिबिंब को समझना और उसमें सुधार की राह ढूँढ़ना हमारा कर्तव्य है।
uday goud जुलाई 27 2024
आइए, इस अवसर को एक बौद्धिक व्यायाम मानते हैं; यहाँ बहुत सारे प्रतीकात्मक तत्व हैं, जैसे ध्वज मार्च, परेड, और सार्वजनिक वाक्-हर एक का विश्लेषण करने पर एक गहरा सामाजिक संदेश उजागर होता है; लेकिन यह भी स्पष्ट है कि इन सबके पीछे एक नीति-संचालन का ढाँचा है, जिसे समझना आवश्यक है। इसलिए, हम सभी को आत्मनिरीक्षण के साथ इन घटनाओं को देखना चाहिए, और साथ ही मिलजुल कर एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
Chirantanjyoti Mudoi अगस्त 1 2024
मेरी दृष्टि से यह कार्यक्रम एक बड़़ा दांव है, जहाँ सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रही हैं, परन्तु वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने का प्रयास भी स्पष्ट है। मैं मानता हूँ कि इन्हें एक साथ देखना और फिर भी अलग-अलग विश्लेषण करना चाहिए।
Surya Banerjee अगस्त 5 2024
bhai yeh sab dekh ke lagta h ki sab milke sath kaam kr rhe h but thode mistakes h jese spelling errors, lekin overall achha h. hum sab milke aage badhna chahiye.
Sunil Kumar अगस्त 10 2024
वाह, क्या शानदार आयोजन! लेकिन अगर आप सच्ची बात पूछें तो इतने सारे बैनर और लाइट्स के पीछे असली काम कौन कर रहा है? शायद यही कारण है कि मुझे थोड़ा सर्कैज़्म महसूस हो रहा है। आखिर, अगर विकास की बात है तो क्यों न असली मुद्दों को सॉल्व करें, न कि सिर्फ़ शो करें? चलिए, थोड़ा वास्तविकता देखें और फिर बात करें।
Ashish Singh अगस्त 15 2024
इस प्रकार के भव्य आयोजन में नैतिक जिम्मेदारी का अक्सर उल्लेख नहीं किया जाता, परन्तु यह हमारे सामाजिक मूल्यों के लिये आवश्यक है। हमें इस उत्सव को केवल दिखावे नहीं, बल्कि एक नैतिक दायित्व के रूप में देखना चाहिए। यदि हम संकल्प लें कि विकास के साथ नैतिक सिद्धांतों को भी प्राथमिकता दें तो भविष्य में यह राज्य एक आदर्श बन सकता है।
ravi teja अगस्त 20 2024
अरे भाई, देखो तो सही, सबने ढेर सारे कार्यक्रम कर रखे हैं, पर मस्तमौला मज़ा तो तभी है जब हम सब ठीक-ठाक बात कर सकें। चलो, ज़्यादा टेंशन नहीं ले और इस माहौल को एंजॉय करते हैं।