जेफ्री हिन्टन और जॉन हॉपफील्ड ने विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 2024 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होते हुए, हिन्टन ने इसे अविश्वसनीय और अप्रत्याशित अनुभव बताया है। नोबेल पुरष्कार की घोषणा के बाद, हिन्टन ने कहा कि उन्होंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि उनका काम उन्हें इस प्रतिष्ठान तक ले जाएगा। उनका योगदान उद्योग में त्वरित विकास की नींव रखता है, जिसने आज के समय की शक्तिशाली AI मॉडल्स के लिए मंच तैयार किया है।
1980 और 1990 के दशकों में, जेफ्री हिन्टन ने डीप लर्निंग और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क्स की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बैक प्रॉपेगेशन तकनीक का विकास किया, जो मशीन लर्निंग के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस तकनीक की मदद से न्यूरल नेटवर्क सीखने की क्षमता प्राप्त कर पाते हैं। हिन्टन का काम कई आधुनिक AI और मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकियों का आधार बना हुआ है, जिसे आज की दुनिया में डेटा का परीक्षण और विश्लेषण करने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
हिन्टन का मानना है कि AI आने वाले समय में मानव बुद्धिमत्ता के स्तर को पार कर सकता है, जिससे मानव जाति के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो सकता है। मई 2023 में, ओपनAI के GPT-4 मॉडल की क्षमताओं को देखकर, हिन्टन ने अपने इस विद्रूप दृष्टिकोण को व्यक्त करना शुरू किया। उनका मानना है कि AI स्मार्ट बनने के बाद हमें उसके उद्देश्यों को समझना मुश्किल हो सकता है। हिन्टन ने कहा कि अगर AI के विकास पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो यह समाज के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है।
हिन्टन के नजरिए को प्रचारित करने के बाद, दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों और तकनीकी नेताओं ने उनके इस दृष्टिकोण का समर्थन किया और एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस पत्र में AI के विकास पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी।
हालांकि हिन्टन के परेशानियों भरे दृष्टिकोण से कुछ असहमति पैदा हुई है, यह अनदेखी नहीं की जा सकती कि उनका काम AI के विकास और अनुसंधान में मील का पत्थर है। उनकी खोज ने विज्ञान की दुनिया में एक नई क्रांति लाई है, जो मशीन लर्निंग प्रौद्योगिकी को जड़ें देती है।
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